शब्दावली (वोकैब्लरी) – 18 महीने की उम्र तक हर बच्चा करीब 10 शब्द बोलने लगता है और वह तेजी से नए शब्द सीखता है। 24 महीने यानी 2 साल का होते-होते आपका बच्चा ढेर सारे नए शब्द सीखता है, उनका इस्तेमाल करता है और समझने लगता है।
नाम से बुलाना – 2 साल का होने पर आपका बच्चे खुद को नाम से पुकारा जाना पसंद करता है।
दिशा-निर्देशों का पालन – 12 से 15 महीने के बीच बच्चा आपके बताए इंस्ट्रक्शन को फॉलो करता है। 2 साल की उम्र तक वह थोड़े मुश्किल वाक्यों को भी समझने लगते हैं।
दो शब्दों वाले वाक्य- 2 साल की उम्र तक वहो दो शब्दों वाले वाक्य बनाने लगता है, अपना नाम और किसी चीज की मांग करना, जैसे राज चॉकलेट, मा-मा कार। यानी राज को चॉकलेट चाहिए और मम्मी की कार कहां है आदि।
वह बहुत स्पष्ट वाक्य नहीं बोल पाता है, मगर पैरेंट्स समझ जाते हैं कि बच्चा क्या कहना चाह रहा है। ऊपर बताई कई चीजें लैंग्वेज माइलस्टोन का अहम हिस्सा है और बच्चों के भाषा विकास में बहुत अह्म होता है। हालांकि हर बच्चे की सीखने की क्षमता अलग होती है। इसलिए आपके बच्चे की उम्र का कोई दूसरा बच्चा यदि 10 शब्द बोल रहा है और आपका बच्चा सिर्फ 2 ही शब्द बोल पाता है तो घबराए नहीं, धीरे-धीरे वह भी सीख जाएगा।
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1 से 2 साल के बच्चे कैसे संवाद करते हैं? (How infants communicate)
12 महीने की उम्र तक अमूमन बच्चे अपना पहला शब्द और कई बच्चे एक से ज्यादा शब्द बोलने लगते हैं और धीरे-धीरे उनके शब्दकोश में इजाफा होने लगता है। वह ऐसे ही छोटे-छोटे शब्दों और इशारों के जरिए अपनी बात कहने की कोशिश करता है। कई बार वह स्पष्ट रूप से कोई शब्द नहीं बोल पाते, लेकिन अपनी अजीब आवाज के जरिए ही संवाद करने की कोशिश करते हैं। वह इशारों और पहचान वाली चीजों को इंगित करते बताने लगते हैं कि उन्हें क्या चाहिए या क्या पसंद है। एक बात का ध्यान रखें कि भले ही बच्चा इस उम्र में कम शब्द बोलता हो, लेकिन वह आपकी सारी बातें समझता है और आपके कुछ निर्देश देने पर उसका पालन भी करता है जैसे बॉल फेकों, बॉल उठाओ, बैट लेकर आओ आदि।
बच्चों के भाषा विकास में कैसे करें मदद? (Parents role in infant’s language development)
लैंग्वेज माइलस्टोन तो बच्चे के भाषा विकास में अहम भूमिका निभाता ही है, साथ ही पैरेंट्स भी थोड़ी कोशिश करके इसमें बच्चे की मदद कर सकते हैं।
- 2 साल का बच्चा जब कुछ गलत बोलता है तो पॉजिटिव तरीके से उसे सुधारें। बच्चे की कही बात को फिर से आप सही तरीके से बोलें और उसे अपने साथ ही सही तरीके से बोलने को कहें।
- बच्चे से बात करें और उनसे पूछे की वह क्या कर रहे हैं या उन्हें क्या दिखाई दे रहा है, जैसे बाहर घूमने जाने पर उनसे पूछे कि वह क्या है? (कार, कुत्ता, बिल्डिंग आदि) बच्चे को छोटे वाक्य लेकिन व्याकरण का सही इस्तेमाल करना सिखाएं जैसे मुझे कुत्ता दिख रहा है, कुत्ता भौक रहा है।
- बच्चे को कहानियां सुनाएं। इससे वह रोज नए-नए शब्दों से वाकिफ होते है और उसकी सुनने व समझने की शक्ति बढ़ती है।
- घर में बाहर जाने पर कोई सामान दिखाकर बच्चे को उसका नाम बताएं और वह क्या काम करती है जैसे घड़ी टाइम बताती है, कार से बाहर घूमने जाते हैं, कुकर में खाना बनता है, स्कूल में बच्चे पढ़ते हैं आदि।
- बच्चे के कहे शब्दों को विस्तार दें जैसे वह कहता है ‘कार’ तो आप कहें ‘ हां, तुम सही कह रहे हो वह बड़ी लाल कार है।’
- रंग-बिरंगे चित्र और आसान शब्दों वाली किताब बच्चों के सामने और उसे दिखाकर पढ़ें। चित्रों के बारे में बच्चे को बताएं कि वह किस चीज का है फिर किसी चित्र का नाम लेकर उससे उसे पहचानने के लिए कहें।
- बच्चे से रोजाना बात करें भले ही वह टुकड़ों में शब्द बोलता हो जैसे पेन दिखाकर बोले पापा तो आप कहें कि हां यह पापा की पेन है। इसी तरह जब वह कोई चीज दिखाकर किसी का नाम ले तो उससे जोड़कर आप वाक्य बनाकर उसके सामने कहें। इससे बच्चों की शब्दावली का विकास होता है।
- शेप, पैटर्नस और आसान पज्जल वाले खेल बच्चे के साथ खेलें इससे उनका दिमाग तेज होता है।
- बच्चे से बात करते समय हमेशा इस बात पर गौर करें कि बच्चा आपकी बात ठीक से सुन और समझ रहा है या नहीं। यदि आपको कोई परेशानी या समस्या दिखती है तो डॉक्टर से बात करें।
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कब जाएं डॉक्टर के पास?
यदि आपका बच्चा दो साल की उम्र तक भी नहीं बोलता है या लैंग्वेज माइलस्टोन के अहम पड़ावों तक नहीं पहुंचता है तो आपको बच्चे के भाषा विकास (language development) के संबंध में डॉक्टर से बात करने की जरूरत है। कई बार डेवलपमेंट डिसऑर्डर के कारण बच्चे देरी से बोलते हैं या उन्हें सुनने में परेशानी होती है। बच्चे के स्थिति का मूल्यांकन करने के बाद डॉक्टर आपको हियरिंग स्पेशलिस्ट (ऑडियोलॉजिस्ट) या स्पीच लैंग्वेज पैथोलॉजिस्ट के पास जाने की सलाह दे सकता है। इस बीच बच्चे से बात करते रहें जैसे वह कहां जा रहा है, क्या कर रहा है। उसके साथ गाना गाए और बुक पढ़ें। बच्चे को कुछ एक्शन जैसे ताली बजाना, जानवरों की आवाज निकालना और गिनती की प्रैक्टिस करवाएं। बच्चे को दिखाएं कि उनके कुछ कहने पर आप कितनी खुश हो जाती हैं।
बच्चे ज्यादातर अपनी मां या गार्जियन को देखकर ही बोलना सीखते हैं, इसलिए पैरेंट्स का उनके साथ संवाद करना बहुत जरूरी है।
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