- हाथ, बाजू, जबड़ों या सिर में कंपकपी होना (Tremor)
- लिंब में स्टिफनेस (Stiffness)
- मूवमेंट का स्लो होना (Slowness of movement)
- बैलेंस और कोऑर्डिनेशन में समस्या, जिससे गिरने का खतरा बढ़ जाता है (Impaired balance and coordination)
इसके अन्य लक्षणों में डिप्रेशन और अन्य बदलाव भी शामिल हैं जैसे कुछ भी निगलने, चबाने और बोलने में समस्या होना। इसके साथ ही अन्य कुछ समस्याएं भी नोटिस की जा सकती हैं जैसे यूरिनरी प्रॉब्लम्स (Urinary problems) या कब्ज (Constipation), स्किन प्रॉब्लम्स (Skin problem) और नींद में समस्या (Sleep problem) आदि। अब जानते हैं कि क्या सच में डायबिटीज पेशेंट्स में पार्किंसन का खतरा (Risk of Parkinson Disease Onset in Patients With Diabetes) होता है या नहीं?

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डायबिटीज पेशेंट्स में पार्किंसन का खतरा: पाएं पूरी जानकारी (Risk of Parkinson Disease Onset in Patients With Diabetes)
अगर बात की जाए डायबिटीज और पार्किंसन रोग (Parkinson Disease) की तो यह बात आपके लिए जानना बेहद जरूरी है कि उम्र के बढ़ने के साथ ही इन दोनों बीमारियों को लेकर सतर्क होना बेहद जरूरी है। क्योंकि, स्टडीज से यह बात साबित हो चुकी है कि डायबिटीज पेशेंट्स में पार्किंसन का खतरा (Risk of Parkinson Disease Onset in Patients With Diabetes) बहुत अधिक बढ़ जाता है। खासतौर पर टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित लोगों में इस बीमारी के डेवलप होने और पार्किंसन रोग (Parkinson Disease) के जोखिम के बढ़ने की संभावना बहुत अधिक होती है। टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes) और पार्किंसन रोग (Parkinson Disease) दोनों को बढ़ती उम्र के साथ जोड़ा जाता है। यानी, बढ़ती उम्र में यह दोनों रोग होने का रिस्क बढ़ जाता है।
इसके साथ ही यह दोनों रोग कई बायोलॉजिकल सिमिलेरिटीज शेयर करते हैं, जैसे टॉक्सिक प्रोटीन एक्युमुलेशन (Toxic protein accumulation), लाइसोसोमल (Lysosomal), माइटोकॉन्ड्रियल डिसफंक्शन (Mitochondrial dysfunction), और क्रॉनिक सिस्टमिक इंफ्लेमेशन (Chronic systemic inflammation) आदि। कई स्टडीज से इन दोनों के बीच के लिंक को साबित किया है। लेकिन, अभी इसके बारे में अधिक शोध जरूरी है। रीसर्च से यह भी पता चला है कि डायबिटीज पेशेंट्स में पार्किंसन का खतरा (Risk of Parkinson Disease Onset in Patients With Diabetes) केवल बढ़ता ही नहीं है बल्कि इससे उनकी स्थिति बदतर भी हो सकती है।
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क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी लंदन (Queen Mary University of London) के शोधकर्ताओं द्वारा की गयी स्टडी के अनुसार डायबिटीज के उपचार के लिए उपलब्ध दवाओं से इस खतरे और इसके प्रोग्रेशन को स्लो किया जा सकता है। इसके साथ ही डायबिटीज के रोगियों को पार्किंसन रोग (Parkinson Disease) को मॉनिटर करने और शुरुआत में ही इसका इलाज कराने व पर्याप्त प्रीकॉशन्स को अपनाने की सलाह दी जाती है। ओवरआल, ऐसा पाया गया है कि डायबिटीज से पीड़ित लगभग 83% लोगों को पार्किंसन रोग (Parkinson Disease) होने की संभावना अधिक रहता है। लेकिन, इसमें कॉमन लाइफस्टाइल फैक्टर (Common lifestyle factor) मेजर रोल प्ले करते हैं। अब जाते हैं कि डायबिटीज पेशेंट्स में पार्किंसन का खतरा (Risk of Parkinson Disease Onset in Patients With Diabetes) कैसे कम किया जा सकता है?
डायबिटीज पेशेंट्स में पार्किंसन का खतरा कैसे कम करें?
कई स्टडीज से यह साबित हो चुका है कि अगर आपको डायबिटीज है तो आपको पार्किंसन रोग (Parkinson Disease) होने की संभावना अधिक होती है क्योंकि हाय ब्लड शुगर (High blood sugar) का प्रभाव दिमाग पर भी पड़ता है। ऐसे में डायबिटीज का जोखिम कम करने के लिए आपको कुछ चीजों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है, जैसे: