के द्वारा एक्स्पर्टली रिव्यूड डॉ. पूजा दाफळ · Hello Swasthya
पोलिमेल्जिया रुमेटिका एक इन्फ्लामेट्री डिसऑर्डर है जिसके कारण मांसपेशियों में दर्द और अकड़न की शिकायत होती है। यह खासतौर पर कंधे, गर्दन, हिप और बांह की मांसपेशियों को प्रभावित करता है। इसके लक्षण बहुत जल्दी दिखने लगते हैं और सुबह के समय दर्द और अकड़न और बढ़ जाती है। पोलिमेल्जिया रुमेटिका आमतौर पर बुज़ुर्गों को होता है। यह 65 साल से अधिक उम्र में व्यक्तियों में अधिक होता है, लेकिन दुर्लभ मामलों में 50 की उम्र में भी पोलिमेल्जिया रुमेटिका (Polymyalgia Rheumatica) हो सकता है।
पोलिमेल्जिया रुमेटिका एक अन्य इंफ्लामेट्री डिसऑर्डर जायंट सेल आर्टरीज से संबंधित है। जिसकी वजह से सिरदर्द (Headache), देखने में परेशानी, जबड़े में दर्द आदि की समस्या होती है। संभव है कि आपको पोलिमेल्जिया रुमेटिका और जायंट सेल आर्टरीज की समस्या एक साथ हो। पोलिमेल्जिया रुमेटिका (Polymyalgia Rheumatica) से पीड़ित कुछ लोगों में टेम्परल आर्टरीज की भी समस्या पाई गई है जिसकी वजह से खोपड़ी, गर्दन और बांह की रक्त वाहिकाओं में सूजन हो जाती है। इसके कारण सिरदर्द, जबड़े में दर्द, देखने में परेशानी हो सकती है।
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पोलिमेल्जिया रुमेटिका के लक्षण जोड़ों और आस-पास के ऊतकों की सूजन से शुरू होते हैं। इसके लक्षण धीरे धीरे शुरू होते हैं और समय के साथ बदतर होते चले जाते हैं। गर्दन और कंधे में दर्द (Shoulder pain) और अकड़ने पोलिमेल्जिया रुमेटिका का सामान्य लक्षण हैं। दर्द और अकड़ने धीरे-धीरे शरीर के अन्य हिस्से में फैल जाती है जैसे कंधा, हिप्स और जांघ। सुबह के समय दर्द ज्यादा परेशान करता है। ये लक्षण शरीर को दोनों तरफ से प्रभावित करते हैं। पोलिमेल्जिया रुमेटिका के अन्य लक्षणों में शामिल हैः
पोलिमेल्जिया रुमेटिका के लक्षण बहुत जल्दी विकसित हो जाते हैं, आमतौर पर कुछ दिनों के अंदर। कुछ मामलों में यह एक रात में ही दिख सकते हैं। सुबह के समय यह गंभीर होता है, लेकिन धीरे-धीरे अकड़न और दर्द कम होने लगता है। जो लोग बैठे रहते हैं यानी लंबे समय तक कोई एक्टिविटी नहीं करते हैं उनके लक्षण और गंभीर हो जाते हैं।
पोलिमेल्जिया रुमेटिका (Polymyalgia Rheumatica) अन्य गंभीर स्थिति आर्टेड्राइिस के साथ हो सकता है, जो खतरनाक साबित हो सकता है। लगातार सिरदर्द, दृष्टि में बदलाव या जबड़े में दर्द आदि इसके संकेत हो सकते हैं।
आपको डॉक्टर के पास जाने की जरूरत है यदि आपको दर्द और अकड़न शरीर के किसे हिस्से में अचानक से होने लगे। ठीक से नींद न आए या आपको अपने रोजमर्रा के सामान्य काम करने में भी परेशानी हो जैसे कपड़े पहनना।
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पोलिमेल्जिया रुमेटिका के सटीक कारणों का पता नहीं चल सका है, लेकिन तो कारकों को इसके विकास के लिए जिम्मेदार माना जाता हैः
अनुवांशिक (Genetic)- कुछ जींस और जींस की विविदता पोलिमेल्जिया रुमेटिका की संभावना को बढ़ा देते हैं।
