क्या है टाइप-2 डायबिटीज और मोटापा का संबंध
मोटापा सामान्य रूप से शारीरिक परिवर्तनों से जुड़ा होता है जो उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, उच्च रक्त कोलेस्ट्रॉल और टाइप 2 मधुमेह जैसी बीमारियों के विकास का कारण बन सकता है। बढ़ता मोटापा टाइप-2 डायबिटीज के खतरे का सबसे पहला कारण है। जो भविष्य में कई गंभीर बीमारियों का कारण भी बन सकता है। गलत खानपान मोटापे का सबसे बड़ा कारण है। इसलिए मोटापे को डायबिटीज के जोखिम का सबसे बड़ा कारण माना गया है। इतना ही नहीं, मोटापे के कारण इंसुलिन रेजिस्टेंस विकसित होन की समस्या का भी रिस्क अधिक बढ़ जाता है। इंसुलिन एक ऐसा हार्मोन है, जो शरीर में जाकर शुगर के साथ मिलकर उसके सही इनटैक को संभव बनाने में करागर है। डायबिटीज के मरीजों में इंसुलिन रेजिस्टेंस का कारण इंसुलिन की कमी होना भी हाे सकता है। मोटापे और डायबिटीज टाइप 2 का बहुत गहरा संबंध है, क्योंकि डायबिटीज एक क्रॉनिक मेटाबॉलिक बीमारी है, जिसमें इंसान को हाय ब्लड शुगर लेवल का सामना करना पड़ता है। यह असंतुलित इंसुलिन का उत्पादन (टाइप 1 डायबिटीज) होता है, या शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन का ठीक तरह से इस्तेमाल नहीं कर पाती हैं, तो टाइप 2 डायबिटीज की समस्या भी हो सकती है।
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मोटापा कम करके टाइप 2 मधुमेह का उपचार और रोकथाम
टाइप 2 मधुमेह के उपचार और रोकथाम के लिए, मोटापा कम करना पूरी दुनिया में एक प्रमुख लक्ष्य है। मोटापा और मधुमेह दोनों के इलाज के मुख्य उद्देश्य हैं: –
शारीरिक गतिविधि है जरूरी
रक्त शर्करा को कम करने के लिए दवाओं को सेवन के साथ मधुमेह और मोटापे के नए निदान के लिए रोज नियमित रूप से एक्सरसाइज बहुत जरूरी है।