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क्या है सीजर्स डिसऑर्डर? क्या हैं इसके कारण और कैसे कर सकते हैं इलाज?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 23/02/2021

    क्या है सीजर्स डिसऑर्डर? क्या हैं इसके कारण और कैसे कर सकते हैं इलाज?

    दौरे पड़ना कोई बीमारी नहीं है, यह केवल एक लक्षण के रूप में ही जाना जाता है। लेकिन समय रहते इसका इलाज कराना बहुत ही जरूरी होता है। नहीं तो यह मस्तिष्क की एक गंभीर बीमारी के रूप में तब्दील हो सकता है। दवाओं के साथ संतुलित आहार के जरिए भी इसका इलाज मुमकिन है। हो सकता है कि आपके सिर में कभी गंभीर चोट लगी हो। इसकी वजह से तुरंत या बाद में आपको कई समस्याओं से दो-चार होना पड़ता है। ये समस्याएं आपके मस्तिष्क से जुड़ी होती हैं। इसमें ऐसा प्रतीत होता है कि अपने मस्तिष्क पर आपका नियंत्रण नहीं है। मस्तिष्क की तरंगों में आपको बदलाव का अनुभव होने लगता है। ये जो बदलाव आप महसूस करते हैं, इसे ही दौरे पड़ना यानी कि सीजर्स डिसऑर्डर (Seizure Disorder) कहते हैं। यहां हम आपको बता रहे हैं कि सीजर्स डिसऑर्डर आखिर क्यों होता है? सीजर्स डिसऑर्डर के कारण और लक्षण क्या हैं? साथ ही इसका इलाज कैसे होता है।

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    सीजर डिसऑर्डर का क्या मतलब है?

    सीजर्स डिसऑर्डर के कारण मस्तिष्क के भीतर की तरंगों में कई बार अचानक से गड़बड़ी पैदा हो जाती है, जिस पर मरीज का नियंत्रण नहीं रहता। इससे न केवल मरीज का व्यवहार बदल जाता है, बल्कि उसकी भावनाओं और उसकी चेतना में भी बदलाव दिखाई देते हैं। सीजर्स (Seizure Disorder) की शिकायत दो या दो से अधिक बार होती है, तो ऐसे में इसके मिर्गी के दौरे होने की आशंका बढ़ जाती है। यह वह स्थिति होती है, जब आपको तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए।

    सीजर्स डिसऑर्डर के कारण कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। सिर के अंदर किसी चोट की वजह से, किसी तरह के संक्रमण के कारण, किसी स्ट्रोक (Stroke) के कारण या फिर मेनिंगजाइटिस (Meningitis) जैसी बीमारी के बाद भी दौरे आ सकते हैं। कई बार ऐसा भी होता है कि दौरे पड़ने की वजह का पता नहीं चल पाता। दौरे आने की अवधि 30 सेकंड से 2 मिनट की होती है। कई मामलों में मरीजों को 5 मिनट से भी ज्यादा वक्त तक दौरे पड़ते हैं। यह एक आपातकालीन परिस्थिति होती है, जिसमें मरीज को तुरंत इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराना पड़ता है।

    सीजर डिसऑर्डर (Seizure Disorder) क्या होता है?

    हमारे मस्तिष्क में विद्युत संकेत मौजूद होते हैं। यही मस्तिष्क को काम करने के काबिल बनाते हैं। इनमें जब किसी भी तरह का परिवर्तन होता है, तो इन्हें हम दौरे के नाम से जानते हैं। सीजर्स डिसऑर्डर (Seizure Disorder) की समस्या वह होती है, जो किसी भी व्यक्ति में दौरे आने के लिए जिम्मेदार होती है। हम सभी जानते हैं कि नर्व कोशिकाओं यानी कि तंत्रिका कोशिकाओं से हमारा मस्तिष्क बना होता है। ये जितनी भी तंत्रिका कोशिकाएं हैं, इनका एक-दूसरे से संपर्क विद्युत संकेतों के जरिए ही हो पाता है। ये तंत्रिका कोशिकाएं जो बड़ी तादाद में मौजूद हैं, ये जब साथ में बहुत से संकेत भेजने लगती हैं, तो ऐसी स्थिति में दौरे आने लगते हैं।

    किसी भी इंसान को जब सीजर्स डिसऑर्डर के कारण दौरे पड़ते हैं, तो उसके कई तरह की परेशानी होने लगती है, जैसे कि

    •  वे बेहोश हो जाएंगे
    • उनके भ्रम में पड़ने की स्थिति पैदा हो जाएगी
    • वे नीचे गिर जाएंगे
    • उनका शरीर जोर से हिलने लगेगा

    सामान्य स्थिति में ऐसा कुछ ही मिनटों के लिए होता है। इसके बाद एक बार फिर से तंत्रिका कोशिकाएं सामान्य तरीके से काम करना शुरू कर देती हैं। जिस व्यक्ति को दौरे आते हैं, वह भी सामान्य अवस्था में पहुंच जाता है।

