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कौन से हैं ब्रेन और स्पाइन डिसऑर्डर्स और कैसे होता है इनका उपचार?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


AnuSharma द्वारा लिखित · अपडेटेड 21/09/2021

    कौन से हैं ब्रेन और स्पाइन डिसऑर्डर्स और कैसे होता है इनका उपचार?

    हमारा शरीर अपने आप में एक अनोखी मशीन की तरह है और दिमाग हमारे शरीर का सबसे कॉम्प्लेक्स हिस्सा है, जो पूरे शरीर को नियंत्रित करता है। हमारे दिमाग का भाग है नर्वस सिस्टम, जिसमें स्पाइन भी शामिल है। यह तो हम जानते हैं कि हमारा दिमाग शरीर के हर अंग को कंट्रोल करता है। लेकिन ब्रेन और स्पाइन यानी रीढ़ की हड्डी से जुड़ी कुछ समस्याएं पूरे शरीर को प्रभावित कर सकती हैं। जिन्हें ब्रेन और स्पाइन डिसऑर्डर्स (Brain and Spine Disorders) के नाम से जाना जाता है। जानिए, ब्रेन और स्पाइन डिसऑर्डर्स (Brain and Spine Disorders) के बारे में विस्तार से।

    ब्रेन और स्पाइन डिसऑर्डर्स क्या हैं (What is Brain and Spine Disorders)

    स्पाइन नसों का एक समूह है। यह हमारे शरीर और आपके दिमाग के बीच के संकेतों को आगे-पीछे ले जाती है। यह हमारे कशेरुक (Vertebrae) द्वारा संरक्षित होती है, जो हमारी स्पाइन को बनाते हैं। यदि किसी दुर्घटना के कारण हमारे कशेरुक या स्पाइन के अन्य हिस्सों को नुकसान पहुंचता है, तो इससे स्पाइन को भी नुकसान हो सकता है। जो डिसऑर्डर दिमाग, शरीर की नर्वस और स्पाइन को प्रभावित करते हैं उन्हें ब्रेन और स्पाइन डिसऑर्डर्स (Brain and Spine Disorders) कहा जाता है। जानिए कौन-कौन से हैं ब्रेन और स्पाइन डिसऑर्डर्स (Brain and Spine Disorder) ।

    यह भी पढ़ें : स्पाइनल कॉर्ड इंजरी को न करें अनदेखा, जानें क्यों जरूरी है इसका सही समय पर इलाज

    ब्रेन और स्पाइन डिसऑर्डर्स कौन से हैं (Which are Brain and Spine Disorders)

    स्पाइन में 26 हड्डियां होती हैं जिन्हें कशेरुक (vertebrae) कहा जाता है, जो स्पाइनल कॉर्ड और नर्वज को प्रोटेक्ट और सपोर्ट करती हैं। कई स्थितियां और चोट स्पाइन को प्रभावित करती हैं और कशेरुक को नुकसान पहुंचा सकती है, जिससे न केवल दर्द हो सकती है बल्कि मोबिलिटी में भी समस्या होती है। जानिए इन ब्रेन और स्पाइन डिसऑर्डर्स (Brain and Spine Disorders) के बारे में विस्तार से:

    स्पाइनल कॉर्ड ट्यूमर (Spinal Cord Tumor)

    ब्रेन और स्पाइन डिसऑर्डर्स (Brain and Spine Disorders) में सबसे पहला है स्पाइनल कॉर्ड ट्यूमर। स्पाइनल ट्यूमर वो ग्रोथ है जो हमारे स्पाइनल कैनाल या स्पाइन की हड्डियों में होती है। इसे इंट्राडूरल टयूमर (Intradural Tumor) भी कहा जाता है। इंट्राडूरल टयूमर स्पाइनल कॉर्ड में या स्पाइनल कॉर्ड की कवरिंग से शुरू होता है। जबकि, जो ट्यूमर स्पाइन की हड्डियों को प्रभावित करता है, उसे वर्टिब्रल ट्यूमर कहा जाता है। स्पाइनल कॉर्ड ट्यूमर के लक्षण इस प्रकार हैं :

