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Gastritis and Duodenitis: खानपान में खराबी के कारण हो सकती है पेट में सूजन की समस्या

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 24/03/2021

Gastritis and Duodenitis: खानपान में खराबी के कारण हो सकती है पेट में सूजन की समस्या

गैस्ट्राइटिस (gastritis) से मतलब पेट में सूजन से है जबकि  डुओडेनाइटिस (duodenitis) की कंडीशन ड्युडेनम (duodenum) में सूजन के कारण उत्पन्न होती हैं। ड्युडेनम स्मॉल इंटेस्टाइन का पार्ट होता है। ये स्टमक और स्मॉल इंटेस्टाइन के बीच स्थित होता है। जब खाने के साथ स्टमक एसिड मिक्स हो जाता है, तो ये ड्युडेनम में जाता है, जहां ये गॉलब्लैडर में बाइल के साथ मिलकर अग्नाशय (pancreas) में डायजेस्टिव जूस के साथ मिल जाता है। गैस्ट्राइटिस और डुओडेनाइटिस की समस्या का समान कारण और समान ट्रीटमेंट होता है। इस आर्टिकल के माध्यम से जानिए कि गैस्ट्राइटिस और डुओडेनाइटिस की समस्या का सामना क्यों करना पड़ता है और इसका ट्रीटमेंट कैसे किया जाता है।  

और पढ़ें: स्टीमुलेंट लैक्सेटिव या सेलाइन लैक्सेटिव के सेवन से पहले हमें क्या जानना है जरूरी?

क्यों होती है गैस्ट्राइटिस और डुओडेनाइटिस (Gastritis and Duodenitis Causes) की समस्या?

गैस्ट्राइटिस और डुओडेनाइटिस (gastritis and duodenitis) की समस्या हेलिकोबैक्टर पाइलोरी नामक (Helicobacter pylori) बैक्टीरिया के कारण होती है। बैक्टीरियल इन्फेक्शन के कारण छोटी आंत या स्टमक में सूजन की समस्या हो जाती है और स्टमक पेन शुरू हो जाता है। हेलिकोबैक्टर पाइलोरी बैक्टीरिया एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में आसानी से पहुंच सकता है। ये बैक्टीरिया दूषित खाने या पानी के माध्यम से मनुष्य के शरीर में पहुंच जाता है और फिर सूजन का कारण बनता है। एच. पाइलोरी बैक्टीरिया इन्फेक्शन फैलाने का काम करता है और गैस्ट्राइटिस का मुख्य कारण भी होता है। एच. पाइलोरी छोटा, स्पाइरलशेप, ग्राम निगेटिव बेसिलस बैक्टीरिया होता है, जो गैस्ट्रिक श्लेष्म परत (mucous layer)  पर रहता है। ये बचपन से लेकर किसी भी उम्र में मनुष्य के शरीर में प्रवेश कर सकता है और ओरल रूट्स से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में प्रवेश करता है। कुछ लोगों में एच. पाइलोरी बैक्टीरिया का संक्रमण होने पर इन्फेक्शन के लक्षण नजर नहीं आते हैं। एच. पाइलोरी के कारण अल्सर की समस्या पैदा हो सकती है।

विकासशील देशों या डेवलपिंग कंट्रीज में करीब 80 प्रतिशत लोग इस बीमारी से संक्रमित होते हैं। आपको जानकर हैरानी हो सकती है कि कुछ दवाओं (एस्पिरिन, नेप्रोक्सन) का और एल्कोहॉल का सेवन भी गैस्ट्राइटिस और डुओडेनाइटिस का कारण बन सकता है। गैस्ट्राइटिस और डुओडेनाइटिस के निम्नलिखित कारण भी हो सकते हैं। 

