बच्चे की सोच पर पड़ता है प्रभाव (Impact on child thinking)
कुछ अध्ययनों में यह पाया गया है कि जो जब मां अपने बच्चे तो गोद में बिठाकर खेलती है, तो बच्चे के ब्रेन में ऑक्सीटोसीन नामक हॉर्मोन का स्तर बढ़ जाता है। यह हॉर्मोन सुख और संतुष्टि प्रदान करता है। मां के स्पर्श से बच्चे में ऑक्सीटोसीन का रिसाव होता है जिससे बच्चे का मन शांत रहता है। इससे आपका बच्चा दूसरों के प्रति काफी दोस्ताना व्यवहार रख सकता है। यही कारण है कि बच्चे को जन्म के तीन महीनों तक अलग लेटाने के लिए मना किया जाता है। कुछ महिलाएं शुरू से बच्चे को पालने में सुलाने की आदत डालती हैं। ऐसा न करें। इस अवधि के दौरान बच्चे के मस्तिष्क का विकास होता है।
कंगारू मदर केयर भी भारत में शुरू किया गया
मां के स्पर्श से शिशु को किस तरह से लाभ मिल सकता है, इसके लिए देश में कंगारू मदर केयर की सुविधा भी शुरू की गई है। इसमें शिशु का उपचार डॉक्टर या नर्स की बजाय खुद ही मां करती हैं। हालांकि, उन्हें डॉक्टर या नर्स द्वारा निर्देशत किया जाता है। कंगारू मदर केयर की सुविधा समय पूर्व जन्मे और कम वजन के बच्चों के उपचार के लिए शुरू की गई है। इसकी सुविधा देश के अलग-अलग हिस्सों में शुरू भी हो गई है। इस नई विधि में मां डॉक्टर की देखरेख में अपने बच्चे का स्वयं उपचार करेगी। अभी तक कंगारू मदर केयर की सुविधा सिर्फ ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और कई अफ्रीकी देशों में ही देखी गई है। जहां पर इसके परिणाम काफी अच्छे पाए गए हैं।
और पढ़ेंः बेबी बर्थ अनाउंसमेंट : कुछ इस तरह दें अपने बच्चे के आने की खुशखबरी
भारत में इन राज्यों में शुरू हो चुका है कंगारू मदर केयर
- बिहार (Bihar)
- ओडिशा (Orissa)
- राजस्थान (Rajasthan)
- मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh)
- दिल्ली (Delhi)
- महाराष्ट्र (Maharashtra)
कैसे होता है कंगारू मदर केयर से बच्चे का इलाज? (How does a kangaroo mother care treat a child?)
कंगारू मदर केयर की प्रक्रिया के दौरान सबसे पहले विशेषज्ञ स्वास्थ्यकर्मियों को इसके बारे में प्रशिक्षित करते हैं। इन केंद्रों में गंभीर बीमार बच्चों के उपचार के लिए शिशु गहन चिकित्सा केंद्र (एनआईसीयू) भी बनाया गया है। इसके एक कमरे में केएमकेसी की प्रक्रिया शुरू की जाती है जहां कम वजन के बच्चों को रखा जाता है। ऐसे बच्चों को उनकी मां उस कमरे में वीडियो से अपने सीने से हर एक घंटे पर चिपका कर रखती हैं।