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क्या डायबिटीज पेशेंट्स को पार्किंसन का खतरा हो सकता है, जानिए इस बारे में यहां?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Sayali Chaudhari · फार्मेकोलॉजी · Hello Swasthya


AnuSharma द्वारा लिखित · अपडेटेड 02/12/2021

    क्या डायबिटीज पेशेंट्स को पार्किंसन का खतरा हो सकता है, जानिए इस बारे में यहां?

    मधुमेह या डायबिटीज एक ऐसी समस्या है, जिसके बारे में हर व्यक्ति कोई जानता है। हालांकि, यह बीमारी कॉमन है, लेकिन इसे बेहद गंभीर भी माना जाता है। यह बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती है। आजकल बच्चे भी इसका शिकार बन रहे हैं। यह बीमारी कई अन्य कॉम्प्लीकेशन्स का कारण बन सकती है। जैसे आई प्रॉब्लम्स, हार्ट संबंधी समस्याएं, स्किन प्रॉब्लम्स आदि। ऐसा भी माना जाता है कि डायबिटीज पेशेंट्स में पार्किंसन का खतरा (Risk of Parkinson Disease Onset in Patients With Diabetes) बना रहता है। आज हम इसी बारे में बात करने वाले हैं। आइए जानें, डायबिटीज पेशेंट्स में पार्किंसन का खतरा (Risk of Parkinson Disease Onset in Patients With Diabetes) होता है या नहीं? किंतु, इससे पहले डायबिटीज और पार्किंसन रोग (Parkinson Disease) के बारे में जान लेते हैं।

    डायबिटीज: जानें क्यों होती है यह समस्या? (Diabetes)

    डायबिटीज वो डिजीज है जिसमें शरीर में ब्लड ग्लूकोज या ब्लड शुगर लेवल (Blood sugar level) बहुत अधिक हो जाता है। ग्लूकोज हमें उस आहार से प्राप्त होता है जिसे हम खाते हैं। इसके साथ ही इन्सुलिन वो हॉर्मोन है, जो ग्लूकोज को सेल्स में जाने में मदद करता है, ताकि हमें एनर्जी प्राप्त हो। हमारे पैंक्रियाज इन्सुलिन का निर्माण करते हैं। लेकिन, डायबिटीज के कारण हमारा शरीर पर्याप्त इन्सुलिन का निर्माण नहीं कर पाता है या इसका सही से इस्तेमाल नहीं कर पाता है। जिससे ब्लड में ग्लूकोज लेवल बढ़ जाता है। डायबिटीज भी कई प्रकार की होती है। डायबिटीज का कोई इलाज नहीं है, लेकिन इसके लक्षणों को मैनेज कर के नार्मल और हेल्दी लाइफ जी जा सकती है।

    टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes) सबसे सामान्य है और बच्चों में टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 diabetes) पाई जाती है। इसके साथ ही गर्भावस्था में होने वाली डायबिटीज को जेस्टेशनल डायबिटीज (Gestational diabetes) कहा जाता है। आज के टॉपिक डायबिटीज पेशेंट्स में पार्किंसन का खतरा (Risk of Parkinson Disease Onset in Patients With Diabetes) और इससे कैसे बचा जा सकता है, इसके बारे में जानने से पहले पार्किंसन रोग (Parkinson Disease) के बारे में जान लेते हैं। क्योंकि, इसके बारे में इंफॉर्मेशन होना भी आपके लिए बेहद महत्वपूर्ण है।

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    पार्किंसन रोग किसे कहा जाता है? (Parkinson Disease)

    नेशनल इंस्टिट्यूट ऑन एजिंग (National Institute on Aging) के अनुसार पार्किंसन रोग (Parkinson Disease) एक ब्रेन डिसऑर्डर (Brain disorder) है, जिसके कारण प्रभावित व्यक्ति कंपकंपी, स्टिफनेस और चलने, बैलेंस करने व कोऑर्डिनेशन में समस्या का अनुभव करते हैं। यह समस्या बुजुर्गों को होती है। इसके लक्षण आमतौर पर धीरे-धीरे शुरू होते हैं और समय के साथ बदतर होते जाते हैं। जैसे ही यह समस्या बढ़ती है, लोग चलने और बात करने में भी समस्या महसूस करते हैं। इसके साथ ही वो मेंटल और बिहेवियर चेंज (Mental and behavior change), स्लीप प्रॉब्लम (Sleep problem), डिप्रेशन (Depression), मेमोरी डिफीकल्टीज (Memory difficulties) और थकावट (Exhaustion) आदि का भी अनुभव कर सकते हैं।