और पढ़ें:स्टमक इंफेक्शन दूर करने के लिए आजमाएं ये घरेलू उपाय 

उपरोक्त दिए गए कारणों के साथ ही इन्फ्लामेट्री बाउल डिजीज (Inflammatory bowel disease) भी गैस्ट्राइटिस और डुओडेनाइटिस की समस्या का कारण बन सकती है। आई बी डी  (IBD) का कारण ज्ञात नहीं है। कुछ डॉक्टर्स का मानना है कि ये बीमारी इम्यून डिसऑर्डर के कारण हो जाती है। वातावरण के कुछ फैक्टर्स और जेनेटिक फैक्टर्स भी आईबीडी का कारण बन सकते हैं। आई बी डी  के कारण डायजेस्टिव ट्रेक्ट में सूजन की समस्या हो सकती है। जिन लोगों को आई बी डी की समस्या होती है, उन लोगों में गैस्ट्राइटिस और डुओडेनाइटिस की संभावना भी बढ़ जाती है।

गैस्ट्राइटिस और डुओडेनाइटिस (gastritis and duodenitis) के लक्षण

पेट में सूजन की समस्या के कारण शरीर में कुछ लक्षण नजर आ सकते हैं।  गैस्ट्राइटिस और डुओडेनाइटिस की समस्या के कारण पेट में दर्द की समस्या आम होती है। आमतौर पर पेट में दर्द को लोग इग्नोर करते हैं, जो बीमारी को बढ़ाने का काम कर सकता है। जानिए गैस्ट्राइटिस और डुओडेनाइटिस की समस्या के कारण क्या लक्षण नजर आ सकते हैं।

  • जी मिचलाना (nausea)
  • उल्टी (vomiting)
  • पेट में जलन या ऐंठन का एहसास (stomach burning or cramping)
  • खट्टी डकार आना (indigestion)
  • कम भूख लगना
  • स्टूल का रंग बदलना
  • इंटरनल ब्लीडिंग के कारण वॉमिटिंग का रंग बदलना
  • पेट दर्द (stomach pain)

अगर आपको उपरोक्त लक्षण नजर आएं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। बीमारी का सही समय पर इलाज कराने से बीमारी के लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है। आपको अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। 

गैस्ट्राइटिस और डुओडेनाइटिस (gastritis and duodenitis) को डायग्नोज कैसे किया जाता है? 

गैस्ट्राइटिस और डुओडेनाइटिस को डायग्नोज करने के लिए कई टेस्ट्स किए जाते हैं। डॉक्टर ब्लड और स्टूल टेस्ट की सलाह दे सकता है। साथ ही एच. पाइलोरी की जांच के लिए ब्रीथ टेस्ट किया जाता है। इसमे पेशेंट को लिक्विड या टैबलेट दिया जाता है और एक बैग में सांस लेने के लिए कहा जाता है। डॉक्टर ये टेस्ट एक्स्ट्रा कार्बन डाई ऑक्साइड टेस्ट के लिए करते हैं, जो एच. पाइलोरी के इन्फेक्शन के बारे में जानकारी देता है। स्टमक लाइनिंग के टेस्ट के लिए एंडोस्कोपी (endoscopy) भी की जा सकती है। टेस्ट के दौरान एक ट्यूब या एंडोस्कोप का इस्तेमाल किया जाता है, जो मुंह की सहायता से पेट और छोटी आंत की जांच के लिए इस्तेमाल की जाती है। एंडोस्कोप में कैमरा लगा होता है, जो सूजन के बारे में जानकारी देता है। साथ ही ब्लीडिंग, पेप्टिक अल्सर और एब्नॉर्मल टिशू के बारे में भी जानकारी मिलती है।

कैसे किया जाता है गैस्ट्राइटिस और डुओडेनाइटिस (gastritis and duodenitis) का ट्रीटमेंट

गैस्ट्राइटिस और डुओडेनाइटिस का ट्रीटमेंट एंटीबायोटिक्स और एसिड रिड्यूसर के माध्यम से किया जाता है। लाइफस्टाइल में बदलाव भी बीमारी के लक्षणों को कम करने मदद करता है। जानिए गैस्ट्राइटिस और डुओडेनाइटिस का ट्रीटमेंट कैसे किया जाता है। 