इनवायरमेंटल एक्पोजर (Environmental Exposure)- पोलिमेल्जिया रुमेटिका के कुछ मामले किसी खास मौसम चक्र में सामने आते हैं जिससे यह पता चलता है कि इनवायरमेंटल एक्पोजर इसे प्रभावित करता है, जैसे कोई वायरस इसके लिए जिम्मेदार हो सकता है, लेकिन अभी तक किसी खास तरह के वायरस की पहचान नहीं की जा सकी है जिससे पोलिमेल्जिया रुमेटिका होता है।
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पॉलिमायाल्जिया रूमैटिका का पता लगाना थोड़ा कठिन है। क्योंकि इसके लक्षण गठिया की तरह होते हैं। जिसमें जोड़ों, मांसपेशियों और हड्डियों में दर्द रहता है।
परीक्षण के दौरान गतिविधि की सिमा का पता लगाने के लिए डॉक्टर आराम से आपकी गर्दन, हाथों और पैरों को हिलाने की कोशिश करेंगे। जिसका पता लगाने के लिए डॉक्टर आपको ब्लड टेस्ट कराने के लिए कहते हैं। इसके अलावा आपको एरेथ्रोसाइट सेडिमेंटेशन रेट, सी-रिएक्टिव प्रोटीन और सीआरपी टेस्ट करवाने की भी सलाह दी जा सकती है। लेकिन इन टेस्ट से भी पॉलिमायाल्जिया रूमैटिका (Polymyalgia Rheumatica) का पता लगाना थोड़ा मुश्किल होता है। क्योंकि टेस्ट में रूमेटाइड आर्थराइटिस जैसी समस्याएं भी सामने आती हैं।
आपके डॉक्टर जोड़ों और ऊतकों में सूजन का पता लगाने के लिए अल्ट्रासाउंड करवाने के लिए कहेंगे। अल्ट्रासाउंड में उच्च तरंगों वाली साउंड रेडिएशन की मदद से शरीर के अलग-अलग अंगों के सॉफ्ट टिशू की विस्तृत तस्वीर बनाई जाती है। इसकी मदद से पॉलिमायाल्जिया रूमैटिका और टेम्पोरल आर्टेराईटिस के बीच अंतर करने में मदद मिलती है।
पॉलिमायाल्जिया रूमैटिका (Polymyalgia Rheumatica) और टेम्पोरल आर्टेराईटिस के बीच संबंध होने के कारण आपके डॉक्टर बायोप्सी करवाने की भी सलाह दे सकते हैं। बायोप्सी एक सुरक्षित प्रक्रिया है जिसमें धमनियों के ऊतकों का छोटा-सा नमूना निकाला जाता है।
इसके बाद नमूने को टेस्ट के लिए लैब भेज दिया जाता है जहां सूजन के लक्षणों की जांच की जाती है। बायोप्सी केवल तभी की जाती है जब डॉक्टर को रक्त वाहिकाओं में सूजन के लक्षण दिखाई देते हैं।
पोलिमेल्जिया रुमेटिका के जोखिम कारकों में शामिल हैः
उम्र- पोलिमेल्जिया रुमेटिका का खतरा उम्रदराज लोगों को अधिक होती है। आमतौर पर 70 से 80 साल के लोग इससे अधिक प्रभावित होते हैं।
लिंग- पुरुषों की तुलना में महिलाओं में पोलिमेल्जिया रुमेटिका के विकसित होने का खतरा 2 से 3 गुना अधिक होता है।
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पोलिमेल्जिया रुमेटिका रोजमर्रा की गतिविधियों को करने की आपकी क्षमता को बहुत प्रभावित कर सकता है, जैसे:
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पोलिमेल्जिया रुमेटिका के लक्षण अन्य इंफ्लामेट्री कंडिशन जैसे लूपस और आर्थराइटिस के समान ही होते हैं। डॉक्टर सटीक निदान के लिए आपका शारीरिक परीक्षण करने के साथ ही सूजन और रक्त की असमान्यताओं की जांच के लिए दूसरे टेस्ट भी करता है।
परीक्षण के दौरान डॉक्टर के आपकी गर्दन, बांह, कंधे और पैर को घुमाकर इसकी मोशन रेंज जांचता है। यदि डॉक्टर को पोलिमेल्जिया रुमेटिका का संदेह होता है शरीर में सूजन के लक्षणों की जांच के लिए वह बल्ड टेस्ट करता है। इन टेस्ट में आपके एरिथ्रोसाइट सेडिमेन्टेशन रेट और सी रिएक्टिव प्रोटीन लेवल को मापा जाता है। आमतौर पर हाई सेडिमेन्टेशन रेट और बढ़ा हुआ सी रिएक्टिव प्रोटीन लेवल बताता है कि सूजन है।
