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स्लीपिंग बेबी को ऐसे रखें सेफ, बिस्तर, तकिए और अन्य के लिए सेफ्टी टिप्स


Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 26/07/2021

    स्लीपिंग बेबी को ऐसे रखें सेफ, बिस्तर, तकिए और अन्य के लिए सेफ्टी टिप्स

    सेफ बेबी स्लीप (Safe baby sleep)  से मतलब है कि सोते समय बच्चा सुरक्षित रहे। बच्चे का सोते समय गिर जाना कई प्रकार के रिस्क लेकर आता है। जो बच्चे एक साल की उम्र तक अचानक गिर जाते हैं उन्हें गंभीर चोट पहुंचने का खतरा भी होता है। कई बार यह उनकी मौत का भी कारण बन जाता है। सडन इंफेंट डेथ सिंड्रोम (sudden infant death syndrome) (SIDS) का खतरा छह महीने के बच्चों में अधिक रहता है। ये किसी इंफेक्शन या फिर मेडिकेशन के कारण नहीं होता है। न ही ये सिंड्रोम फैलता है। इस सिंड्रोम को मौत का कारण जरूर कह सकते हैं। इसके लिए कोई एक्सप्लेनेशन नहीं दिया जा सकता है। कुछ कारण जैसे-

  • समय से पहले जन्म
  • जन्म से पहले शराब या ड्रग्स का एक्सपोजर।
  • जन्म से पहले या बाद में स्मोकिंग आदि।
  • संक्रमण 
  • यह स्पष्ट नहीं है कि सडन इंफेंट डेथ सिंड्रोम (SIDS) से मरने वाले बच्चे के भाई बहन में भी इसका जोखिम बढ़ता है या नहीं।
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    सेफ बेबी स्लीप (Safe baby sleep)  के लिए बच्चे के साथ में सोएं

    अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के अनुसार सेफ बेबी स्लीप (Safe baby sleep)  के लिए शिशुओं को जन्म के करीब एक से दो साल तक माता-पिता के साथ सोना चाहिए। आकड़ों के अनुसार ऐसा करने से बच्चों में इंफेंट डेथ सिंड्रोम (SIDS) के चांस 50 प्रतिशत तक कम हो जाते हैं। साथ ही बच्चे को सोने के लिए अपने स्पेस की जरूरत होती है। अगर पेरेंट्स में कोई भी ध्रूमपान करता है तो बेबी सेफ स्लीप पॉसिबल नहीं हो पाता है। ऐसे में बच्चों को सोते समय खतरा हो सकता है। सांस लेने में जोखिम बढ़ जाता है।

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    सेफ बेबी स्लीप के लिए न करें पिलो यूज

    आपने कई बार देखा होगा कि माएं बच्चे को पालने में तकिए की मदद से कवर करके सुलाती है। साथ ही गर्दन पर पिलो भी लगाती हैं। ऐसा नहीं करना चाहिए। जब बच्चा बड़ा हो जाए तो ऐसा किया जा सकता है। नवजात बच्चे के तकिया लगाने से उसे सांस लेने में दिक्कत हो सकती है। शिशु और वयस्क अलग-अलग होते हैं। तकिया लगाने से नवजात शिशु का दम घुट सकता है। प्रतिवर्ष तकिया लगाने से 32 बच्चों की मौत हो जाती है। सेफ बेबी स्लीप (Safe baby sleep)  के लिए बेहतर रहेगा कि नवजात के लिए गद्दे का प्रयोग करें। तकिए का प्रयोग गद्दों के किनारे करें। ये सेफ बेबी स्लीप (Safe baby sleep)  के लिए बेहतर रहेगा।

    सेफ बेबी स्लीप (Safe baby sleep)  के लिए बच्चे के लिए मध्यम लाइट का यूज करना भी बेहतर रहता है। रात में कमरे में अंधेरा करके ना सोएं। हो सकता है कि माता-पिता को लगे कि बच्चा अंधेरे में जल्दी सो जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं है। जब बच्चे का पेट भर जाता है तो बच्चा अपने आप सो जाता है। लाइट का तेज होना बच्चे के लिए परेशानी खड़ी कर सकता है।

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    सेफ बेबी स्लीप (Safe baby sleep)  के लिए ये ध्यान रखना है जरूरी