  1. गैस्ट्राइटिस और डुओडेनाइटिस का ट्रीटमेंट करने के लिए डॉक्टर एंटीबायोटिक्स लेने की सलाह देते हैं। एच. पाइलोरी का ट्रीटमेंट करने के लिए कुछ ड्रग्स दिए जाते हैं, जो संक्रमण को खत्म करने का काम करता है। डॉक्टर कुछ सप्ताह तक दवाओं का सेवन करने की सलाह दे सकते हैं।
  2. ओवर-द-काउंट दवाओं का उपयोग एसिड प्रोडक्शन को कम करने के लिए किया जा सकता है। कुछ दवाएं जैसे कि सिमेटिडाइन (cimetidine), फैमोटिडाइन (famotidine) आदि दवाएं इस्तेमाल की जाती है। डॉक्टर प्रोटान पंप इनहिबिटर्स (Proton pump inhibitors) लेने की सलाह भी देते हैं। डॉक्टर इसोमेप्राजोल (esomeprazole), लैंसोप्राजोल (lansoprazole), ओमेप्राजोल (omeprazole) आदि दवाओं का सेवन करने की सलाह दी जाती है।
  3. डॉक्टर स्टमक एसिड और दर्द से राहत के लिए एंटासिड्स (Antacids) लेने की सलाह भी दे सकते हैं। एंटासिड्स के रूप में कैल्शियम कार्बोनेट (calcium carbonate), मैग्नीशियम हाइड्रॉक्साइड (magnesium hydroxide), कैल्शियम कार्बोनेट और मैग्नीशियम हाइड्रॉक्साइड आदि की सलाह दी जा सकती है एंटासिड्स लेने पर शरीर कुछ मेडिसिन को अवशोषित नहीं कर पाता है। बेहतर होगा कि अगर आप पहले से किसी दवा का सेवन कर रहे हैं, तो इस बारे में डॉक्टर को जानकारी जरूर दें।

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लाइफस्टाइल में सुधार करने से बच सकते हैं पेट की सूजन से

दवाओं का सेवन करने से किसी भी बीमारी के लक्षणों को कम करने में मदद मिलती है। अगर आप जीवनशैली या लाइफस्टाइल में सुधार करेंगे, तो आपको बीमारी से छुटकारा मिल सकता है। अच्छी लाइफस्टाइल कई बीमारियों से बचाती है। जानिए गैस्ट्राइटिस और डुओडेनाइटिस से छुटकारे के लिए किन बातों का ध्यान रखने की आवश्यकता है।

  • डायजेस्टिव ट्रेक में सूजन की समस्या से बचने के लिए आपको स्मोकिंग और एल्कोहॉल से दूरी बना लेनी चाहिए।
  • खाने में फ्रेश फ्रूट्स के साथ ही वेजीटेबल्स शामिल करें। आप चाहे तो खाने में लिक्विड डायट भी शामिल कर सकते हैं।
  • पेन रिलीवर्स मेडिसिन का उपयोग करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें चूंकि कुछ दवाएं पेट में सूजन को बढ़ावा देती है।
  • अगर जांच के दौरान सीलिएक रोग ( celiac disease) के बारे में जानकारी मिलती है, तो ग्लूटेन का सेवन करने से बचें।
  • अगर बुखार, वॉमिटिंग और पेट में दर्द की समस्या हो रही है, तो पेन रिलीवर्स खाने के बजाय तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।
  • एंटीबायोटिक्स दवाओं का पूरा सेवन करें और उन्हें अधूरा न छोड़ें वरना आपको दोबारा इन्फेक्शन हो सकता है।

बिना ट्रीटमेंट के गैस्ट्राइटिस और डुओडेनाइटिस क्रॉनिक कंडीशन खड़ी कर सकते हैं। इस कारण से स्टमक अल्सर और स्टमक ब्लीडिंग की समस्या भी हो सकती है। कुछ कंडीशन में स्टमक कैंसर का खतरा भी बढ़ जाता है। अब तो आप समझ ही गए होंगे कि पेट दर्द को कभी भी हल्के में नहीं लेना चाहिए। बीमारी का सही तरह से इलाज कराकर आप बड़ी समस्या से बच सकते हैं। हम उम्मीद करते हैं कि आपको ये आर्टिकल पसंद आया होगा। आप स्वास्थ्य संबंधी अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं।

डिस्क्लेमर

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