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    • ट्यूमर की जगह पर दर्द (Pain at the Site of the Tumor)
    • पीठ में दर्द (Back Pain)
    • दर्द, गर्मी या सर्दी का अहसास कम होना (Feeling Less Sensitive to Pain, Heat and Cold)
    • बोवेल या ब्लैडर फंक्शन में कमी (Loss of Bowel or Bladder Function)
    • चलने में समस्या (Difficulty Walking)
    • मांसपेशियों का कमजोर होना (Muscle Weakness)

    कारण और रिस्क फैक्टर्स (Causes and Risk Factors)

    स्पाइनल कॉर्ड ट्यूमर के कारणों की सही जानकारी नहीं है।  इसमें डिफेक्टिव जिन (Defective Genes) मुख्य भूमिका निभाते हैं। यह भी जानकारी नहीं है कि यह जेनेटिक डिफेक्ट्स इनहेरिटेड होते हैं या समय के साथ विकसित होते हैं। कुछ स्थितियों में यह स्थिति जोखिम भरी हो सकती है जैसे :

    रीढ़ की हड्डी के ट्यूमर उन लोगों में अधिक आम हैं जिन्हें यह समस्याएं होती हैं:

    • न्यूरोफायब्रोमैटोसिस2 (Neurofibromatosis 2)
    • वॉन हिप्पेल-लिंडायो डिजीज (Von Hippel-Lindau Disease)

    स्पाइनल कॉर्ड ट्यूमर का निदान और उपचार (Diagnosis and Treatment)

    ब्रेन और स्पाइन डिसऑर्डर्स (Brain and Spine Disorders) में से स्पाइनल ट्यूमर का निदान कई बार मुश्किल हो जाता है क्योंकि यह सामान्य नहीं होते हैं और इनके लक्षण कई अन्य समस्याओं जैसे होते हैं। इसके निदान के लिए डॉक्टर आपसे मेडिकल हिस्ट्री पूछेंगे और आपको यह टेस्ट्स कराने की सलाह दे सकते हैं:

  • स्पाइनल मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (Spinal Magnetic Resonance Imaging)
  • कंप्यूटराइज्ड टोमोग्राफी (Computerized Tomography)
  • बायोप्सी (Biopsy)
  •  डॉक्टरों को आपकी उम्र और सम्पूर्ण स्वास्थ्य को भी ध्यान में रखना चाहिए। इसके उपचार के लिए यह तरीके अपनाए जा सकते हैं:

    • मॉनिटरिंग (Monitoring)
    • सर्जरी (Surgery)
    • रेडिएशन थेरेपी (Radiation Therapy)
    • कीमोथेरेपी (Chemotherapy)

    स्पाइनल स्टेनोसिस (Spinal Stenosis)

    स्पाइनल स्टेनोसिस स्पाइन में खाली जगहों के तंग होने को कहा जाता है। इसके कारण उन नर्वस पर दबाव पड़ता है, जो हमारी स्पाइन तक जाती हैं। स्पाइनल स्टेनोसिस की समस्या आमतौर पर पीठ के निचले हिस्से और गर्दन में होती है। स्पाइनल स्टेनोसिस के कई लोग लक्षण भी अनुभव नहीं करते हैं लेकिन अन्य लोग दर्द, सुन्न या मांसपेशियों का कमजोर होना जैसे लक्षण महसूस करते हैं।  जो समय के साथ बदतर होते जाते हैं। इसके सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं 

    गर्दन में (Cervical Spine)

    • हाथ, बाजू, पैर और तंग में सुन्नता और झुनझुनी महसूस करना (Numbness or Tingling in a Hand, Arm, Foot or Leg)
    • हाथ, पैर, बाजू या टांगों में कमजोरी (Weakness in a Hand, Arm, Foot or Leg)
    • चलने और बैलेंस करने में समस्या  (Problems with Walking and Balance)
    • गर्दन में दर्द (Neck Pain)
    • गंभीर स्थतियों में बोवेल या ब्लैडर डिसफंक्शन (In Severe cases, Bowel or Bladder Dysfunction) 