    बच्चे अक्सर पीठ के बल सोना पसंद करते हैं। कई बार वो पलट कर पेट के बल भी सो सकते हैं। सेफ बेबी स्लीप के लिए जरूरी है कि बच्चा बैक पुजिशन में लेटे। जब बच्चा सो रहा हो तो ये ध्यान रखें कि किसी भी कारण से उसे सांस लेने में दिक्कत न हो रही हो। कुछ लोग बच्चे को कबंल या ब्लैकेंट से ढंक देते हैं। ऐसा करने से बच्चे को सांस लेने में दिक्कत हो सकती है। साथ ही सोते समय बच्चे के पास खिलौने, कपड़े या फिर अन्य सामान नहीं रखे होने चाहिए। न चाहते हुए भी कुछ सामान बच्चे के आसापास इकट्ठा हो जाते हैं और फिर बच्चे को सांस लेने में दिक्कत हो जाती है। बच्चा सोते समय सांस की समस्या होने पर कुछ भी इशारा नहीं कर सकता है। ऐसे में पेरेंट्स को ही इस बात का ध्यान रखना होगा कि सेफ बेबी स्लीप के समय किस बात का ध्यान रखना चाहिए।

    सेफ बेबी स्लीप (Safe baby sleep)  के लिए सही पुजिशन

    शिशु का पीठ के बल सोना सबसे सुरक्षित माना जाता है। बच्चे को इस पुजिशन में नींद तो अच्छी आती ही है, साथ ही वह आरामदायक भी महसूस करता है। यूएस के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ चाइल्ड हेल्थ एंड ह्यूमन डेवलपमेंट के अनुसार ने पीठ के बल सोने को सबसे बेहतरीन पुजिशन बताया है। छोटे नैप या गहरी नींद के लिए यह पुजिशन ठीक है। सेफ बेबी स्लीप के लिए  पेट के बल सोना सही नहीं होता है। ऐसे में बच्चे का शरीर नीचे की ओर दबता है। मुख्य रूप से जबड़ा दबता है। इससे नवजात को सांस लेने में परेशानी हो सकती है और घुटन महसूस हो सकती है। अगर बच्चा गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स (gastroesophageal reflux) या अन्य पेट की परेशानी से ग्रस्त है तो बच्चे को पेट के बल न सुलाएं।

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    सेफ बेबी स्लीप (Safe baby sleep)  के लिए ये बातें रखें ध्यान

    बच्चे को ऐसी जगह में न सुलाएं, जहां से उनके गिरने का खतरा अधिक रहता हो। बच्चे को बेड पर सुलाते समय भी कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। बेड शेयरिंग के कारण भी कुछ परिस्थितियां गंभीर हो सकती है।

    • अगर बच्चा 4 महीने से छोटा है।
    • आपके बच्चे का जन्म समय से पहले या जन्म के समय कम रहा हो।
    • बिस्तर में कोई अन्य व्यक्ति धूम्रपान करने वाला हो।
    • अगर होने वाली मां बच्चे के सोने के समय स्मोकिंग कर रही हो।
    • अगर बेड शेयरिंग के समय किसी ने शराब पी है तो बच्चे को भी दिक्कत हो सकती है।
    • बेड शेयरिंग के समय बिस्तर के अधिक नरम होने व बिस्तर में अधिर कंबल होने की वजह से खतरा।

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    सेफ बेबी स्लीप (Safe baby sleep)  के लिए शिशु को लपेटते समय रखें ध्यान

    बच्चे को सुलाते समय लपेटना अच्छा रहता है, लेकिन सेफ बेबी स्लीप (Safe baby sleep)  के लिए बच्चों को कसकर लपेटना सही नहीं रहेगा। बच्चे को इस प्रकार से लपेटें कि वो अपने हाथ पैर से मूमेंट कर सके। साथ ही बच्चे के उठ जाने पर उसे थोड़ा सा खोल देना बेहतर रहेगा। सोते समय कसकर लपेट देने से बच्चों को सांस लेने में दिक्कत हो सकती है।

    बच्चे को लपेटने के लिए सूती और सॉफ्ट कपड़े का ही प्रयोग करें। जब भी बच्चे को लपेटे, थोड़ा सा स्पेस जरूर छोड़ दें ताकि बच्चा आसानी से हाथ-पैर को हिला सके। अगर बच्चा हाथ और पैर सही से नहीं हिला पाएगा तो उसे उलझन महसूस हो सकती है। ऐसे में बच्चा रो भी सकता है। इन बातों का ध्यान जरूर रखें।

    सेफ बेबी स्लीप (Safe baby sleep)  के लिए क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए, इस बारे में एक बार अपने डॉक्टर से बातचीत जरूर कर लें। कई बार गलत तरीके अपनाने से सेफ बेबी स्लीप में दिक्कत हो सकती है। अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क करें। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी भी तरह की मेडिकल एडवाइस, इलाज और जांच की सलाह नहीं देता है। हम उम्मीद करते हैं कि आपको सेफ बेबी स्लीप (Safe baby sleep)  से संबंधित ये आर्टिकल पसंद आया होगा।  अगर आपके मन में कोई प्रश्न हो, तो डॉक्टर से जरूर पूछें। आप स्वास्थ्य संबंधी अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है, तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं और अन्य लोगों के साथ साझा कर सकते हैं।

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