क्या प्रेग्नेंसी में अस्थमा होने पर मैं इन्हेलर का इस्तेमाल कर सकती हूं?
सबसे पहले तो कोशिश करें की गर्भ धारण करने से पहले ही अपनी अस्थमा की समस्या को नियंत्रित कर लें। आपकी अस्थमा को कंट्रोल करने वाली सारी दवाओं की निर्देशित मात्रा का इस्तेमाल निर्धारित समय पर करें, क्योंकि प्रेग्नेंसी में अस्थमा के लिए दवाओं का इस्तेमाल करना या इन्हेलर का इस्तेमाल करना बच्चे के जीवन को जोखिम भरा बना सकता है।
हालांकि, प्रेग्नेंसी में अस्थमा के दौरान आपके लिए और गर्भ में पल रहे शिशु के लिए निम्न इन्हेलर का इस्तेमाल करना सुरक्षित हो सकता है, जिनमें शामिल हैंः
- लेवलब्युटेरोल (Levalbuterol)
- पाइब्यूटेरोल (Pirbuterol)
- इप्राट्रोपियम (Ipratropium)
ऊपर बताए गए किसी भी तरह की दवा का इस्तेमाल करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लें। साथ ही, अगर आप प्रेग्नेंसी में किसी भी अन्य तरह की दवा या विटामिन्स का सेवन करती हैं, तो उसके बारे में भी अपने डॉक्टर को बताएं। उनसे पूछें की प्रेग्नेंसी की दवाओं के साथ इन्हेलर का इस्तेमाल करना कितना सुरक्षित है और यह किसी तरह के इंट्रैक्शन कर सकती हैं।
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गर्भावस्था में अस्थमा: प्रेग्नेंसी में अस्थमा का प्रभाव बच्चे पर कम करने के लिए मुझे क्या करना चाहिए?
प्रेग्नेंसी में अस्थमा की समस्या का प्रभाव आपके शिशु पर न हो, इसके लिए आपको निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए, जिनमें शामिल हैंः
- आपके अस्थमा की समस्या को बढ़ाने वाले कारकों की पहचान करें और उन कारकों को कम करने के तरीकों के बारे में अपने डॉक्टर से बात करें।
- समय-समय पर अपने अस्थमा की जांच करवाते रहें।
- अगर आपके अस्थमा (दमा) का कारण एलर्जी से संबंधित है, तो एलर्जी से दूर रहें। ऐसी स्थिति में आपको पालतू जानवरों, धूल और धुएं वाली जगहों में नहीं जाना चाहिए।
प्रसव और ब्रेस्टफींडिग के दौरान अस्थमा की दवा का इस्तेमाल करना
सामान्य तौर पर, प्रेग्नेंसी में अस्थमा की दवाएं ब्रेस्टफीडिंग के लिए सुरक्षित मानी जाती हैं। हालांकि, इसके बारे में आपका डॉक्टर आपको उचित सलाह दे सकते हैं। जैसे, अस्थमा की दवाओं का सेवन करने के कितनी देर बाद आप बच्चे को स्तनपान करवा सकती हैं।
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प्रेग्नेंसी के दौरान अस्थमा होने के लक्षण क्या हैं?
निम्न स्थितियां प्रेग्नेंसी के दौरान अस्थमा होने का लक्षण हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैंः
- प्रेग्नेंट महिला को सीने में जकड़न महसूस करना
- सांस लेने में बहुत ज्यादा तकलीफ महसूस करना, साथ ही बहुत ज्यादा खांसी आने की समस्या होना
- सामान्य दिनों के मुकाबले प्रेग्नेंसी में बहुत ज्यादा और बहुत जल्दी थकान महसूस करना।
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प्रेग्नेंसी में अस्थमा का प्रभाव कम करने के लिए मुझे किस तरह के आहार खाने चाहिए?
प्रेग्नेंसी और अस्थमा से जुड़े की शोधों में यह पाया गया है कि, विटामिन सी और विटामिन ई, बीटा-कैरोटीन, फ्लेवोनोइड्स, मैग्नीशियम, सेलेनियम और ओमेगा -3 फैटी एसिड से भरपूर आहार लेने वालों में अस्थमा होने का जोखिम बहुत कम होता है। साथ ही, इस तरह के आहार लेने से अस्थमा की दर को भी कम किया जा सकात है। इन पदार्थों में ऐसे कई एंटीऑक्सिडेंट होते हैं, जो कोशिकाओं को अस्थमा के कारण होने वाले नुकसान से बचाते हैं। साल 2007 में किए गए अध्ययन में यह भी पाया गया कि, ऐसे युवा जिनके आहार में विटामिन सी, ई और ओमेगा -3 फैटी एसिड की मात्रा बहुत कम होती है, उन्हें फेफड़े के फंक्शन होने की सबसे अधिक संभावना हो सकती है। इसके अलावा अस्थमा की दर को कम करने के लिए नट्स और अंगूर, सेब, टमाटर जैसे फलों का सेवन करना भी लाभकारी हो सकता है।
क्या मेरे कारण मेरे बच्चे को भी अस्थमा हो सकता है?
अस्थमा की समस्या एक बच्चे को अनुवांशिक स्थिति के तौर पर भी मिल सकती है। अगर बच्चे की मां या पिता को अस्थमा की समस्या है, तो इसकी संभवना अधिक होती है कि बच्चे को भी दमा की समस्या हो सकती है। हालांकि, ऐसे कई अध्ययनों में इसकी पुष्टि भी की गई है कि, अगर किसी महिला को प्रेग्नेंसी से पहले या प्रेग्नेंसी में अस्थमा की समस्या है, तो उसके बच्चे को अस्थमा होने की संभावना बहुत ही कम हो सकती है। बच्चे में अस्थमा की समस्या खासतौर पर पिता की स्थिति पर निर्भर करता है।
उपरोक्त जानकारी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से परामर्श जरूर करें।