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    पीठ के निचले हिस्से में  (Lumbar Spine)

    • पैर और टांग में सुन्नता और झुनझुनी (Numbness or Tingling in a Foot or Leg)
    • पैर और टांग में कमजोरी (Weakness in a foot or Leg)
    • एक या दोनों टांगों में दर्द (Pain or Cramping in one or Both Legs)
    • पीठ में दर्द (Back Pain)

    कारण और रिस्क फैक्टर (Causes and Risk Factors)

    कुछ लोग छोटी स्पाइनल कैनाल के साथ पैदा होते हैं। लेकिन, अधिकतर स्पाइनल स्टेनोसिस की समस्या तब होती है, जब कुछ ऐसा होता है जिससे स्पाइन के बीच का खुला हुआ स्पेस तंग हो जाता है। इसके कुछ कारण इस प्रकार हैं:

    • हड्डियों का अधिक बढ़ना (Overgrowth of Bone)
    • हर्नियेटेड डिस्कस (Herniated disks)
    • तंग लिगमेंटस (Thickened Ligaments)
    • ट्यूमर (Tumors)
    • स्पाइनल इंजरी (Spinal Injuries) 

    यह भी पढ़ें : Spina Bifida : स्पाइना बिफिडा क्या है?

    रिस्क फैक्टर्स (Risk Factors)

    इस समस्या का अधिकतर शिकार पचास साल से अधिक उम्र के लोग होते हैं। हालांकि, यह कम उम्र के लोगों को भी हो सकता है। इसके रिस्क फैक्टर्स में ट्रॉमा शामिल है या जेनेटिक बीमारियां भी इस समस्या को बढ़ा सकती हैं। 

    स्पाइनल स्टेनोसिस का निदान और उपचार (Diagnosis and Treatment of Spinal Stenosis)

    स्पाइनल स्टेनोसिस के निदान के लिए डॉक्टर आपसे इसके लक्षणों के बारे में पूछ सकते हैं। इसके साथ ही वो फिजिकल जांच और मेडिकल हिस्ट्री भी जानेंगे। आपको कुछ टेस्ट्स कराने के लिए कहा जा सकता है, जो इस प्रकार हैं:

    स्पाइनल स्टेनोसिस का उपचार स्टेनोसिस की जगह और आपके लक्षणों की गंभीरता के अनुसार किया जाता है। अपने लिए सबसे सही उपचार के लिए डॉक्टर से बात करें। यदि आपके लक्षण हल्के हैं या आप किसी भी लक्षण का अनुभव नहीं कर रहे हैं, तो आपका डॉक्टर नियमित फॉलोअप के द्वारा आपकी स्थिति का पता कर सकते हैं। इस समस्या के उपचार के लिए डॉक्टर यह तरीके अपना सकते हैं

    • मेडिकेशन्स (Medications)
    • फिजिकल थेरेपी (Physical Therapy)
    • स्टेरॉयड इंजेक्शंस (Steroid Injections)
    • डीकम्प्रेशन प्रोसीजर (Decompression Procedure)
    • सर्जरी (Surgery)

    कायफोसिस (Kyphosis)