मसल्स जॉइंट्स (Muscle joints) और टिशू में सूजन की जांच के लिए डॉक्टर अल्ट्रासाउंड करता है। अल्ट्रासाउंड (Ultrasound) में हाई फ्रिक्वेंसी साउंड वेव्स की मदद से शरीर के अलग-अलग हिस्सों के सॉफ्ट टिशू की विस्तृत तस्वीर बनाई जाती है, इससे पोलिमेल्जिया रुमेटिका और अन्य स्थितियों में अंतर करना आसान हो जाता है।
पोलिमेल्जिया रुमेटिका और टेम्परल आर्टरीज (Temporal arteries) में काफी समानता होती है इसलिए डॉक्टर बायोप्सी (Biopsy) भी कर सकता है। यह बहुत सामान्य होती है और किसी तरह का जोखिम नहीं होता है। इसमें टिशू का सैंपल लेकर जांच के लिए भेजा जाता है। वैसे बायोप्सी तभी की जाती है जब डॉक्टर को इस बात का संदेह हो कि सूजन आपकी रक्त वाहिका में है।
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पोलिमेल्जिया रुमेटिका (Polymyalgia rheumatica) का कोई उपचार नहीं है, लेकिन इसके लक्षणों का उपचार जरूर किया जाता है। सही समय पर लक्षणों के उपचार से पोलिमेल्जिया रुमेटिका को ठीक किया जा सकता है। डॉक्टर आपके लक्षणों जैसे दर्द, अकड़न, सूजन, बुखार, थकान आदि का इलाज कुछ एंटी इन्फ्लामेट्री दवाओं और एक्सरसाइज की मदद से करता है।
दवाएं- एंटी इंफ्लामेट्री दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें प्रेडनिसोन जैसे कॉर्टिकोस्टेरॉइड शामिल है। स्टेरॉयड ट्रीटमेंट के दौरान सूजन पर होने वाले असर को ESR जैसे ब्लड टेस्ट (Blood test) और सी-रिएक्टिव प्रोटीन लेवल से मॉनिटर किया जाता है। इस तरह से उपचार से मरीज जल्दी ठीक हो जाता है। दुर्लभ मामलों में कुछ अन्य दवाओं का भी इस्तेमाल किया दाता है। यदि पोलिमेल्जिया रुमेटिका गंभीर नहीं है तो नॉन स्टेरॉयड एंटी इन्फ्लामेट्री दवां जैसे आईबूप्रोफेन और नैपरोक्सेन ही काफी होते हैं।
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एक्सरसाइज- उपचार के लिए डॉक्टर आपको नियमित रूप से एक्सरसाइज की सलाह देते हैं। दरअसल, एक्सरसाइज की सलाह इसलिए दी जाती है ताकि मांसपेशियों का लचीलापन, मजबूत और मूवमेंट ठीक तरह से होता रहे। व्यक्ति की स्ट्रेंथ और संपूर्ण स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए डॉक्टर उनके लिए एक्सरसाइज प्लान बताते हैं जिसें साइकलिंग से लेकर वाकिंग तक शामिल हो सकता है।
जैसा कि पहले ही बताया जा चुका है कि इस रोग में कंधे, गर्दन और हिप्स में जकड़न रहती है। लेकिन, आप अपनी लाइफस्टाइल को बदल कर इस ऑटोइम्यून डिजीज के साथ आराम से जी सकते हैं। अगर आपकी लाइफस्टाइल खराब रही तो आपको हाई ब्लड प्रेशर, हाई ब्लड शुगर लेवल, वजन बढ़ना, अनिद्रा, ऑस्टियोपोरोसिस, मोतियाबिंद जैसी समस्या हो सकती है। इसलिए आप डॉक्टर से रूटीन चेकअप हर महीने कराते रहें। साथ ही डॉक्टर द्वारा दी गई दवा को नियमित रूप से खाते रहें।
इलाज की प्रक्रिया के दौरान दुष्प्रभावों की आशंका को कम करने के लिए डॉक्टर आपको कैल्शियम और विटामिन डी सप्लीमेंट का सेवन करने की सलाह दे सकते हैं। इसके साथ ही डॉक्टर आपकी स्ट्रेंथ और मोशन की रेंज को बढ़ाने के लिए शारीरिक व्यायाम करने की भी सलाह देंगे।
