धूम्रपान और तनाव (Smoking and Stress)
इस तेजी से भागती दुनिया में, तनाव होना नॉर्मल माना जाता है। काम से रिश्तों तक और तनाव से राहत के लिए के लिए लोग स्मोकिंग करते हैं जिससे उन्हें उस समय के लिए आराम महसूस होता है। इसे ‘सेल्फ मेडिकेशन‘ कहा जाता है।
धूम्रपान और चिंता (Smoking and Anxiety)
धूम्रपान निश्चित रूप से आपके तनाव को कम करता है और आपको आराम पहुंचाता है, लेकिन यह पूरी तरह से अस्थायी है। धूम्रपान आपके तनाव को दिन प्रतिदिन खराब करता जाता है। ये तनाव चिंता में बदल जाता है। निकोटीन शांति और सहजता की एक त्वरित भावना पैदा करता है, इसलिए लोग हर बार धूम्रपान करते हैं। इस वजह से जब भी उनके सामने कोई चुनौती या तनाव की स्थिति आती है तो वे इसका सामना करने के लिए धूम्रपान करते हैं।
जब कोई व्यक्ति धूम्रपान की आदत छोड़ने की कोशिश करता है, तो मस्तिष्क निकोटीन को वापस पाने की महसूसता कराता है। इसके बाद आपको सिगरेट पीने की क्रेविंग यानी मन होने लगता है। मस्तिष्क बार—बार आपको धूम्रपान करने के लिए कहता है।
धूम्रपान और अवसाद (Smoking and Depression)
जो लोग अवसाद से पीड़ित हैं उन्हें धूम्रपान की लत लगने का खतरा अधिक है निकोटीन के परिणामस्वरूप मस्तिष्क में एक अच्छा महसूस कराने वाला रसायन – डोपामाइन निकलता है। डोपामाइन सकारात्मक और खुशहाल भावना का संकेत देता है। यह अवसाद वाले लोगों में आम लोगों की तुलना में काफी कम पाया जाता है, इसलिए वे उसी के लिए सिगरेट की मदद लेते हैं।
धूम्रपान करने से दिमाग डोपामाइन बनाने के लिए अपनी आंतरिक प्रक्रिया को बंद कर देता है। इसलिए जैसे—जैसे डोपामाइन की आपूर्ति कम होती जाती है तो लोग धूम्रपान को अपने दैनिक जीवन का एक प्रमुख हिस्सा बना लेते हैं।
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