    इस बारे में पीजीआई हॉस्पिटल के न्यूलॉजिस्ट डाॅक्टर अनंत का कहना है कि रीढ़ की हड्डी के ट्यूमर के उपचार का लक्ष्य ट्यूमर को पूरी तरह से समाप्त करना होता है, लेकिन यह लक्ष्य रीढ़ की हड्डी और आसपास की नसों को स्थायी नुकसान के जोखिम से जटिल हो सकता हैहमारी स्पाइन थोड़ी गोल होती है क्योंकि यह पीछे की ओर जाती है। यह आमतौर पर  20-40 डिग्री एंगल तक मुड़ सकती है। लेकिन, अगर यह एंगल 50 डिग्री से अधिक हो तो इसे कायफोसिस (Kyphosis) कहा जाता है। हालांकि, यह समस्या किसी भी उम्र में हो सकती है।  लेकिन, उम्र के बढ़ने के साथ यह समस्या सामान्यतया स्पाइन में कमजोरी के कारण होती है। जो उन्हें संकुचित या दरार का कारण बनती है। कायफोसिस के साथ कई मामलों में, स्पाइन सामान्य दिख सकती है और स्थिति को कोई इलाज की आवश्यकता नहीं होगी। इसके लक्षण इस प्रकार हैं:

    हल्के कायफोसिस की स्थिति में अक्सर कोई लक्षण सामने नहीं आता है। लेकिन, कुछ लोग असामान्य रूप से घुमावदार रीढ़ के अलावा पीठ दर्द और कठोरता का अनुभव करते हैं।

    कारण (Causes)

    कायफोसिस की समस्या तब होती है, जब पीठ के ऊपरी हिस्से में कशेरुकाएं (Vertebrae) अधिक झुकी हुए आकार के हो जाती हैं। असामान्य कशेरुकाओं के कारण इस प्रकार हैं:

    • फ्रैक्चरस (Fractures)
    • ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis)
    • डिस्क डिजनरेशन (Disk degeneration)
    • सोयोमेंस डिजीज (Scheunemann’s disease)
    • बर्थ डिफेक्ट्स (Birth defects)
    • सिंड्रोमस (Syndromes)
    • कैंसर और कैंसर ट्रीटमेंट्स (Cancer and cancer treatments)

    कायफोसिस के निदान और उपचार (Kyphosis Diagnosis and Treatment) 

    इस समस्या के निदान के लिए डॉक्टर सबसे पहले आपकी शारीरिक जांच करेंगे, जिसमें आपकी हाइट की जांच भी शामिल है। आपको कमर से आगे झुकने के लिए कहा जा सकता है, ताकि आपके डॉक्टर आपकी रीढ़ को किनारे से देख पाएं। डॉक्टर आपको यह टेस्ट कराने के लिए कह सकते हैं:

    कायफोसिस का उपचार इस समस्या के कारणों और कंडीशन की गंभीरता के अनुसार किया जाता है। इस रोग के ट्रीटमेंट के लिए डॉक्टर यह तरीके अपना सकते हैं:

    • मेडिकेशन्स (Medications) जैसे पैन रिलीवरस और ऑस्टियोपोरोसिस मेडिकेशन्स (Osteoporosis medications)
    • थेरेपी (Therapy)
    • सर्जरी (Surgery)

    कोविड का फर्टिलिटी पर प्रभाव

    मेनिन्जाइटिस (Meningitis)

    मेनिन्जाइटिस मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के आसपास के द्रव और झिल्लियों (Membranes) की सूजन है। मेनिन्जाइटिस से होने वाली सूजन  सिरदर्द, बुखार और गर्दन में अकड़न पैदा करती है। इस समस्या का तुरंत उपचार जरूरी है। मेनिन्जाइटिस के लक्षण इस प्रकार हैं:

    • अचानक अधिक बुखार (Sudden High Fever)
    • गर्दन में अकड़न (Stiff Neck)
    • बहुत अधिक सिरदर्द (Severe Headache)
    • जी मचलना और उलटी आने के साथ सिरदर्द (Headache with Nausea or Vomiting)
    • परेशानी और ध्यान लगाने में समस्या (Confusion or Difficulty in Concentrating)
    • सीज़र्स (Seizures)
    • नींद अधिक आना या चलने में समस्या (Sleepiness or Difficulty in Waking)
    • भूख और प्यास में कमी (No Appetite or Thirst)
    • स्किन रैशेस (Skin Rash)

    कारण और रिस्क फैक्टर (Causes and Risk Factors)

