एडिक्शन एक जटिल समस्या है जिसे दूर करना बहुत मुश्किल हो सकता है। जब आप किसी चीज के आदी हो जाते हैं, तो आप चुनने की स्वतंत्रता खो देते हैं।
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4.इंसुलिन (Insulin)
इंसुलिन एक बेहद महत्वपूर्ण हॉर्मोन है जो एनर्जी स्टोरेज को रेगुलेट करने मदद करता है। इसके एक कार्य में फैट कोशिकाओं को फैट को स्टोर करने के लिए प्रोत्साहित करना और वे जिस फैट को कैरी कर रही हैं उसे होल्ड पर रखना शामिल है। वेस्टर्न डायट ओवरवेट और ओबेसिटी का सामना कर रहे लोगों में इंसुलिन रेजिस्टेंस को प्रमोट करती है। जिससे पूरी बॉडी में इंसुलिन का लेवल बढ़ जाता है जिससे एनर्जी उपयोग के लिए उपलब्ध होने की जगह फैट कोशिकाओं में इकठ्ठा हो जाती है।
जबकि मोटापे में इंसुलिन की भूमिका विवादास्पद है, कई अध्ययनों से पता चलता है कि मोटापे के विकास में उच्च इंसुलिन के स्तर की एक महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इंसुलिन के लेवल को कम करने का एकमात्र तरीका सिंपल और रिफाइंड कार्ब्स को कम करना और फायबर इंटेक को बढ़ाना है। इस प्रकार इंसुलिन को भी मोटापे के कारण में जगह दी जाती है।
5.अग्रेसिव मार्केटिंग (Aggressive marketing)
जंक फूड प्रोड्यूर्स मार्केटिंग में बहुत अग्रेसिव रहते हैं। उनकी रणनीति कई बार अनैतिक हो सकती है और वे कभी-कभी बहुत अनहेल्दी प्रोडक्ट्स को हेल्दी प्रोडक्ट्स के रूप में बेचने की कोशिश करते हैं। ये कंपनियां भ्रामक दावे भी करती हैं। इससे भी बुरी बात यह है कि वे अपनी मार्केटिंग को विशेष रूप से बच्चों के लिए टार्गेट करती हैं।
आज की दुनिया में, बच्चे मोटापे का विकास कर रहे हैं और डायबिटीज और जंक फूड के आदी हो रहे हैं, जब तक कि वे इन चीजों के बारे में निर्णय लेने में सक्षम नहीं हैं। यह भी मोटापे के कारण में एक है।
6.कुछ दवाएं (Certain Medicine)

कई फार्मासुटेकल दवाओं के साइड इफेक्ट्स के रूप में वजन बढ़ना सामने आता है। उदाहरण के तौर पर एंडीडिप्रेसेंट्स वजन के बढ़ने से लिंक है। डायबिटीज की दवाएं और एंटीसायकोटिक्स भी इसमें शामिल है। यानी ऐसा कहा जा सकता है कि मोटापे के कारण (Causes of obesity) में कुछ दवाएं भी हो सकती हैं। ये दवाएं आपकी इच्छाशक्ति को कम नहीं करती हैं। वे शरीर और मस्तिष्क के कार्य को बदल देती हैं जो चयापचय दर को कम करते हैं या भूख बढ़ाते हैं।
7.लेप्टिन रेजिस्टेंस (Leptin resistance)
लेप्टिन एक दूसरा हॉर्मोन है जो आबेसिटी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह फैट कोशिकाओं द्वारा प्रोड्यूस होता है और इनका ब्लड लेवल्स हायर फैट मास के साथ बढ़ता है। इस कारण के चलते लेप्टिन का लेवल मोटे लोगों में हाय रहता है। हेल्दी लोगों में हाय लेप्टिन लेवल भूख को कम करने से लिंक्ड है। जब यह ठीक से काम करता है तो यह ब्रेन को बताता है कि आपका फैट स्टोरेज कितना हाय है।