- गैस्ट्रोओसोफेगल रिफ्लक्स (Gastroesophageal Reflux Disease), क्रोहन डिजीज, आईबीएस (IBS) और आंत में रुकावट का पता लगाने के लिए मरीज को अल्ट्रासाउंड कराना पड़ता है।
- पेप्टिक अल्सर, किडनी और पित्ताशय की बीमारी जानने के लिए एंडोस्कोपी करायी जाती है।
- एब्डॉमिनल माइग्रेन का निदान होने के बाद इस बीमारी का उचित इलाज शुरू किया जाता है।
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एब्डॉमिनल माइग्रेन का इलाज कैसे होता है? (Treatment for Abdominal Migraine)
एब्डॉमिनल माइग्रेन के इलाज के लिए बच्चों को आमतौर पर वही दवाएं दी जाती है, जो माइग्रेन के सिरदर्द के लिए दी जाती हैं। पेट के माइग्रेन के लिए तीन तरह की मेडिकेशन की जाती है, जो इस प्रकार हैं:
- पेट के दर्द को कम करने के लिए इबुप्रोफेन (Ibuprofen) या एसिटामिनोफेन (Acetaminofen) दवाएं दी जाती हैं।
- ट्रिप्टेन माइग्रेन ड्रग्स जैसे सुमाट्रिप्टान (Sumantrite) और गीलेमट्रेपैन (Gelemtrepain) आदि दवाएं माइग्रेन का अटैक आने के तुरंत बाद छह साल तक के बच्चों को दी जाती हैं। यह दवा एब्डॉमिनल माइग्रेन के लक्षणों को कम करती है।
- मस्तिष्क में केमिकल को ब्लॉक करने के लिए उल्टी रोकने की दवा दी जाती है।
- साइप्रोहेप्टाडिन (Cyproheptadine)
- प्रोप्रानोलोल (Propranolol)
इसके साथ ही यह ध्यान रखें कि बच्चा पर्याप्त नींद ले और नियमित दिन में कई बार तरल पदार्खाथ और भोजन ले। यदि बच्चे को उल्टी होती है तो उसे अतिरिक्त फ्लुइड दें ताकि डिहाइड्रेशन ना हो।
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एब्डॉमिनल माइग्रेन की तकलीफ को दूर करने के लिएक्या क्या हैं घरेलू उपाय? (Home remedies for Abdominal Migraine)
अगर बच्चे को एब्डॉमिनल माइग्रेन की शिकायत रहती है, तो आपके डॉक्टर कार्बोनेटेड पेय पदार्थ, चाय, कॉफी और चॉकलेट से परहेज करने की सलाह देते हैं। इसके साथ ही बच्चे को पर्याप्त एक्सरसाइज करने के लिए भी कहा जा सकता है। फाइबर और पोषक तत्वों से भरपूर डायट लेने से इस तकलीफ से बचा जा सकता है। इसलिए बच्चे के डायट में ये आहार जरूर शामिल करें।
- ओट्स
- फलों के जूस
- हरी पत्तेदार सब्जियां
- दही
- खिचड़ी
- दाल
इस संबंध में आप अपने डॉक्टर से संपर्क करें। क्योंकि आपके स्वास्थ्य की स्थिति देख कर ही डॉक्टर आपको उपचार बता सकते हैं।
डॉक्टर को कब कंसल्ट करना चाहिए?
निम्नलिखित परेशानी महसूस होने पर डॉक्टर से संपर्क करने में देरी ना करें। अगर-
- बच्चे को उल्टी हो रहा हो
- अत्यधिक कमजोरी महसूस होना
- बच्चे का हमेशा थका हुआ महसूस करना
- भूख नहीं लगना
- शरीर पीला पड़ना
- आंखों के नीचे काले घेरे होना
अगर बच्चे की ऐसी स्थिति हो रही है, तो डॉक्टर से जल्द से जल्द संपर्क करें।
अगर आप एब्डॉमिनल माइग्रेन (Abdominal Migraine) से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं, तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।