    वायरल इन्फेक्शन मेनिन्जाइटिस का सबसे सामान्य कारण है। इसके साथ ही बैक्टीरियल इन्फेक्शन भी इसका कारण हो सकता है। कुछ दुर्लभ मामलों में फंगल या परजीवी इंफेक्शन भी इस समस्या का कारण हो सकते हैं। क्योंकि बैक्टीरियल संक्रमण जीवन के लिए खतरा हो सकता है, इसलिए कारण की पहचान करना आवश्यक है। इन स्थितियों में यह समस्या जोखिम भरी हो सकती है

    • उम्र (Age)
    • कम्युनिटी में रहना (Living in Community Setting)
    • प्रेग्नेंसी (Pregnancy)
    • कमजोर इम्यून सिस्टम (Compromised Immune System)

    यह भी पढ़ें : Spinal cord injury : स्पाइनल कॉर्ड इंजरी क्या है?

    मेनिन्जाइटिस का निदान और उपचार (Diagnosis and Treatment)

    डॉक्टर इस स्थिति के निदान के लिए आपकी मेडिकल हिस्ट्री, शारीरिक जांच करेंगे। इस जांच में डॉक्टर आपके स्पाइन के पास के अंगों में इंफेक्शन के लक्षणों की भी जांच करेंगे। इसके साथ आपको यह टेस्ट कराने के लिए कहा जा सकता है:

    • ब्लड कल्चर्स (Blood Cultures)
    • इमेजिंग (Imaging)
    • स्पाइनल टैप (Spinal Tap)

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    मेनिन्जाइटिस का उपचार इसके प्रकार पर निर्भर करता है। इसका उपचार इन तरीकों से किया जा सकता है:

    बैक्टीरियल मेनिन्जाइटिस (Bacterial Meningitis) : एक्यूट बैक्टीरियल मैनिंजाइटिस का तुरंत इंट्रावेनस एंटीबायोटिक दवाओं (Intravenous Antibiotics) और कभी-कभी कॉर्टिकोस्टेरॉइड (Corticosteroids) के साथ इलाज किया जाना चाहिए। इनसे दिमाग की सूजन और सीज़र्स जैसी समस्याओं से जल्दी रिकवर होने और जटिलताओं को कम करने में मदद मिलती है।

    वायरल मेनिन्जाइटिस (Viral Meningitis) : वायरल मेनिन्जाइटिस का एंटीबायोटिक से इलाज नहीं किया जाता। कुछ देर बाद यह खुद ठीक हो जाते हैं। इनका उपचार इस तरह से हो सकता है: 

    • बेड रेस्ट (Bed Rest)
    • अधिक तरल (Plenty of Fluids)
    • ओवर-द-काउंटर दर्द दूर करने की दवाइयां बुखार और शरीर के दर्द को कम करने में मददगार हो सकती हैं। इसके साथ ही कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स दिमाग की सूजन को कम करने में मददगार है।

    अन्य तरह के मेनिन्जाइटिस (Other Types of Meningitis)

    अगर मेनिन्जाइटिस का कारण ज्ञात नहीं होते इसलिए डॉक्टर आपको एंटीवायरल और एंटीबायोटिक उपचार की सलाह दे सकते हैं। क्रोनिक मेनिन्जाइटिस के लिए उपचार अंडरलाइंग कारण पर आधारित है। एंटीफंगल दवाएं फंगल मेनिन्जाइटिस का इलाज करती हैं, और खास एंटीबायोटिक दवाओं के मेल से ट्यूबरकुलोसिस मेनिन्जाइटिस (Tuberculous Meningitis) का इलाज हो सकता है।

    ब्रेन और स्पाइन डिसऑर्डर्स को मैनेज करने के लिए लाइफस्टाइल में क्या बदलाव लाने जरूरी हैं (Lifestyle changes for Brain and Spine Disorders)

    ब्रेन और स्पाइन डिसऑर्डर्स (Brain and Spine Disorders) आपके पूरे जीवन को प्रभावित करते हैं। इसलिए, इनसे बचने के लिए अपने लाइफस्टाइल में बदलाव जरूरी है। यह बदलाव इस प्रकार हैं:

