के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr Sharayu Maknikar
गर्दन में दर्द होने की वजह से आप काफी परेशान हो सकते हैं। ऐसा तब होता है जब रीढ़ और सॉफ्ट टिशू जैसे मसल, टेंडन और लिगामेंट में किसी तरह की परेशानी हुई हो। हालांकि, इससे ज्यादा परेशानी नहीं होती है लेकिन, जब आपको ऐसी परेशानी अनुभव हो तो अपने डॉक्टर से जरूर मिलना चाहिए। ऐसा भी हो सकता है कि यह किसी और बीमारी या परेशानी का लक्षण हो। इसलिए खुद से इलाज करने से बेहतर है आप हेल्थ एक्सपर्ट से सलाह लें।
यह काफी सामान्य है और किसी को भी हो सकता है। हालांकि कुछ बातों को ध्यान में रखा जाए तो इससे बचा जा सकता है। ज्यादा जानकारी के लिए खुद से इलाज करने से बेहतर है एक्सपर्ट से संपर्क करना चाहिए।
कभी-कभी कुछ लोगों में गर्दन का दर्द हार्ट अटैक के लक्षणों को भी दर्शाता है। हालांकि ऐसी स्थिति में अन्य लक्षण भी नजर आते हैं या पेशेंट महसूस कर सकते हैं। जैसे-
शरीर में हो रहे किसी भी बदलाव को अनदेखा न करें। डॉक्टर को शरीर में होने वाले बदलावों के बारे में बताएं और जांच कराएं।
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गर्दन में दर्द (Neck pain) के क्या हैं?
गर्दन में दर्द होने पर सबसे पहले आपको गर्दन घुमाने में परेशानी होगी, ड्राइविंग और पढ़ने के दौरान परेशानी महसूस होगी। कभी–कभी दर्द इतना तेज होता है की आप सो भी नहीं सकते हैं। गर्दन में दर्द की वजह से सिर में भी दर्द हो सकता है। दर्द कभी–कभी एक महीने तक भी रह सकता है जो आपके हेल्थ के साथ–साथ काम को भी नुकसान पहुंचा सकता है। ऐसा भी हो सकता है कि इन लक्षणों के अलावा कोई और लक्षण आप महसूस कर रहें हों। इसलिए डॉक्टर से संपर्क करना बेहतर होगा।
हमें डॉक्टर से कब मिलना चाहिए?
गर्दन में दर्द होने पर अपने डॉक्टर से मिले या फिर आप सीधे अस्पताल भी जा सकते हैं:
इन परेशानी के दौरान ज्यादा दिनों तक इसे टाले नहीं और डॉक्टर से संपर्क करें।
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गर्दन में दर्द के कारण निम्नलिखित हो सकते हैं। जैसे:
ऊपर दिये गये कारणों के साथ-साथ अन्य कारण भी गर्दन में दर्द होने की संभावना हो सकती है। कभी-कभी इन कारणों के अलावा अन्य कारण भी हो सकते हैं।
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गर्दन में दर्द होने के कई कारण हो सकते हैं और कुछ कारणों की वजह से दर्द और ज्यादा बढ़ भी सकता है। उन कारणों में शामिल है–
इन कारणों के अलावा गर्दन में दर्द के कई अन्य कारण भी हो सकते हैं। जैसे-
रहूमटॉइड आर्थराइटिस: रहूमटॉइड आर्थराइटिस की वजह से जोड़ों में दर्द या हड्डी संबंधित परेशानी होना। यही परेशानी जब गर्दन में हो तो गर्दन में दर्द की परेशानी शुरू हो सकती है।
ऑस्टियोपोरोसिस: हड्डियों के कमजोर होने की वजह से फ्रेक्चर होने की संभावना बढ़ जाती है। ऐसा ज्यादातर हाथ या घुटनों में हो सकता है लेकिन, यह परेशानी कभी-कभी गर्दन में भी हो सकती है। जिससे गर्दन में दर्द होने की संभावना बढ़ जाती है।
फाइब्रोमायल्जिया: फाइब्रोमायल्जिया होने की स्थिति में मसल्स में दर्द होना और ऐसा खासकर गले और कंधे में दर्द होता है।
यह भी ध्यान रखें की जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है वैसे-वैसे सर्वाइकल डिस्क डिजेनरेट हो सकते हैं। इस स्थिति को गर्दन का स्पॉन्डिलाइटिस या ऑस्टियोआर्थराइटिस कहते हैं। ऐसी स्थिति में वर्टिब्रा के बीच की स्पेस कम हो जाते हैं। इससे जोड़ों पर अत्यधिक दवाब पड़ता है।
इन कारणों के अलावा अन्य कारण भी हो सकते हैं। जैसे-
शरीर से जुड़ी कोई भी परेशानी होने पर खुद से इलाज न करें। शरीर में हो रहे नकारात्मक बदलाव को नजरअंदाज न करें और जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करें।
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दी गई जानकारी किसी भी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। ज्यादा जानकारी के लिए बेहतर होगा की आप अपने चिकित्सक से संपर्क करें।
दर्द का इलाज करने से पहले यह जानना बहुत जरूरी की किन कारणों से दर्द हुआ है। डॉक्टर आपको दर्द वाली जगह पर 2 से 3 दिनों तक आइस पैक से सेकनी की सलाह दे सकते हैं। नॉनस्टेरॉयड एंटी–इंफ्लेमेंटरी ड्रग (NSAIDs) दर्द से राहतदिलाने में कारगर है।
आपको आराम करने की सलाह दी जा सकती है। अत्यधिक दर्द होने पर आपको स्टेरॉयड (lidocaine) इंजेक्शन दी जा सकती है। डीप–हीट ट्रीटमेंट और फिजिओथेरिपी की मदद से भी इसे ठीक किया जा सकता है।
डॉक्टर आपको एक्स-रे (X-ray), MRI और CT स्कैन (CT Scan) करवाने की सलाह दे सकते हैं। दर्द की वजह से कभी–कभी नसों पर दबाव पड़ सकता है, जिससे हाथों में कमजोरी, दर्द, सुन्नता या झुनझुनी महसूस हो सकती है।
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अगर आपके मन में इस बीमारी से जुड़ी किसी तरह के कोई सवाल हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी भी तरह की मेडिकल एडवाइस, इलाज और जांच की सलाह नहीं देता है।
हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।
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