नवजात की परवरिश नए पेरेंट्स के लिए आसान नहीं होती है। नवजात को शांत रखने के लिए पेरेट्स को कई ट्रिक्स भी अपनानी पड़ती हैं। ऐसी ही एक ट्रिक स्वाडलिंग भी है। स्वाडलिंग में शिशु को कपड़े में लपेटा जाता है। कंबल या कपड़े में लपेटने से शिशु को गर्भाशय में होने का आभाष होता है। न्यूरोलॉजिकल लेवल पर शिशु को कपड़े में लपेटने से एक स्पर्श का अहसास होता है, जिससे उसका ब्लड प्रेशर, हार्ट रेट और कोर्टिसोल हॉर्मोन नॉर्मल रहते हैं। इससे शिशु गहरी और लंबी नींद लेता है। 12 महीने से 6 माह तक के बच्चों को स्वाडलिंग से आराम मिल सकता है। छह माह का होने के बाद शिशु की तेज आवाज का सामना करने की क्षमता बढ़ जाती है। इस उम्र तक बच्चों का तेज आवाज से चौंकना भी थोड़ा कम हो जाता है। इसके अलावा स्वाडलिंग के कुछ खतरें भी हो सकते हैं। स्वाडलिंग करते समय पेरेंट्स को कुछ सावधानियां बरतने की भी आवश्यकता होती हैं। इसके अलावा यह भी समझना जरूरी है कि कब स्वाडलिंग को बंद कर देना चाहिए कि बच्चे को इसकी आदत न लग जाए।