    ऐसा नहीं है कि दवा देकर सीजर्स डिसऑर्डर (Seizure Disorder) को नियंत्रण में नहीं लाया जा सकता है, मगर सीजर्स डिसऑर्डर के कारण दौरे आने की वजह से किसी व्यक्ति की जिंदगी बुरी तरीके से प्रभावित होने लगती है। ऐसे में डॉक्टर के संपर्क में चले जाना ही उचित होता है, क्योंकि डॉक्टर इन दौरों पर न केवल नियंत्रण करना सिखा देते हैं, बल्कि वे सही दवाई देकर इसके दुष्प्रभाव को भी कम करने में उसकी मदद करते हैं।

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    सीजर्स डिसऑर्डर के प्रकार (Types of Seizure Disorder)

    सीजर्स डिसऑर्डर (Seizure Disorder) यानी कि मिर्गी के प्रकार कई होते हैं। कई इनमे से ऐसे भी होते हैं, जो वास्तव में बड़े गंभीर भी साबित हो सकते हैं। मस्तिष्क में दरअसल इनकी उत्पत्ति कहां और किस तरह से हुई है, इसके आधार पर ही इसके अलग-अलग प्रकार निर्धारित किए गए हैं। मस्तिष्क में ये कहां पैदा हुए हैं और इनके पैदा होने की पीछे की वजह क्या है, इसके आधार पर डॉक्टरों ने दौरे को सामान्य (Generalized) और फोकल (Focal) नामक दो वर्गों में वर्गीकृत किया है। यदि इनके पैदा होने की वजह नहीं पता हो तो इसे दौरे की शुरुआत के तौर पर माना जाता है। दौरे वाले 10 में से ऐसे एक ही मरीज होते हैं, जिन्हें मिर्गी हो जाती है।

    सामान्यीकृत दौरे (Generalized seizure)

    ऐसे दौरे, जिसमें मस्तिष्क के सभी क्षेत्र शामिल हो जाते हैं, ये सामान्यीकृत दौरे के तौर पर जाने जाते हैं। इसके भी कई प्रकार हैं, जो निम्नवत हैं:-

    1. टोनिक दौरे (Tonic-clonic)

    ऐसे दौरे जब आते हैं, तो इसमें मरीज की मांसपेशियां अकड़ने लगती हैं। हाथ-पैर और पीठ की मांसपेशियों पर इसका ज्यादा प्रभाव पड़ता है। इसकी वजह से मरीज कई बार गिर भी जाते हैं।

  • अनुपस्थित दौरे (Absence seizure)
  • यह एक वक्त पेटिट मल दौरे (Petit mal) के तौर पर भी जाना जाता था, जिसका शिकार अक्सर बच्चे होते हैं। इसमें बच्चा किसी एक चीज को लगातार देखता रहता है। चटकारे लेने में उसे परेशानी होती है। आंख झपकाने में दिक्कत होती है। इसी तरह की छोटी-छोटी अन्य परेशानियां भी होती हैं।

    1. फीब्राइल दौरे (febrile seizure)-

    ऐसे दौरे भी ज्यादातर बच्चों को ही आते हैं। इसमें बच्चे को तेज बुखार आ जाता है। यह कुछ मिनटों तक ही रहता है। हालांकि, यह ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचाता है।

    1. म्योक्लौनिक दौरे (Myoclonic seizure)

    इसमें मरीज के हाथ और पैर में अचानक छोटे-छोटे झटके महसूस होने लगते हैं।

    1. एटोनिक दौरे (Atonic seizure)

    ड्रॉप दौरे (Drop seizure) भी इसे कहते हैं। इसमें मांसपेशियों पर से नियंत्रण कुछ वक्त के लिए खत्म हो जाता है, जिसकी वजह से मरीज अचानक से गिर पड़ते हैं।

    1. फोकल दौरे (Focal seizure)

    इस तरह के दौरे तब आते हैं, जब मस्तिष्क के किसी हिस्से में विद्युत गतिविधियां असामान्य हो जाती हैं। इस तरह के दौरे में मरीज की चेतना जा भी सकती है और बनी भी रह सकती है। एक नजर डालते हैं इन दोनों प्रकार के दौरों पर:-

    चेतना के साथ वाले फोकल दौरे (Focal onset aware seizure)

    सीजर्स डिसऑर्डर के कारण इस तरह के दौरे जब आते हैं, तो मरीज की चेतना बनी रहती है। फर्क बस यह होता है कि उसकी महसूस करने, किसी चीज का स्वाद चखने, किसी चीज को सूंघने, देखने या फिर सुनने का तरीका बदल जाता है। उदाहरण के लिए हाथ या पैर में झुनझुनी आ सकती है। चमकती रोशनी दिख सकती है या फिर चक्कर आ सकते हैं।

    बिना चेतना वाले फोकल दौरे (Focal onset impaired awareness seizure)

    सीजर्स डिसऑर्डर के कारण इस तरह के दौरे जब आते हैं, तो मरीज की चेतना या उसकी जागरूकता कुछ वक्त के लिए खत्म हो जाती है। उसका व्यवहार सामान्य नहीं रहता। वह अचानक चबाना शुरू कर देता है। निगलने लगता है। चलने की गति उसकी थम जाती है। किसी एक चीज को एकटक देखता है। हाथों को बार-बार रगड़ता है।

    सीजर्स डिसऑर्डर के कारण क्या हैं?