    पार्किंसन रोग (Parkinson Disease) महिलाओं और पुरुषों दोनों को हो सकता है। हालांकि, महिलाओं की तुलना में पुरुषों को यह बीमारी अधिक होती है। इस बीमारी का सबसे बड़ा रिस्क फैक्टर है रोगी की उम्र। इसके लक्षणों को अधिकतर लोग साठ साल की उम्र के बाद अनुभव करते हैं। लेकिन, बहुत कम मामलों में इससे पहले भी लोग इसके सिम्पटम्स को महसूस कर सकते हैं। डायबिटीज पेशेंट्स में पार्किंसन का खतरा (Risk of Parkinson Disease Onset in Patients With Diabetes) एक जैसा टॉपिक है जिसके बारे में हर किसी को जानना बेहद जरूरी है। क्योंकि उम्र के बढ़ने के साथ ही इन दोनों रोगों की संभावना भी बढ़ जाती है। लेकिन, इससे पहले जान लेते हैं कि क्या हैं पार्किंसन रोग (Parkinson Disease) के लक्षण?

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    पार्किंसन रोग के लक्षण (Symptoms of Parkinson Disease)

    पार्किंसन रोग (Parkinson Disease) के लक्षण हर रोगी के लिए अलग हो सकते हैं। इसके शुरुआती लक्षण माइल्ड होते हैं और आमतौर पर नोटिस नहीं किए जाते हैं। लेकिन धीरे-धीरे यह लक्षण गंभीर होते जाते हैं जिससे प्रभावित व्यक्ति की दिनचर्या पर भी असर होता है। इस समस्या के चार मुख्य लक्षण हैं, जो इस तरह से हैं:

    • हाथ, बाजू, जबड़ों या सिर में कंपकपी होना (Tremor)
    • लिंब में स्टिफनेस (Stiffness)
    • मूवमेंट का स्लो होना (Slowness of movement)
    • बैलेंस और कोऑर्डिनेशन में समस्या, जिससे गिरने का खतरा बढ़ जाता है (Impaired balance and coordination)

    इसके अन्य लक्षणों में डिप्रेशन और अन्य बदलाव भी शामिल हैं जैसे कुछ भी निगलने, चबाने और बोलने में समस्या होना। इसके साथ ही अन्य कुछ समस्याएं भी नोटिस की जा सकती हैं जैसे यूरिनरी प्रॉब्लम्स (Urinary problems) या कब्ज (Constipation), स्किन प्रॉब्लम्स (Skin problem) और नींद में समस्या (Sleep problem) आदि। अब जानते हैं कि क्या सच में डायबिटीज पेशेंट्स में पार्किंसन का खतरा (Risk of Parkinson Disease Onset in Patients With Diabetes) होता है या नहीं?

    डायबिटीज पेशेंट्स में पार्किंसन का खतरा

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    डायबिटीज पेशेंट्स में पार्किंसन का खतरा: पाएं पूरी जानकारी (Risk of Parkinson Disease Onset in Patients With Diabetes)

    अगर बात की जाए डायबिटीज और पार्किंसन रोग (Parkinson Disease) की तो यह बात आपके लिए जानना बेहद जरूरी है कि उम्र के बढ़ने के साथ ही इन दोनों बीमारियों को लेकर सतर्क होना बेहद जरूरी है। क्योंकि, स्टडीज से यह बात साबित हो चुकी है कि डायबिटीज पेशेंट्स में पार्किंसन का खतरा (Risk of Parkinson Disease Onset in Patients With Diabetes) बहुत अधिक बढ़ जाता है। खासतौर पर टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित लोगों में इस बीमारी के डेवलप होने और पार्किंसन रोग (Parkinson Disease) के जोखिम के बढ़ने की संभावना बहुत अधिक होती है। टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes) और पार्किंसन रोग (Parkinson Disease) दोनों को बढ़ती उम्र के साथ जोड़ा जाता है। यानी, बढ़ती उम्र में यह दोनों रोग होने का रिस्क बढ़ जाता है।

    इसके साथ ही यह दोनों रोग कई बायोलॉजिकल सिमिलेरिटीज शेयर करते हैं, जैसे टॉक्सिक प्रोटीन एक्युमुलेशन (Toxic protein accumulation), लाइसोसोमल (Lysosomal), माइटोकॉन्ड्रियल डिसफंक्शन (Mitochondrial dysfunction), और क्रॉनिक सिस्टमिक इंफ्लेमेशन (Chronic systemic inflammation) आदि। कई स्टडीज से इन दोनों के बीच के लिंक को साबित किया है। लेकिन, अभी इसके बारे में अधिक शोध जरूरी है। रीसर्च से यह भी पता चला है कि डायबिटीज पेशेंट्स में पार्किंसन का खतरा (Risk of Parkinson Disease Onset in Patients With Diabetes) केवल बढ़ता ही नहीं है बल्कि इससे उनकी स्थिति बदतर भी हो सकती है।

