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पेट दर्द का कारण बन सकता है ये बैक्टीरिया, जानिए इससे बचने के उपाय

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 04/02/2021

    पेट दर्द का कारण बन सकता है ये बैक्टीरिया, जानिए इससे बचने के उपाय

    हेलिकोबैक्टर पाइलोरी इन्फेक्शन ग्राम-निगेटिव बैक्टीरिया के कारण होने वाला इन्फेक्शन है। इस बैक्टीरिया के कारण पेट में क्रॉनिक इन्फ्लामेशन या इन्फेक्शन की समस्या होती है। ये बैक्टीरिया शरीर में प्रवेश करने के बाद डायजेस्टिव सिस्टम में इन्फेक्शन फैलाता है। कुछ लोगों को शुरुआत में एच. पाइलोरी संक्रमण के लक्षण नजर नहीं आते हैं। सालों तक शरीर के अंदर रहने पर ये बैक्टीरिया स्टमक अल्सर का कारण भी बनता है। अगर सही समय पर हेलिकोबैक्टर पाइलोरी इन्फेक्शन का ट्रीटमेंट न कराया जाए, तो ये बैक्टीरिया स्टमक कैंसर यानी पेट के कैंसर का कारण भी बन सकता है। एच. पाइलोरी इन्फेक्शन छोटे बच्चे से लेकर बड़े उम्र के व्यक्तियों को भी हो सकता है। एच. पाइलोरी संक्रमण के लक्षण न दिखने के कारण लोगों को अक्सर शुरुआती इन्फेक्शन के बारे में जानकारी नहीं मिल पाती है।  एच. पाइलोरी  इन्फेक्शन होने का मुख्य कारण दूषित खानपान और पेय पदार्थ हो सकता है। ये इन्फेक्शन विकासशील देशों में अधिक पाया जाता है। 10% तक बच्चों और 80% वयस्कों में एच. पाइलोरी इन्फेक्शन होने की संभावना रहती है। इस आर्टिकल के माध्यम से जानिए कि एच.  पाइलोरी  संक्रमण किन कारणों से हो सकता है और एच. पाइलोरी  इन्फेक्शन के लक्षणों को कैसे पहचाना जाए।

     एच. पाइलोरी संक्रमण के लक्षण (symptoms of H. pylori infection)

    पेट में दर्द

    एच. पाइलोरी  संक्रमण के लक्षण आमतौर पर दिखाई नहीं पड़ते हैं। कुछ व्यक्तियों में  एच.  पाइलोरी  संक्रमण के लक्षण यानी एपिसोड्स दिख सकते हैं। बच्चों में भी इस संक्रमण के लक्षण नजर आ सकते हैं। जानिए एच.  पाइलोरी  संक्रमण के लक्षणों के बारे में।

  • बेल्चिंग ( belching)
  • ब्लोटिंग(bloating)
  • जी मिचलाना और उल्टी (nausea and vomiting)
  • पेट में खराबी महसूस होना (abdominal discomfort)
  • पेट में दर्द होना (abdominal pain)
  • वॉमिटिंग के साथ ब्लड आना (vomiting that may include vomiting blood)
  • स्टूल के कलर में बदलाव होना
  • थकान का एहसास ( fatigue)
  • रेड ब्लड सेल्स कम होना (low red blood cell count)
  • भूख कम लगना
  • पेप्टिक अल्सर (peptic ulcers)
  • हार्टबर्न (heartburn)
  • सांस से बदबू आना (bad breath)
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    एच. पाइलोरी के कारण संक्रामक बीमारी फैलती है। ये बैक्टीरिया कुछ व्यक्तियों को गट में रहता है और किसी भी तरह के लक्षणों को उत्पन्न नहीं करता है। एच. पाइलोरी शरीर के अंदर रहकर यूरिएज एंजाइम (enzyme urease) प्रोड्यूस करता है, जिस कारण से बैक्टीरिया पेट में आसानी से रहने के लिए सक्षम हो पाता है। यूरिएज एंजाइम यूरिया के साथ रिएक्ट करके अमोनिया (ammonia)बनाता है। अमोनिया के कारण स्टमक एसिड (stomach’s acid) न्यूट्रिलाइज हो जाता है, तो ऑर्गेनिज्म यानी बैक्टीरिया को टिशू में सर्वाइव करने की अनुमति देता है। उपरोक्त दिए गए एच. पाइलोरी संक्रमण के लक्षणों को पढ़कर आप ये तो जान ही गए होंगे कि ये बैक्टीरिया किस तरह से शरीर को नुकसान पहुंचाने का काम करता है। एच. पाइलोरी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में लार के माध्यम से, फीकल कंटामिनेशन (fecal contamination) यानी पानी और भोजन के दूषित हो जाने से या हाइजीन की कमी के कारण आसानी से फैल सकता है।