    आपके दिमाग में यह सवाल आ रहा होगा कि सीजर्स डिसऑर्डर के कारण इस तरह के दौरे क्यों आते हैं। दरअसल, हमारे मस्तिष्क में कोशिकाएं विद्युत आवेगों का निर्माण करती हैं। इनका ये परस्पर आदान-प्रदान करती हैं। इसी प्रक्रिया की वजह से तंत्रिका कोशिकाओं का एक-दूसरे से संवाद हो पाता है। किसी वजह से जब यह बाधित हो जाता है, तो वैसे मैं दौरे आते हैं। वैसे तो मुख्य रूप से मिर्गी की वजह से दौरे आते हैं, लेकिन मिर्गी ही हर दौरे की वजह हो, निश्चित तौर पर ऐसा नहीं कहा जा सकता। सीजर्स डिसऑर्डर के कारण अन्य भी हो सकते हैं, जो निम्नवत हैं:-

    •  दिमाग को चोट पहुंचने की वजह से
    • अल्जाइमर की वजह से
    • स्ट्रोक के कारण
    • धूम्रपान बंद करने वाली थेरेपी की वजह से
    • दर्द निरोधक या एंटीडिप्रेसेंट दवाइयों की वजह से
    • जन्म के वक्त खून की कमी के कारण
    • जिगर या गुर्दे के ठीक से काम न करने की वजह से
    • नींद कम लेने के कारण
    • तेज बुखार की वजह से
    • ब्रेन ट्यूमर के कारण
    • कोकिन (Coccin) या एम्फेटामाइन (Amphetamine) के सेवन से

    सीजर्स डिसऑर्डर (Seizure Disorder) के लक्षण क्या हैं?

    • शरीर अकड़ जाता है।
    • झटके लगते हैं।
    • सांस लेने में दिक्कत होती है।
    • अस्थाई भ्रम यानी कि कन्फ्यूजन की स्थिति पैदा हो जाती है।
    • दिन में सपने दिखते हैं।
    • लार टपकने लगता है।
    • हाथ और पैर में अजीब तरह की अकड़न होने लगती है।
    • बेहोशी आ जाती है।
    • एक चीज को एकटक देखते रहते हैं।
    • डर पैदा हो जाता है।
    • चिंता होने लगती है।
    • किसी घटना को देखकर लगता है कि जैसे पहले ऐसा हो चुका है।

    दौरा पड़ने पर क्या करना चाहिए?

    • घबराने की बजाय सतर्क रहें।
    • मरीज को एक करवट लिटा दें।
    • चोट लगने वाली चीजों से मरीज को दूर कर दें।
    • दौरे जब तक खत्म न हों, मरीज के साथ रहें।
    • मरीज के कपड़े ज्यादा चुस्त हों तो उन्हें खोल दें।
    • डॉक्टर को सूचित कर दें।
    • मरीज की जीभ न पकड़ें।
    • मरीज के मुंह में कुछ भी न रखें।

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    सीजर्स डिसऑर्डर का इलाज (Treatment of Seizure Disorder) क्या है?

    दौरे का इलाज अलग-अलग तरीके का होता है, जो निम्नवत है:-

    1. पहली बार दौरे पड़ने पर डॉक्टर के पास मरीज को लेकर जाना चाहिए। डॉक्टर कुछ टेस्ट करवा कर उसके आधार पर इलाज करते हैं।
    2. मिर्गी की वजह से दौरे आने पर डॉक्टर मरीज की दवा बदल देते हैं। किसी संक्रमण की वजह से यदि दौरे आ रहे हों, तो उस संक्रमण को खत्म करने के लिए डॉक्टर दवाई देते हैं।
    3. स्थिति गंभीर होने पर डॉक्टर सर्जरी की सहायता लेते हैं। मस्तिष्क के जिस हिस्से से दौरे शुरू होते हैं, वहां की सर्जरी की जाती है।
    4. अधिक वसा और कम कार्बोहाइड्रेट वाला आहार लेकर भी दौरे के प्रभाव को घटाने में मदद मिलती है।

    इस तरह से सीजर्स डिसऑर्डर (Seizure Disorder) के न केवल कारण कई होते हैं, बल्कि इसके लक्षण भी अलग-अलग तरह के होते हैं। दौरे को पहचान कर उसका वक्त रहते इलाज करा लेना ही उचित होता है, ताकि इसकी वजह से किसी प्रतिकूल परिस्थिति को पैदा होने से रोका जा सके। स्थिति गंभीर होने पर डॉक्टरी सलाह अवश्य लें।

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