योगर्ट (Yogurt) का करें सेवन
योगर्ट प्रोबायोटिक का अच्छा सोर्स माना जाता है। योगर्ट आप मार्केट से ले सकते हैं। योगर्ट में ‘लेक्टोबेसिलस बैक्टीरिया ’ से बनता है। प्रोबायोटिक्स खाने से डाइजेशन बेहतर रहता है और बोंस हेल्थ भी इंप्रूव होती है। जिन बच्चों में इरिटेबल बाउल सिंड्रोम (irritable bowel syndrome) की समस्या होती है, उनके लिए प्रोबायोटिक्स लाभकारी होता है। लैक्टोस इंटॉलरेंस में भी प्रोबायोटिक्स का सेवन करना चाहिए क्योंकि ये लेक्टोस को लैक्टिक एसिड (lactic acid) में बदल देता है। अगर आप बाजार से योगर्ट खरीद रहे हैं, तो लो फैट योगर्ट ही लें।
चीज (Cheese)में भी होता है प्रोबायोटिक्स
चीज डेयरी प्रोडक्ट है और इसमें प्रोटीन की भरपूर मात्रा होती है।कुछ चीज में प्रोबायोटिक्स की प्रचुर मात्रा पायी जाती है। गोडा (Gouda), मोजेरेला (mozzarella), चेडर (cheddar) और कॉटेज पनीर ( cottage cheese) में प्रोबायोटिक्स की अच्छी मात्रा पाई जाती है। पनीर में भी प्रोबायोटिक्स पाया जाता है। अगर पनीर को फल और अखरोट के साथ मिला कर खाया जाए, तो प्री-बॉयटिक्स और प्रोबायोटिक्स में बैलेंस किया जा सकता है।
बटरमिल्क या छाछ (Traditional Buttermilk)
बटरमिल्क फर्मेंटेड डेयरी प्रोडक्ट है। बटरमिल्क दो प्रकार के होते हैं, पहला ट्रेडीशनल और दूसरा कल्चरल। ट्रेडीशनल बटरमिल्क में प्रोबायोटिक्स की प्रचुर मात्रा पाई जाती है। बटरमिल्क में लो फैट और कैलोरी होती है। इसमे विटामिन्स और मिनिरल्स जैसे कि विटामिन बी 12, राइबोफ्लेविन और फॉस्फोरस पाया जाता है। कल्चरल्ड बटरमिल्क में प्रोबायोटिक्स नहीं पाया जाता है।
केफिर ( Kefir)
केफिर ( Kefir) फर्मेन्टेड प्रोबायोटिक मिल्क (fermented probiotic milk ) होता है। यह बकरी के दूध और अनाज का एक मिश्रण होता है। केफिर ( Kefir) में एंटीऑक्सीडेंट की अधिक मात्रा पाई जाती है। केफिर में लैक्टोबैसिलस और बीफीडस नामक बैक्टीरिया पाया जाता है। केफिर का सेवन शरीर को बहुत से लाभ पहुंचाता है। डायजेशन संबंधी समस्या और इन्फेक्शन से लड़ने में मदद करता है। केफिर में फ्रेंडली बैक्टीरिया अधिक मात्रा में पाए जाते हैं। आप इस बारे में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से सलाह ले सकते हैं।
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क्या प्रोबायोटिक्स से हो सकता है बच्चों को खतरा?
आपने प्रोबायोटिक्स से जुड़े बेनिफिट्स के बारे में पढ़ लिया लेकिन आपको इससे जुड़े रिस्क के बारे में भी जानकारी होनी चाहिए। प्रोबायोटिक्स एफ. डी. ए. से रेगुलेटेड नहीं होते हैं और इनका उपयोग करने से जोखिम भी हो सकते हैं। अगर आपने अपने बच्चे को प्रोबायोटिक्स देने जा रहे हैं, तो आपको डॉक्टर से सलाह किए बिना ये कदम नहीं उठाना चाहिए। एडल्ट्स में प्रोबायोटिक्स के बहुत कम साइड इफेक्ट्स होते हैं लेकिन इस बारे में अधिक रिचर्स की जरूरत है। जिन बच्चों का वीक इम्यून सिस्टम होता है या फिर कोई हेल्थ प्रॉब्लम, प्रीमेच्योर बोर्न आदि की समस्या होती है, उन बच्चों में प्रोबायोटिक्स का उल्टा प्रभाव यानी साइड इफेक्ट्स देखने को मिल सकते हैं। यानी ऐसे बच्चे यदि प्रोबायोटिक्स का सेवन करते हैं, तो उन्हें संक्रमण विकसित हो सकता है।