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    एच. पाइलोरी संक्रमण ( H. pylori infections) का डायग्नोज

    एच. पाइलोरी संक्रमण का डायग्नोज करने के लिए डॉक्टर फिजिकल एक्जामिनेशन कर सकते हैं। डॉक्टर पेट में दर्द वाली जगह को देखते हैं और पेट से आने वाली आवजों को भी सुनते हैं। साथ ही ब्लड टेस्ट, स्टूल टेस्ट, यूरिया ब्रीथ टेस्ट और एंडोस्कोपी के माध्यम से इन्फेक्शन डायग्नोज किया जाता है। आप डॉक्टर से एंडोस्कोपी से पहले ली जाने वाली सावधानियों के बारे में पूछ सकते हैं। इन्फेक्शन डायग्नोज हो जाने के बाद डॉक्टर एंटीबायोटिक्स दवाओं का सेवन करने की सलाह देते हैं।

    एच. पाइलोरी संक्रमण ( H. pylori infections) का ट्रीटमेंट

    एच. पाइलोरी संक्रमण का ट्रीटमेंट करने के लिए डॉक्टर पेशेंट को दो अलग तरह की एंटीबायोटिक्स दवाओं के कॉम्बिनेशन के साथ ही अन्य दवा लेने की सलाह दे सकते हैं। ऐसा करने से स्टमक एसिड को कम करने का काम करते हैं। स्टमक एसिड कम करने से एंटीबायोटिक्स दवाओं का अधिक असर दिखाई पड़ता है। डॉक्टर प्रोटान पंप इनहिबिटर्स (proton-pump inhibitors), मेट्रोनिडाजोल (metronidazole) और अमोक्सिसिलिन (amoxicillin) खाने की सलाह दे सकते हैं। मेडिकल हिस्ट्री के अनुसार दवाएं बदली भी जा सकती हैं। दवाओं को एक से दो हफ्ते खाने की सलाह दी जाती है और फिर फॉलो अप टेस्ट भी किया जाता है। उपरोक्त जानकारी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। आप अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।

    एच. पाइलोरी संक्रमण और पेप्टक अल्सर में क्या है संबंध?

    पेप्टिक अल्सर खुला घाव होता है, जो स्टमक लाइनिंग या छोटी आंत के ऊपर (duodenum) हो सकता है। जो अल्सर स्टमक में होता है, उसे गैस्ट्रिक अल्सर (gastric ulcer)कहते हैं। ज्यादातर अल्सर हेलिकोबैक्टर पाइलोरी इन्फेक्शन के कारण होते हैं। एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के बीच नजदीकी और फीकल मैटर (fecal matter) या उल्टी के संपर्क में आने से ये संक्रमण फैलता है। बैक्टीरिया के कारण प्रोटेक्टिव स्टमक म्युकस कमजोर पड़ने लगता है, जिसके कारण एसिड सेंसिटिव लाइनिंग में पहुंच जाता है। एसिड और बैक्टीरिया के कारण स्टमक लाइनिंग में अल्सर की समस्या हो जाती है। जिन लोगों को पेप्टिक अल्सर की समस्या होती है, उन पेशेंट्स का एच. पाइलोरी टेस्ट भी किया जाता है। पेप्टिक अल्सर होने का कारण पेट में अधिक मात्रा में एसिड का बनना भी हो सकता है। जो लोग स्पाइसी खाना ज्यादा खाते हैं, उन्हें भी पेप्टिक अल्सर या फिर स्टमक अल्सर होने की संभावना बढ़ जाती है। स्मोकिंग, एल्कोहॉल का अधिक सेवन, डायबिटीज या स्ट्रेस अधिक लेने भी पेप्टिक अल्सर की समस्या हो जाती है। एच. पाइलोरी इन्फेक्शन जब लंबे समय तक रहता है, तो टिशू की ग्रोथ भी अचानक से बढ़ने लगती है, जो पेट के कैंसर का कारण बन सकती है। ये जरूरी नहीं है कि जिन लोगों को एच. पाइलोरी इन्फेक्शन हुआ हो, उन्हें कैंसर भी हो जाए। कुछ केसेज में कैंसर की संभावना बढ़ जाती है। आप इस बारे में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से परामर्श कर सकते हैं।

