के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya
इरिटेबल बाउल सिंड्रोम (आईबीएस) आंतों से जुड़ी बीमारी है, जिसमें पेट में दर्द , ऐंठन, सूजन, डायरिया और कब्ज की शिकायत होती है। इसे स्पैस्टिक कोलन (Spastic Colon), इरिटेबल कोलन (Irritable Colon), म्यूकस कोइलटिस (Mucus colitis) जैसे नामों से भी जाना जाता है।
इरिटेबल बाउल सिंड्रोम तीन तरह की होती है:
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आईबीएस डी में मुख्य रूप से डायरिया (Diarrhea) की शिकायत होती है, जबकि आईबीएस सी में कब्ज (Constipation) के लक्षण होते हैं। आईबीएस एम में दोनों के लक्षण होते हैं। आम तौर पर मरीज को पेट के दर्द की शिकायत होती है। इस परेशानी का पता लगाने के लिए कोई परीक्षण नहीं है। इन लोगों के सभी टेस्ट जैसे सीबीसी (CBC), सोनोग्राफी (Sonography), एंडोस्कोपी (Endoscopy), सीटी स्कैन (CT Scan), स्टूल एनलिसिस (Stool analysis) की रिपोर्ट नॉर्मल आती है। यह परेशानी लंबे समय तक होती है, लेकिन जीवनशैली में कुछ बदलाव करके इससे निजात पाया जा सकता है।
ये बीमारी अनुवांशिक नहीं है। ज्यादातर यह बीमारी उन्हीं लोगों में होती हैं, जो अधिक स्ट्रेस या तनाव में रहते हैं। जिन लोगों को रात में ठीक से नींद नहीं आती है, उन्हें भी इसकी शिकायत रहती है। यदि कोई मानसिक बीमारी से पीड़ित है, तो उसे भी यह बीमारी हो सकती है।
इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (IBS) से ग्रसित बहुत कम लोगों में गंभीर लक्षण होते हैं। कुछ लोग आहार, जीवनशैली और तनाव को मैनेज करके इसके लक्षणों को नियंत्रित कर सकते हैं। अधिक गंभीर लक्षणों का इलाज दवा और परामर्श के साथ किया जा सकता है।
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इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम के लक्षण सभी में अलग हो सकते हैं। नीचे बताए गए कुछ आम लक्षण हैं:
इन लक्षणों को नजरअंदाज ना करें, क्योंकि शुरुआती परेशानियों को सहना आसान है। लेकिन जब परेशानी जरूरत से ज्यादा बढ़ने लगती है, तो इलाज में वक्त लगता है और तकलीफ भी ज्यादा होती है। इसलिए डॉक्टर से कंसल्टेशन जरूरी होता है।
यदि आपके बॉवेल मूवमेंट में लगातार परिवर्तन होता है या आईबीएस के दूसरे लक्षण नजर आते हैं तो आपको तुरंत डॉक्टर से कंसल्ट करना चाहिए। ये कोलोन कैंसर (Colon Cancer) जैसे अधिक गंभीर स्थिति का संकेत भी हो सकते हैं। अधिक गंभीर संकेतों और लक्षणों में शामिल हैं:
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इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम के स्पष्ट कारण की कोई जानकारी नहीं है, लेकिन निम्नलिखित कारक इसमें अपनी अहम भूमिका निभाते हैं।
आंत में मांसपेशियों का सिकुड़ना (Muscle contractions in the intestine):
आंतों की दीवार मांसपेशियों की परतों से पंक्तिबद्ध होती हैं जो खाने को पेट से आंत के माध्यम से डायजेस्टिव ट्रैक्ट में ले जाती हैं। यदि आप इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम से ग्रसित हैं तो संकुचन के समय में सामान्य से अधिक समय लग सकता है। इसी कारण पेट दर्द (Stomach pain), गैस, दस्त और सूजन की शिकायत होती है।
नर्वस सिस्टम (Nervous System):
