वैक्सीन क्या है और यह क्या काम करती है?
वैक्सीन को ‘शॉट’ या ‘इम्यूनाइजेशन’ भी कहा जाता है। यह एक ऐसा पदार्थ है, जो आपके शरीर के इम्यून सिस्टम को हानिकारक बैक्टीरिया और वायरस से पहचान करवाता है और बचाव भी करता है।
किसी संक्रमण के होने से पहले ही जो वैक्सीन दी जाती है उसे ‘प्रिवेंटिव वैक्सीन’ कहा जाता है और यह स्वस्थ इंसान को दी जाती है। यह आपके शरीर को खतरनाक वायरस और बैक्टेरिया से लड़ने के लिए तैयार करता है। इसका मतलब है कि वैक्सीन लगने के बाद भविष्य में जब आप उस वायरस/बैक्टीरिया के संपर्क में आते हैं, तो आप बीमार नहीं पड़ते हैं। प्रिवेंटिव वैक्सीन बड़े पैमाने पर पोलियो, चिकन पॉक्स, मिजल्स, रुबेला, एंफ्लूएंजा, हेपेटाइटिस ए और बी जैसी बीमारियों से बचाव के लिए दिया जाता है।
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क्या एचआईवी से बचाव के लिए कोई वैक्सीन है?
विज्ञान और तकनीक की तमाम तरक्की के बावजूद आजतक एचआईवी इंफेक्शन की कोई वैक्सीन नहीं बन पाई है। हालांकि, वैज्ञानिक इस दिशा में लगातार काम कर रहे हैं, लेकिन दशकों बाद भी उन्हें सफलता नहीं मिल पाई है। अभी एचआईवी पेशेंट के इजाल के लिए एंटी रेट्रोवायरल थेरिपी और दवाई़यों का उपयोग किया जा रहा है। जिससे उनकी समस्याओं को कुछ हद तक आगे बढ़ने से रोका जा रहा है, इससे उन्हें आराम भी मिल सके। लेकिन जब तक इसकी वैक्सीन नहीं आ जाती है, इससे बचाव मुश्किल है। वैक्सीन की पूरी उम्मीद थी, इस साल तक आ जाने की, लेकिन यूनाइटेड नेशंस की रिपोर्ट के अनुसार कोविड-19 के कारण ये साल वैक्सीन आना संभव नहीं हो पाया।
यूनाइटेड नेशंस की रिपोर्ट के अनुसार
एड्स पर जारी यूनाइटेड नेशंस रिपोर्ट से पता चला है कि एचआईवी वैक्सीन के लिए साल 2020 के लिए जो लक्ष्य निर्धारित किया गया था, उसे हासिल नहीं किया जा पाया रिपोर्ट ने इसके लिए कोविड -19 को जिम्मेवार माना है इस वजह से एंटीरेट्रोवायरल थेरिपी, दवाओं और सेवाओं के वितरण में दिक्कतें आ रही हैं ‘सैजिंग द मूमेंट’ नामक यह रिपोर्ट यूएनएड्स द्वारा प्रकाशित की गई है यूएनएड्स और डब्लूएचओ द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, 2000 से 2019 के बीच नए एचआईवी संक्रमणों में करीब 39 फीसदी मामलों में गिरावट आई है। जबकि इसी अवधि में एचआईवी संबंधित मौतों में भी 51 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है जिसमें एंटीरेट्रोवायरल थेरिपी और दवाओं का बहुत बड़ा योगदान है।