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    क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी लंदन (Queen Mary University of London) के शोधकर्ताओं द्वारा की गयी स्टडी के अनुसार डायबिटीज के उपचार के लिए उपलब्ध दवाओं से इस खतरे और इसके प्रोग्रेशन को स्लो किया जा सकता है। इसके साथ ही डायबिटीज के रोगियों को पार्किंसन रोग (Parkinson Disease) को मॉनिटर करने और शुरुआत में ही इसका इलाज कराने व पर्याप्त प्रीकॉशन्स को अपनाने की सलाह दी जाती है। ओवरआल, ऐसा पाया गया है कि डायबिटीज से पीड़ित लगभग 83% लोगों को पार्किंसन रोग (Parkinson Disease) होने की संभावना अधिक रहता है। लेकिन, इसमें कॉमन लाइफस्टाइल फैक्टर (Common lifestyle factor) मेजर रोल प्ले करते हैं। अब जाते हैं कि डायबिटीज पेशेंट्स में पार्किंसन का खतरा (Risk of Parkinson Disease Onset in Patients With Diabetes) कैसे कम किया जा सकता है?

    डायबिटीज पेशेंट्स में पार्किंसन का खतरा कैसे कम करें?

    कई स्टडीज से यह साबित हो चुका है कि अगर आपको डायबिटीज है तो आपको पार्किंसन रोग (Parkinson Disease) होने की संभावना अधिक होती है क्योंकि हाय ब्लड शुगर (High blood sugar) का प्रभाव दिमाग पर भी पड़ता है। ऐसे में डायबिटीज का जोखिम कम करने के लिए आपको कुछ चीजों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है, जैसे:

    • अपने ब्लड ग्लूकोज लेवल (Blood glucose level), ब्लड प्रेशर (Blood Pressure) और कोलेस्ट्रॉल लेवल (Cholesterol level) को मॉनिटर करते रहें। इन्हें मैनेज करने के लिए अपने डॉक्टर की सलाह भी लें।
    • डायबिटीज की स्थिति में केवल हेल्दी फूड ही सेवन करें जैसे फल सब्जियां, साबुत अनाज आदि। इसके बारे में आप डॉक्टर या किसी अच्छे डायटीशियन की सलाह भी ले सकते हैं।
    • अपने वजन को संतुलित बनाए रखें। अगर आपका वजन अधिक है तो उसे कम करने की कोशिश करें। इसके लिए सही आहार का सेवन करना और व्यायाम करना जरूरी है। अगर आपका वजन बहुत अधिक है या कम होने में समस्या आ रही है तो डॉक्टर की सलाह लेना भी अनिवार्य है।
    • जितना अधिक हो सके स्मोकिंग और एल्कोहॉल के सेवन से बचें।
    • दिन में कुछ समय व्यायाम के लिए निकालें। रोजाना कम से कम तीस मिनट्स तक एक्सरसाइज करना बेहद आवश्यक है। इससे न केवल डायबिटीज संतुलित रहेगी बल्कि आप अन्य कई परेशानियों से भी बच सकते हैं।
    • तनाव से बचें क्योंकि तनाव ब्लड शुगर लेवल (Blood sugar level) को बढ़ाने का एक बड़ा रिस्क फैक्टर है। तनाव को मैनेज करने के लिए मेडिटेशन और योग आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकते हैं या आप डॉक्टर से भी इस बारे में जान सकते हैं।
    • नियमित रूप से अपनी जांच कराएं, डॉक्टर द्वारा दी दवाईयों का समय पर सेवन करें और उनकी इंस्ट्रक्शंस का पूरी तरह से पालन करें।

    क्या आप जानते हैं कि डायबिटीज को रिवर्स कैसे कर सकते हैं? तो खेलिए यह क्विज!

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    यह तो थी डायबिटीज पेशेंट्स में पार्किंसन का खतरा (Risk of Parkinson Disease Onset in Patients With Diabetes) के बारे में पूरी जानकारी। उम्मीद है कि यह जानकारी आपको पसंद आयी होगी। यह भी आप समझ ही गए होंगे कि डायबिटीज के कारण कई कॉम्प्लीकेशन्स हो सकती हैं, जिसमें से एक है पार्किसन रोग (Parkinson Disease)। डायबिटीज के रोगियों में इसका जोखिम हो सकता है। इसलिए, अगर आपको डायबिटीज है, तो आप पार्किसन रोग (Parkinson Disease) के लक्षणों को नोटिस करें। अगर आपको इसका कोई लक्षण नजर आता है तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें और सही उपचार कराएं। अगर आपके मन में इसके बारे में कोई भी सवाल है तो अपने डॉक्टर से इस बारे में अवश्य बात करें।

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