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जानिए शिशु को स्तनपान या बोतल से दूध पिलाने के फायदे और नुकसान

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Shayali Rekha द्वारा लिखित · अपडेटेड 27/12/2021

    जानिए शिशु को स्तनपान या बोतल से दूध पिलाने के फायदे और नुकसान   

    मातृत्व का सुख तभी पूरा माना जाता है जब बच्चा स्तनपान (Breastfeeding) करता है। स्तनपान कराने की प्रक्रिया को विशेषज्ञ प्रकृति की देन कहते हैं। एक प्रसिद्ध कहावत है कि ‘प्रकृति की बनाई हुई चीज कभी गलत नहीं होती’। ऐसे में अगर आपको पता चले कि कभी-कभी स्तनपान कराना गलत होता है, तो आप चौंक जाएंगी। घबराइए मत, ऐसा बहुत गंभीर मामलों में होता है। लेकिन, अगर आप अपने बच्चे को बॉटल से दूध (Milk from the bottle) पिलाती हैं तो अपने शिशु को पोषण नहीं बल्कि बीमारी परोस रही हैं। स्तनपान के फायदे ज्यादा हैं और नुकसान कम हैं। लेकिन, बच्चे को बॉटल से दूध (Milk from the bottle) देने से पहले उसके होने वाले फायदे और नुकसान के बारे में जान लेना चाहिए।

    बॉटल के दूध पर क्या है विशेषज्ञ की राय (What is the expert opinion on bottle milk)

    वाराणसी स्थित सृष्टि क्लीनिक के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. पी. के. अग्रवाल ने हैलो स्वास्थ्य से बताया कि शिशु को बॉटल का दूध देना ही नहीं चाहिए। आजकल भागदौड़ की जिंदगी में लोग जल्दबाजी वाला काम करना पसंद करते हैं। ऐसे में मां बच्चे को स्तनपान कराने से अच्छा बॉटल का दूध देना पसंद करती है। बॉटल का दूध आपके शिशु के लिए सुरक्षित नहीं है। बच्चे मां द्वारा स्तनपान ही कराया जाना चाहिए। मां को यह समझना चाहिए कि बच्चे को स्तनपान कराना उसके लिए वरदान है।

    स्तनपान के फायदे (Benefits of breastfeeding)

    • स्तनपान के कई फायदे हैं जिसमें सबसे बड़ा फायदा है कि यह मां और बच्चे के बीच धरती का सबसे अनोखा रिश्ता बनाता है। 
    • जन्म के तुरंत बाद मां को स्तनपान कराना बहुत जरूरी होता है। बच्चे को मां का पहला पीला गाढ़ा दूध देने से बच्चे का इम्यून सिस्टम (Immune System) विकसित होता है। 
    • स्तनपान कराने से नवजात के अंदर सीखने की प्रक्रिया विकसित होती है। जैसे कि वह स्तन को मुंह से पकड़ना सीखता है। जो शिशु के भविष्य के लिए काफी बेहतर माना जाता है।
    • स्तनपान कराने वाली महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा काफी कम हो जाता है। इसके साथ ही मां में टाइप-2 डायबिटीज और ओवरियन कैंसर का जोखिम भी कम होता है।
    • स्तनपान कराने से मां का जीवन आसान हो जाता है। स्तनपान ना कराने से मां के स्तनों में दर्द होता है और उसके स्तनों में गाठें होने का खतरा रहता है। 
    • स्तनपान कराने से मां अनचाही प्रेगनेंसी को भी टाल सकती है। मां के शरीर में प्रोलैक्टिन हॉर्मोन (Prolactin Hormone) बनते है। ये हॉर्मोन मां को स्तनपान कराने के लिए प्रेरित करता है और दुग्ध उत्पादन में मदद करता है। प्रोलैक्टिन हॉर्मोन बनने से ल्यूटिनाइजिंग हॉर्मोन, फॉलिकल स्टिम्यूलेटिंग हॉर्मोन, एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रॉन हॉर्मोन नहीं बन पाते हैं। जिससे गर्भधारण होने का जोखिम कम हो जाता है।
    • स्तनपान कराने से ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis) होने का खतरा भी तम होता है। ऑस्टियोपोरोसिस एक ऐसी बीमारी है जिसमें हड्डियां कमजोर हो जाती हैं और फ्रैक्टर होने का खतरा रहता है।
    • स्तनपान कराने के लिए मां को कोई भी तैयारी करने की जरूरत नहीं होती है। बस अपने स्तनों को साफ कर के बच्चे को दूध पिला सकती है।

    स्तनपान कराने के नुकसान (Disadvantages of breastfeeding)

    • स्तनपान कराने के यू तो ज्यादा नुकसान नहीं हैं। लेकिन, बीमारी को मां से बच्चे में जाने का जरिया भी स्तनपान ही है।
    • मां अगर बच्चे को किसी गंभीर बीमारी में स्तनपान कराती है तो वह बच्चे में भी स्थानांतरित होने का खतरा रहता है। 
    • स्तनपान कराने के दौरान बच्चे के मसूड़ों से निप्पल में दरारें आ जाती हैं। जो मां के स्तनों में दर्द पैदा करता है। अगर मां ने शुरू में ध्यान नहीं दिया तो यह आगे चल कर घाव बन जाता है। जिससे मां के स्तनों के साथ ही बच्चे में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। इसके लिए डॉक्टर से मिल कर मां को अपने क्रैक निप्पल का इलाज कराना चाहिए। 
    • डॉ. पी. के अग्रवाल के मुताबिक अगर मां एचआईवी (HIV) या टीबी (TB) की दवाएं ले रही है तो वह बच्चे को स्तनपान कराने से मना किया जाता है। मां बच्चे को सीधे स्तनपान नहीं करा सकती है। ऐसे में दूध को स्तनों से बाहर निकाल कर चम्मच के जरिए बच्चे को देना चाहिए। 

