टीनएजर्स को लॉकडाउन में मनी मैनेजमेंट के बारे में जरूर सिखाएं। घर में बजट को कैसे मेंटेन किया जाता है, ये बात आपके बच्चों को पता होनी चाहिए। महीने में बिजली का बिल Electricity Bill), राशन का खर्च, घर का किराया, महीने का औसत खर्चा आदि के बारे में टीनएजर्स (Teenager) को जानकारी होना बहुत जरूरी है। बच्चों को हर महीने होने वाले उनके एकेडमिक खर्चों के बारे में भी जानकारी होनी चाहिए। जो टीनएजर्स मनी मैनेजमेंट सीख जाते हैं, वो फिजूल खर्जी नहीं करते हैं। लॉकडाउन में सभी टीनएजर्स को ये टिप्स जरूर सीखना चाहिए।
कोरोना वायरस के कारण देश-दुनिया में तेजी से बदलाव आया है। कोरोना का कहर खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है, इसलिए कोरोना से सावधानी ही इस बीमारी का इलाज है। कोरोना वायरस के लक्षण दिखते ही कोरोना का इलाज कराएं। कोरोना वायरस (Corona Virus) फैलने के कारण अब ऑनलाइन स्टडी अधिक अहम हो गई है। पेरेंट्स के साथ ही ये टीचर्स के लिए भी चुनौती बन गया है। कोरोना महामारी के दौरान ऑनलाइन स्टडी के साथ ही बच्चे ऑनलाइन क्रिएटीविटी भी सीख रहे हैं। ये सच है कि जब तक कोरोना वायरस पर नियंत्रण नहीं कर लिया जाएगा, तब तक बच्चों को स्कूल भेजना खतरे से खाली नहीं है। ऐसे में बच्चों के साथ ही पेरेंटस को भी कुछ बातों का ध्यान रखना होगा, ताकि बच्चा घर में भी रहकर ऑनलाइन माध्यम से चीजों को सीख सकें।
कोरोना लॉकडाउन टिप्स: घर में रहकर इन बातों का रखें ध्यान (Home Safety)
पेरेंट्स (Parents) टीनएजर्स को बातों को समझा कर समस्या का समाधान निकाल सकते हैं, लेकिन छोटे बच्चों को समझाना पेरेंट्स के लिए मुश्किल हो सकता है। अगर आप एक ही साथ टीनएज और छह साल के कम उम्र के बच्चे को संभाल रही है तो बैलेंस करना बहुत जरूरी है। छोटे बच्चे ऑनलाइन क्लास लेते समय या तो सही से नहीं पढ़ते हैं या फिर बीमारी का नाटक कर सकते हैं।बच्चा अगर क्लास अटेंड नहीं कर पाया तो पेरेंट्स को क्लास जरूर ज्वाइन करनी चाहिए ताकि ये पता चल सके कि टीचर ने क्या पढ़ाया है। ऐसा करने से बाद में पेरेंट्स समय निकाल कर बच्चे को पढ़ा सकते हैं। कई बार तो टीचर्स भी ये सलाह देती हैं कि बच्चों को ऑनलाइन क्लास (Online Class) के लिए फोर्स न करें और जितनी देर मन हो, उतना ही पढ़ें। ऐसे में पेरेंट्स को बच्चे पर प्रेशर नहीं डालना चाहिए। ठीक ऐसा ही क्रिएटिविटी की क्लास में भी किया जा सकता है। बच्चों के लिए ऑनलाइन क्लास एक नया माहौल है, जिसे वो आसानी से एडॉप्ट नहीं कर पाएंगे। हो सकता है कि बच्चा कुछ समय बाद इन चीजों को एंजॉय करें।
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