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क्या एचवीआई के लिए एलिसा टेस्ट करवाने के लिए विशेष तैयारी करनी पड़ती है? How do I prepare for the tests?
इस टेस्ट को करवाने के लिए किसी प्रकार की तैयारी की जरूरत नहीं होती है। यह टेस्ट ब्लड सैंपल का यूज करके किया जाता है। ब्लड सैंपल लेने में बहुत कम समय लगता है, लेकिन टेस्ट का रिजल्ट आने में कई दिन लग सकते हैं। जिन लोगों को नीडल से डर लगता है या जो खून देखकर बेहोश या परेशान हो जाते हैं उन्हें टेस्ट कराने से पहले इसके बारे में डॉक्टर और लेब टेक्नीशियन को बता देना चाहिए।
टेस्ट के दौरान क्या होता है? (What happens during the test?)
यह एक सामान्य प्रॉसीजर होता है। टेस्ट के पहले डॉक्टर पूरे प्रॉसीजर के बारे में बताएगा। इस दौरान आपको एक फॉर्म भी भरने को दिया जा सकता है। टेस्ट के दौरान होने वाली प्रॉब्लम्स से बचने के लिए टेस्ट करवा रहे व्यक्ति को निम्न बातें डॉक्टर्स को बता देनी चाहिए।
- अगर पहले कभी ब्लड सैंपल देते वक्त किसी तरह की परेशानी हुई हो
- अगर मरीज को ब्लीडिंग डिसऑर्डर जैसे कि हीमोफीलिया है
- अगर मरीज एंटीक्वागुलेंट मेडिसिन (ब्लड थिनर्स) का उपयोग कर रहा हो
ब्लड सैंपल लेने का प्रॉसीजर वैसा ही होता है जैसा कि किसी भी अन्य टेस्ट में होता है।

- जहां से ब्लड देना है उस एरिया को क्लीन किया जाता है
- आर्म पर इलास्टिक बैंड बांधकर वैन्स को सर्च किया जाता है
- वेन्स में नीडल लगाकर ट्यूब में ब्लड सैंपल ले लिया जाता है
- इसके बाद नीडल को हटाकर बैंडेज लगा दिया जाता है
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एचआईवी के लिए एलिसा टेस्ट में संक्रमण का पता कैसे लगाया जाता है?
एचआईवी के लिए एलिसा टेस्ट करने के लिए ब्लड सैंपल को लेबोरेट्री में एनालिसिस के लिए भेज दिया जाता है। लैब टेक्नीशियन सैंपल को डिवाइस में एड करता है जिसमें एचआईवी एंटीजन (HIV antigen) और एंटी एचआईवी एंटी एंटीबॉडीज (anti-HIV antibodies) होती हैं। एक ऑटोमेटेड प्रॉसेस के जरिए डिवाइस में एंजाइम एड किया जाता है। एंजाइम कैमिकल रिएक्शन को फास्ट कर देता है। इसके बाद ब्लड और एंटीजन के रिएक्शन को मॉनिटर किया जाता है। अगर ब्लड में एचआईवी के लिए एंटीबॉडीज या एंटीजन हैं तो यह डिवाइस में मौजूद एंटीजन और एंटीबॉडीज से जुड़ जाएंगे। अगर यह बाइंडिंग (binding) होती है तो व्यक्ति को एचआईवी हो सकता है। इस तरह से टेस्ट से एचआईवी का पता चल जाता है।
एचआईवी का पता लगाने के लिए की जाने वाली डिफरेंसिएशन असे (differentiation assay) की प्रॉसेस भी ऐसी ही है, लेकिन बस इसमें ऑटोमेटेड मशीन की जगह लैब टेक्नीशियन होता है।
टेस्ट के रिजल्ट का क्या मतलब है? (What do the test results mean?)
अगर एचआईवी के लिए एलिसा टेस्ट का रिजल्ट पॉजिटिव आता है तो व्यक्ति को एचआईवी हो सकता है। हालांकि कई बार ये टेस्ट सही नहीं होता। इसका मतलब ये है कि कई बार रिजल्ट पॉजिटिव होता है लेकिन व्यक्ति को एचआईवी नहीं होता। कुछ कंडिशन जैसे कि लाइम डिजीज (Lyme disease), सिफलिस (syphilis) या ल्यूपस (lupus) होने पर फॉल्स पॉजिटिव रिजल्ट आ सकता है।
इसी वजह से एलिसा टेस्ट के बाद कई तरह के दूसरे टेस्ट भी किए जाते हैं ताकि ये कंफर्म हो सके कि व्यक्ति को एचआईवी है या नहीं। इसमें डिफरेंसिएशन असे और न्यूक्लिक एसिड टेस्ट (nucleic acid test) (NAT) शामिल है। अगर व्यक्ति इन टेस्ट के लिए भी पॉजिटिव पाया जाता है तो उसे एचआईवी होना माना जाता है।
कभी-कभी, किसी व्यक्ति को एचआईवी संक्रमण होने पर भी एलिसा टेस्ट (ELISA test) में एचआईवी (HIV) नहीं दिखता है। यह तब हो सकता है जब कोई व्यक्ति संक्रमण के शुरुआती चरण में है, और उसके शरीर में पर्याप्त एंटीबॉडीज नहीं बने हैं जिनका पता परीक्षण में लग सके। साथ ही वह समय जब व्यक्ति एचआईवी से संक्रमित होता है और टेस्ट का रिजल्ट आता है तब तक के समय को विंडो पीरियड (Window period) कहा जाता है। सीडीसी के अनुसार विंडो पीरियड तीन से बारह हफ्ते तक रहता है। कई बार एंटीबॉडीज बनने में छ: महीने का भी समय लग सकता है।
हालांकि एचआईवी बहुत गंभीर बीमारी है, लेकिन इस बात ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि आज ऐसी दवाएं उपलब्ध है जो एचआईवी संक्रमण को एड्स में विकसित होने से रोकने में मदद कर सकती है। एचआईवी वाले व्यक्ति के लिए एक लंबा और पूर्ण जीवन जीना संभव है।
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