तीसरा एचआईवी मिथक है कि हाथ मिलाने, साथ बैठने से एचआईवी फैलता है
एचआईवी सीडी4 सेल को नष्ट करता है नाकि स्किन को। एचआईवी न ही किस करने, न ही हाथ मिलाने या साथ बैठने से फैलता है। किस में एचआईवी फैलने का खतरा तब ही रहता है जब एचआईवी पॉजिटिव व्यक्ति का खून आपके संपर्क में आता है। एचआईवी पॉजिटिव व्यक्ति के मुंह में छाले हैं या फटे होंठों के कारण ऐसा संभव है लेकिन ऐसा भी बहुत ही कम देखने को मिलता है। वहीं थूक से कभी भी एचआईवी नहीं फैलता।
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चौथ एचआईवी मिथक है कि मच्छरों या अन्य कीड़ों के काटेन से हो सकता है
मच्छर के काटने से या अन्य कीड़ों के काटने से एचआईवी नहीं फैलता। ह्यूमन इम्यूनो डेफिशिएंसी वायरस इंसान से इंसान को ही फैल सकता है जानवरों को नहीं।
पांचवां एचआईवी मिथक है कि एचआईवी पॉजिटिव व्यक्ति को देखकर बताया जा सकता है कि उसे एचआईवी है
कई लोगों को मानना है कि एचआईवी पॉजिटिव का पता किसी भी व्यक्ति को देखकर बताया जा सकता है या उसके लक्षणों से अंदाजा लगाया जा सकता है। जबकि एचआईवी का पता लगाना एचआईवी टेस्ट के बिना मुश्किल ही होता है। कई बार दस वर्षों तक भी एचआईवी के लक्षणों का पता नहीं चल पाता।
छठा एचआईवी मिथक है कि आधुनिक अध्ययनों और दवाओं से अब एड्स अब कोई बड़ी बात नहीं
एचआईवी और एड्स के लिए कई प्रकार के उपचार और बचाव लाए गए हैं और कई पर शोध चल रहा है। इसके बावजूद एड्स अभी तक एक लाइलाज बीमारी ही है। यदि एचआईवी के बचाव की जानकारी प्राप्त की जाए और सावधानी बरती जाए तो एचआईवी से बचा जा सकता है। एचआईवी को पूरी तरह खत्म कर पाना अभी तक संभव नहीं हो पाया है। हां यह जरूर है कि एचआईवी वायरस को कुछ हद तक निष्क्रिय किया जा सकता है पर समाप्त नहीं।
सातवां एचआईवी मिथक है कि बच्चों को या हेटरोसेक्शुअल को एचआईवी नहीं होता
एचआईवी किसी को भी हो सकता है। यह सच है कि बाइसेक्शुअल और गे को एचआईवी होने का चांस ज्यादा होता है लेकिन यह हेटरोसेक्शुअल पुरुषों को भी हो सकता है। बाइसेक्शुअल पुरुषों की महिला सेक्स पार्टनर को एचआईवी होने का खतरा ज्यादा होता है। वहीं बच्चों को मां से बच्चों को भी एचआईवी प्रभावित कर सकता है।