पाचन तंत्र में मौजूद नसों में असामान्यताएं पेट में गैस या मल से खिंचाव होने पर आपको तकलीफ पहुंचा सकती हैं। यदि मस्तिष्क और आंतों के बीच सही तालमेल नहीं होगा तो शरीर सामान्य रूप से पाचन प्रक्रिया में होने वाले परिवर्तनों के प्रति अनावश्यक प्रतिक्रिया जैसे दर्द, कब्ज या दस्त की परेशानी उत्पन्न कर सकता है।
इंटेस्टाइन में सूजन (Inflammation in the intestines):
इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम से ग्रसित कुछ लोगों की इंटेस्टाइन में इम्यून सिस्टम सेल्स में वृद्धि हो सकती है। ऐसे में इम्यून सिस्टम की प्रतिक्रया से दर्द और डायरिया की शिकायत हो सकती है।
गंभीर संक्रमण (Severe Infection):
बैक्टीरिया या वायरस के कारण दस्त की गंभीर परेशानी के बाद आईबीएस विकसित हो सकता है। आईबीएस आंतों में मौजूद ओवरग्रोथ बैक्टीरियल के साथ भी जुड़ा हो सकता है।
आईबीएस के लक्षण को सक्रिय करने में निम्न कारक शामिल हैं:
खाद्य पदार्थ:
आईबीएस में खाद्य पदार्थों से एलर्जी को लेकर अभी कोई पुख्ता जानकारी नहीं है। लेकिन कई लोगों में कुछ खास खाद्य पदार्थों का सेवन करने से आईबीएस के लक्षण खराब होते देखे गए हैं। इस लिस्ट में शामिल हैं गेहूं, डेयरी उत्पाद, खट्टे फल, बीन्स, दूध, गोभी और कार्बोनेटेड पेय पदार्थ।
स्ट्रेस:
आईबीएस पेशेंट्स जब स्ट्रेस में होते हैं तो उनके लक्षण अधिक गंभीर हो जाते हैं। तनाव से यह लक्षण बढ़ जाते हैं लेकिन तनाव से यह उत्पन्न नहीं होते हैं।
हार्मोर्न:
पुरुषों की तुलना में आईबीएस की परेशानी महिलाओं को होने की दोगुनी संभावना होती है। इसलिए रिसर्चर्स का मानना है कि इसमें हार्मोनल बदलाव अहम भूमिका निभाता है। एक शोध के अनुसार, कई महिलाओं ने पीरियड्स के दौरान इसके लक्षण को बदतर होने का दावा किया।
कई लोगों में आईबीएस के लक्षण कभी-कभी नजर आते हैं लेकिन नीचे बताए लोगों को इस सिंड्रोम के होने की संभावना अधिक होती है:
यहां दी गई जानकारी किसी भी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने चिकित्सक से परामर्श करें।
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आपका डॉक्टर आपके लक्षणों को देखकर आईबीएस डायग्नोस कर सकता है। वह आपके लक्षणों के अन्य संभावित कारणों का पता लगाने के लिए निम्न में से किसी एक या उससे अधिक कदम उठा सकते हैं:
आमतौर पर कोलोनॉस्कोपी तब की जाती है जब डॉक्टर को कोलाइटिस, क्रोहन रोग या कैंसर के लक्षण नजर आए। इसके बारे में यदि आप अधिक जानकारी चाहते हैं तो अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
आईबीएस का इलाज इसके लक्षणों पर निर्भर करता है, जिसके लिए दवा भी दी जाती है। यदि मरीज को दिमागी परेशानी है तो उसको तनाव कम करने की दवाएं दी जाती है। कई लोगों में डायट में बदलाव करके इससे राहत पाई जा सकती है। डायट में निम्नलिखित बदलाव कर आप इस परेशानी से निजात पा सकते हैं:
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लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव करके और कुछ घरेलू नुस्खों को अपनाकर आईबीएस के लक्षणों को कम किया जा सकता है।
आईबीएस पेशेंट्स को डायट पर खास ख्याल रखने की जरूरत होती है। उन्हें अपनी डायट में डेयरी, फ्राइड, शुगर को कंट्रोल करने की जरूरत होती है। कुछ लोगों में अदरक, पुदीना आर कैमोमाइल को शामिल करने से इसके लक्षण में आराम मिलता है।
अगर आपको अपनी समस्या को लेकर कोई सवाल हैं, तो अपने डॉक्टर से सलाह जरूर करें।
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