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    हेलिकोबैक्टर पाइलोरी इन्फेक्शन से पाना है छुटकारा, तो इन बातों का रखें ध्यान

    आपको उपरोक्त जानकारी से ये तो पता ही चल गया होगा कि एच. पाइलोरी इन्फेक्शन किन कारणों से फैलता है और ये कैसे कैंसर का कारण बन सकता है। अगर समय पर इस संक्रमण का इलाज न कराया जाए, तो ये जानलेवा भी हो सकता है। आपको एच. पाइलोरी का ट्रीटमेंट कराने के साथ ही कुछ सावधानियां भी रखनी होंगी, ताकि ये संक्रमण आपको दोबारा न हो सके।

    • एच. पाइलोरी संक्रमण से बचने के लिए हाइजीन का खासतौर पर ख्याल रखने की जरूरत है। हमारे आसपास बहुत से सूक्ष्म जीव होते हैं, जो हमे संक्रमित कर सकते हैं। आपको खाना खाने के पहले, बाथरूम का इस्तेमाल करने से पहले हाथों को अच्छी तरह से साफ करना चाहिए। बेहतर होगा कि आप अपना जूठा खाना अन्य को न खिलाएं क्योंकि ये इन्फेक्शन लार के माध्यम से भी फैल सकता है।
    • आप जिन सब्जियों या फिर फलों का इस्तेमाल करने वाली है, उन्हें थोड़ी देर तक पानी में ही रखें और फिर साफ करें। बिना धुलें सब्जियों या फलों को बिल्कुल भी न खाएं।
    • अगर बहुत जरूरी न हो, तो बाहर का खाना खाने से बचें। एच. पाइलोरी के फैलने का मुख्य कारण दूषित भोजन और पानी है। अगर आप घर से ही पानी और भोजन ले जाएंगे, तो बेहतर होगा।
    • खाने में पौष्टिक आहार शामिल करने से आपको कई समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है। आपको पर्याप्त मात्रा में पानी भी पीना चाहिए।
    • कोई भी सब्जी या फिर मीट को आधा कच्चा न खाएं। खाना अच्छी तरह से पका कर खाएं।

    उपरोक्त बातों का ध्यान रख आप हेलिकोबैक्टर पाइलोरी इन्फेक्शन से बच सकते हैं। फिर भी अगर आपको एच. पाइलोरी संक्रमण के लक्षण दिखते हैं, तो डॉक्टर को जरूर दिखाएं और ट्रीटमेंट कराएं।

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    हाइजीन युक्त वातावरण और अच्छी जीवनशैली कई बीमारियों से बचाने का काम करती है। अगर आप सावधानी रखते हैं, तो बीमारी की संभावना भी कम हो जाती है। एच. पाइलोरी संक्रमण के लक्षण दिखने पर आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।अगर आपको फिर भी किसी समस्या का सामना करना पड़ रहा है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। हम उम्मीद करते हैं कि आपको ये आर्टिकल पसंद आया होगा। आप स्वास्थ्य संबंधी अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है, तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं।

    डिस्क्लेमर

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