स्वस्थ जीवनशैली को अपनाने से भी दुष्प्रभावों को आशंका को कम करने में मदद मिलती है। स्वस्थ आहार के साथ नमक का कम सेवन करने से ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है। रोजाना नियमित व्यायाम करने से शरीर की हड्डियां और मांसपेशियां मजबूत बनी रहती हैं और वजन भी नहीं बढ़त है।
आपके डॉक्टर इलाज की पूरी प्रक्रिया के दौरान आपको अच्छे से मॉनिटर करेंगे और समय-समय पर ब्लड टेस्ट करवाने के लिए भी कहेंगे। इसकी मदद से आपके कोलेस्ट्रॉल और ब्लड शुगर के स्तर के बारे में पता चलेगा। इसके साथ ही डॉक्टर आपको आंखों के परीक्षण की भी सलाह दे सकते हैं।
आपको ऑस्टियोपोरोसिस के लक्षणों की जांच के लिए जरूरत पड़ने पर बोन डेंसिटी टेस्ट भी करवाना पड़ सकता है।
इलाज की प्रक्रिया के साथ लक्षणों में सुधार आने पर डॉक्टर 3 से 4 हफ्तों के बाद आपकी दवाओं की खुराक को कम करने लगेंगे।
इम्यून सिस्टम को दुरुस्त रखने के लिए आपको अपनी डायट सुधारनी होगी। इसके लिए आपको अपने खाने में हेल्दी फैट्स को शामिल करना होगा। खास कर के आपको ओमेगा-3 (Omega 3) की मात्रा को अपने डायट में शामिल करना चाहिए। निम्न फूड्स में ओमेगा-3 पाई जाती है :
इसके अलावा अन्य फूड्स जो आपको दर्द से राहत दिलाएंगे :
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इसके अलावा खूब पानी पिएं, क्योंकि पानी सौ मर्ज की एक दवा है। पानी पीने से आपके शरीर के टॉक्सीन बाहर आते रहते हैं, जिससे आपको दर्द से राहत मिल सकती है।
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पॉलिमायाल्जिया रूमैटिका में कुछ फूड्स को नहीं खाना चाहिए इससे आपकी बीमारी बद से बदतर हो जाएगी।
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पॉलिमायाल्जिया रूमैटिका के लक्षण रोजाना की गतिविधियों में बाधा डाल सकते हैं । खासतौर से यदि स्थिति का इलाज ना करवाया जाए। इलाज न करवाने पर दर्द और अकड़न बढ़ती जा सकती है जिसके कारण अंग गंभीर रूप से गतिहीन बन सकता है।
धीरे-धीरे आपको आसान कामों में भी मुश्किलें आने लगेंगे, जैसे की नहाना, कपड़े पहनना और बाल बनाना। इसके कारण जोड़ की समस्या बड़ने लगती है और फ्रोजन शोल्डर होने का खतरा बढ़ जाता है।
पॉलिमायाल्जिया रूमैटिका (Polymyalgia rheumatica) से ग्रस्त लोगों में पेरीफेरल आर्टरी डिजीज होने का खतरा भी अधिक होता है। इस स्थिति में ब्लड सर्कुलेशन अनियंत्रित हो जाता है जिससे पैरों में दर्द और अल्सर की समस्या उतपन्न होने लगती है।
उम्मीद करते हैं आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। हैलो हेल्थ के इस आर्टिकल में पोलिमेल्जिया रुमेटिका से जुड़ी जानकारी दी गई है। यदि आपका इस लेख से जुड़ा कोई प्रश्न है तो आप कमेंट सेक्शन में पूछ सकते हैं। हम अपने एक्सपर्ट्स द्वारा आपके प्रश्न के उत्तर दिलाने का पूरा प्रयास करेंगे। यदि आप इससे जुड़ी अधिक जानकारी पाना चाहते हैं तो, इसके लिए आप डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।
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