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    बॉटल से दूध पिलाने के फायदे (Benefits of bottle feeding)

    • बॉटल का दूध यानी फॉर्मूला मिल्क को बच्चे को पचाने में वक्त लगता है। जिससे उसे जल्दी भूख नहीं लगती है। मां का दूध बच्चा फटाफट पचा लेता है। 100 मिलीलीटर फॉर्मूला मिल्क में 517 किलो कैलोरी एनर्जी होती है जबकि मां के दूध में 280 किलो कैलोरी ही एनर्जी होती है। के लिए 
    • बॉटल का दूध मां के अलावा परिवार के अन्य सदस्य भी दे सकते है। जबकि स्तनपान सिर्फ मां ही करा सकती है।
    • डिलीवरी के बाद मां को बहुत आराम की जरुरत पड़ती है। अगर वह रात भर बच्चे को रुक-रुक कर स्तनपान कराती रहेगी तो वह आराम नहीं कर पाती है। बॉटल से दूध पिलाने पर मां को सोने का मौका मिल जाता है। रात में बच्चे के पिता भी उसे बॉटल से दूध पिला सकते हैं।
    • अगर शिशु को उसके बड़े भाई-बहन बॉटल से दूध पिलाते हैं तो उनके बीच भावनात्मक जुड़ाव बनता है। बड़े बच्चों में छोटे शिशु के प्रति जिम्मेदारी की भावना आती है। 
    • सार्वजनिक स्थान पर मां बच्चे को बॉटल से कही भी दूध पिला सकती है। लेकिन, सार्वजनिक स्थल पर स्तनपान कराने के लिए मां को जगह तलाशनी पड़ती है।
    • बॉटल से दूध पिलाने में मां को अपने खानपान के बारे में ज्यादा सोचना नहीं पड़ता है। स्तनपान कराने वाली मां को वही खाना होता है जो बच्चे के लिए ठीक रहे।
    • बॉटल में दूध देने से मां को पता चल जाता है कि बच्चा कितना दूध पी सकता है। बॉटल से दूध देने से मां इस बात का अंदाजा लगा सकती है कि बच्चे का पेट भर गया होगा।

    बॉटल से दूध पिलाने के नुकसान (Disadvantages of bottle feeding)

    • बॉटल से दूध पिलाने से बच्चे को फायदा कम नुकसान ज्यादा है। बॉटल से दूध देने से बच्चे को सही पोषण नहीं मिल पाता है। डॉ. पी के. अग्रवाल के मुताबिक मां का दूध बच्चे के जरुरत के हिसाब से होता है। क्योंकि मां को पता होता है कि बच्चे को कौन सी चीज देनी है और कौन सी नहीं। मां अपना आहार बच्चे के हिसाब से लेती है। लेकिन बॉटल का दूध एक कॉमन फूड की तरह होता है जो हर बच्चे को एक जैसा पोषण देता है।
    • बॉटल से दूध पिलाने से बच्चे और मां के बीच भावनात्मक जुड़ाव नहीं बन पाता है। जिससे बच्चा खुद को सुरक्षित महसूस नहीं कर पाता है।
    • बॉटल से दूध पिलाने से मां और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य पर असर पड़ता है। मां के स्वास्थ्य को लेकर कई गंभीर बीमारियों (ब्रेस्ट कैंसर, ओवरियन कैंसर, टाइप- डायबिटीज) का खतरा बढ़ जाता है।
    • बॉटल को हायजीन बनाए रखना काफी मुश्किल काम होता है। आप कितना भी सफाई कर लें लेकिन बॉटल में संक्रमण का खतरा बना रहता है। 
    • बॉटल का दूध देना महंगा है। दूध बनाने से लेकर उसके रख रखाव तक के लिए आपको धन खर्च करना पड़ता है। जबकि मां का दूध प्राकृतिक है।
    • बॉटल के दूध के लिए आपको हमेशा ताजा दूध का इंतजाम करना होता है। जिसके लिए आपके पास ऐसे साधन मौजूद होने चाहिए, जिससे आप बच्चे की जरुरत के हिसाब से दूध दे सकें।
    • बॉटल से दूध पिलाने से बच्चे को गैस और पेट संबंधी समस्याएं होती हैं।
    • अगर बच्चे ने बॉटल में दूध छोड़ दिया तो आपको उसे फेंकना पड़ता है। लेकिन स्तनपान में ऐसा नहीं है। बच्चे जितना चाहे उतना दूध पीते हैं और पेट भर जाने पर छोड़ देते है। दूध खराब नहीं होता है और मां के अंदर ही रह जाता है।

    इन फायदों और नुकसान के आधार पर आप आसानी से फैसला कर सकती हैं कि आप अपने बच्चे को क्या देना चाहती हैं। डॉ. पी. के. अग्रवाल ने कहा कि जब तक संभव हो सके बच्चे को मां अपना ही दूध पिलाए। अगर मां का दूध पर्याप्त नहीं पड़ता है तो बच्चे को बॉटल के बजाए कटोरी और चम्मच की मदद से दूध पिलाना चाहिए। यह बच्चे के लिए स्वस्थ्य तरीकों में से एक है।

    डिस्क्लेमर

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