प्रीटर्म लेबर:- प्रेग्नेंसी के दौरान प्रीटर्म लेबर एक तरह का कॉम्प्लिकेशन है, जिसे आम परेशानी समझी जाती है। किसी भी कारण
प्रेग्नेंसी के 32वें हफ्ते से
प्रेग्नेंसी के 35वें सप्ताह से पहले शिशु के जन्म की स्थिति होना या शिशु के शारीरिक अंगों का विकास न हो पाना। ऐसी स्थिति होने पर गर्भावस्था के दौरान बेटनेसोल
इंजेक्शन डिलिवरी के समय दी जाती है। गायनोकोलॉजिस्ट डिलिवरी के 24 घंटे पहले या गर्भावस्था के 34 हफ्ते के पहले बेटनेसोल इंजेक्शन देते हैं।
फीटस फेब्रिक्स टेस्ट:- फीटस फेब्रिक्स टेस्ट (FFT) प्रेग्नेंसी के दौरान अगर गर्भावस्था में फाइब्रॉइड की समस्या होने पर मिसकैरिज या गर्भपात या गर्भ में दो या दो से ज्यादा होने की स्थिति में बेटनेसोल इंजेक्शन दी जाती है। गर्भावस्था के दौरान बेटनेसोल इंजेक्शन कितनी दी जाएगी यह गर्भवती महिला की शारीरिक स्थिति को देखते हुए डॉक्टर तय करते हैं। हाई रिस्क प्रेग्नेंसी के दौरान भी इस इंजेक्शन की संभावना बढ़ जाती है।
इन्फेंट लंग डेवलपमेंट:- डिलिवरी के बाद अगर नवजात के लंग्स (फेफड़े) का विकास ठीक तरह से नहीं होने की स्थिति में शिशु को बेटनेसोल इंजेक्शन दी जा सकती है। दरअसल, इसका इस्तेमाल समय से पहले जन्मे बच्चे में इंट्राक्रेनियल हेमोरेजिंग और अन्य शारीरिक खतरों को कम करने के लिए किया जा सकता है।
गर्भवती महिला के मेडिकल हिस्ट्री की जांच के बाद उसकी डोसेज निर्धारित की जाती है। आपका डॉक्टर आपके केस की हिस्ट्री समझने के बाद ही आगे की कार्रवाई करेगा। अगर आपके डॉक्टर को कोई समस्या होने की आशंका होती है, तो वह इंजेक्शन की सलाह दे सकता है। इसलिए, यह भी बेहद जरूरी है कि आप अपने डॉक्टर से इस इलाज के फायदे और नुकसान भी जान लें।