    • संतुलित आहार (Right Food): अगर आप ब्रेन और स्पाइन डिसऑर्डर्स (Brain and Spine Disorders) से छुटकारा पाना चाहते हैं, तो आपको अपने आहार में बदलाव करने चाहिए। इसके लिए अपने आहार में फल, सब्जियों, साबुत अनाज आदि को शामिल करें और अनहेल्दी खाद्य पदार्थों के सेवन से बचें।
    • स्मोकिंग न करें (Avoid Smoking) : तंबाकू का सेवन ब्रेन और स्पाइन डिसऑर्डर्स (Brain and Spine Disorders) को बढ़ा सकता है। इसलिए स्मोकिंग और तंबाकू का सेवन करने से बचे। ऐसे ही एल्कोहल का सेवन करना भी बंद या सीमित कर दें।
    • व्यायाम (Exercise) : व्यायाम करने से सम्पूर्ण स्वास्थ्य सही रहता है। इसके साथ ही  ब्रेन और स्पाइन डिसऑर्डर्स (Brain and Spine Disorders) भी दूर होते हैं। इसलिए, दिन में कुछ देर के लिए व्यायाम अवश्य करें।
    • तनाव से बचे (Depression): ब्रेन और स्पाइन डिसऑर्डर्स (Brain and Spine Disorders) को करने के लिए आपको तनाव से भी बचना चाहिए। इसके लिए योगा या मैडिटेशन करें और अगर यह समस्या अधिक है तो डॉक्टर की सलाह लें।

    Brain and spine disorder

    रोगी के परिवार के सदस्यों या देखभाल करने वालों के लिए टिप्स (Tips for Patient’s Family Members or Care Takers)

    ब्रेन और स्पाइन डिसऑर्डर्स (Brain and Spine Disorders) में रोगी की सही देखभाल बेहद जरूरी है। इस दौरान परिवार के सदस्यों और प्रियजनों की खास जिम्मेदारी बनती है कि वो रोगी का हर संभव ध्यान रखे और उसकी मदद करे। यह समय सबके लिए थोड़ा मुश्किल हो सकता है। लेकिन, इस दौरान रोगी के परिवार के सदस्य या केयर टेकर होने के नाते आपको इन बातों का ध्यान रखना चाहिए:

    • किसी भी आपातकालीन स्थिति के लिए हमेशा तैयार रहें। 
    • रोगी की हर संभव मदद करें और उसके शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक सपोर्ट दें।
    • रोगी की बीमारी के बारे में पूरी तरह से पता करें, इसके साथ ही उसकी दवाईयों और डॉक्टर की सलाह के अनुसार अन्य चीजों का भी पालन करें।
    • हमेशा पॉजिटिव व्यवहार रखें और रोगी का मूड भी अच्छा और सकारात्मक बनाए रखने में मदद करें।
    • ध्यान रखे रोगी आपके साथ कंफर्टेबल महसूस करे। यह उसके स्वास्थ्य और आपके लिए बेहद जरूरी है कि वो आपसे खुलकर बात करे और अपनी समस्याओं को शेयर करे।
    • मरीज के साथ ही अपने स्वास्थ्य का पूरा ध्यान रखना भी आपकी ही जिम्मेदारी है।

    यह भी पढ़ें : Lumbar spinal stenosis: लम्बर स्पाइनल स्टेनोसिस क्या है ?

    ब्रेन और स्पाइन डिसऑर्डर्स (Brain and Spine Disorders) कभी-कभी गंभीर हो सकती हैं। इसलिए, इनके लक्षणों के बारे में जानकारी होना बेहद जरूरी है। लक्षणों के बारे में सही समय पर जानकर आप समस्या का जल्दी उपचार करा सकते हैं। कोई भी समस्या होने पर उसे नजरअंदाज न करें बल्कि तुरंत डॉक्टर से जांच कराएं। 

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