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30 साल में होने जा रही हैं प्रेग्नेंट, तो जान लें ये बातें

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr Sharayu Maknikar


Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 29/12/2021

30 साल में होने जा रही हैं प्रेग्नेंट, तो जान लें ये बातें

शादी की सही उम्र या फिर प्रेग्नेंट होने का सही समय क्या होना चाहिए? अगर ये प्रश्न किसी भी लड़की से पूछा जाए तो पहले वो अपने करियर के बारे में सोचेगी। इन्हीं सब कारणों से 30 साल में प्रेग्नेंसी (Conceiving at 30s) आम बात हो गई है। उम्र बढ़ने के साथ ही महिला हो या पुरुष, फर्टिलिटी प्रभावित होती है। आज के समय में महिलाएं मां तो बनना चाहती हैं, लेकिन करियर की कुर्बानी देकर नहीं। ऐसे में अधिक उम्र में मां बनना उनके लिए मजबूरी हो जाती है। 30 की उम्र प्रेग्नेंसी प्लान करने वाली महिलाओं को समस्याओं का सामना भी करना पड़ सकता है। अगर आप भी उन महिलाओं में शामिल हैं जो 30 साल में प्रेग्नेंसी प्लान (Pregnancy plan) कर रही हैं या कंसीव करने की कोशिश कर रही हैं तो ये आर्टिकल जरूर पढ़ें।

और पढ़ें : क्या 50 की उम्र में भी महिलाएं कर सकती हैं गर्भधारण?

30 साल में प्रेग्नेंसी (Conceiving at 30s) क्यों बन रही है प्राथमिकता?

अगर पहले की बात छोड़ दी जाए तो आज महिलाएं अपने समय को जीना चाहती है। पहले अधिकांश महिलाओं की प्राथमिकता शादी करके बच्चे पैदा करना होता था। आज समय बदल चुका है। महिलाएं पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने के लिए अपना पूरा समय स्टडी और करियर को देना चाहती है। स्टडी के बाद जॉब और फिर कुछ समय अपने लिए रखना उनके लिए जरूरी हो गया है। 30 साल में प्रेग्नेंसी (Conceiving at 30s) के बारे में सोचना उनके लिए पुराने समय की बात हो गई है। ऐसा नहीं है कि 30 साल में एक औरत मां नहीं बन सकती है या 30 साल में प्रेग्नेंसी प्लान करने या उससे अधिक की उम्र प्रेग्नेंसी या डिलिवरी के समय समस्याएं पैदा कर सकता है। उम्र बढ़ने के साथ ही शरीर में परिवर्तन होते हैं। एग की क्वालिटी में फर्क आने लगता है। इसलिए कहा जाता है कि बायोलॉजिकल क्लॉक के अनुसार महिलाएं कंसीव करें तो बेहतर रहता है। 30 साल में प्रेग्नेंसी (Conceiving at 30s) प्लान कर रही हैं तो एक बार डॉक्टर से कंसल्ट जरूर करें।

और पढ़ें : हमारे ऑव्युलेशन कैलक्युलेटर का उपयोग करके जानें अपने ऑव्युलेशन का सही समय

नैचुरल प्रेग्नेंसी के रहते हैं कितने चांसेस? (Chances of natural conceiving at 30s)

30 साल में प्रेग्नेंसी प्लान कर रही हैं तो आपको बता दें कि इस उम्र में नैचुरल प्रेग्नेंसी संभव है। उम्र बढ़ने के साथ ही महिलाओं में एग क्वालिटी खराब होने लगती है। अगर आप अर्ली 30 में हैं तो ये प्रेग्नेंट होने का सही समय है। 30 साल में प्रेग्नेंसी (Conceiving at 30s) कंसीव करने के चांसेस को थोड़ा कम कर सकती है। 35 साल की उम्र में बहुत सी महिलाओं को रेगुलर सेक्स के बाद भी कंसीव करने में समस्या हो सकती है।

और पढ़ें : हेल्थ इंश्योरेंस से पर्याप्त स्पेस तक प्रेग्नेंसी के लिए जरूरी है इस तरह की फाइनेंशियल प्लानिंग

क्या फर्टिलिटी ट्रीटमेंट (Fertility treatment) की पड़ सकती है जरूरत?

अगर 30 से 35 की उम्र में नैचुरल तरीके से कंसीव करने में समस्या हो रही है तो आपको IUI या आईवीएफ( IVF) ट्रीटमेंट का सहारा लेना पड़ सकता है। उम्र बढ़ने के साथ ही नैचुरल प्रेग्नेंसी के चांसेज तेजी से घटने लगते हैं। जो महिलाएं 30 की उम्र में नैचुरली कंसीव कर लेती हैं तो उन्हें क्विकर (Quicker labour) लेबर की संभावना रहती है। उम्र बढ़ने के साथ ही लेबर में शामिल मसल्स भी कमजोर हो जाती हैं। अगर 30 साल में प्रेग्नेंसी प्लान (Conceiving at 30s) कर रही हैं और दूसरी बार मां बन रही हैं तो ये संभावना कम रहती है।

30 साल में प्रेग्नेंसी के फायदे (Benefits of Conceiving at 30s)

  • किसी भी महिला के लिए 30 की उम्र खास होती है। इस उम्र में महिलाएं अपने करियर ग्रोथ में पीक पर होती हैं।अच्छे एक्सपीरियंस के कारण उन्हें आगे भी जॉब का अच्छा मौका मिल सकता है।
  • 30 साल में प्रेग्नेंसी प्लान करने पर मां बच्चे को अच्छी तरह से हैंडल कर सकती है। महिलाओं में उम्र के साथ अधिक सहनशक्ति आ जाती है।
  • आप अपने जीवन का काफी हिस्सा अपनी पसंद से गुजार चुके होती हैं।
  • आर्थिक रूप से भी आपको ज्यादा समस्या नहीं रहती।
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    30 साल में प्रेग्नेंसी के नुकसान (Side effects of Conceiving at 30s)

    • 30 साल में प्रेग्नेंसी प्लान करने में सबसे बड़ा नुकसान ये है कि अधिक उम्र में महिलाएं कई बीमारियों से घिरी हो सकती है। शारीरिक समस्याएं डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर आदि प्रेग्नेंसी को प्रभावित करती हैं।
    • गर्भावस्था के दौरान कुछ जटिलताएं जैसे एक्टोपिक गर्भावस्था और गर्भकालीन मधुमेह भी अधिक उम्र की महिलाओं में आम हैं। इसलिए 30 साल में प्रेग्नेंसी को डिफिकल्ट कहा जाता है।
    • 30 से 35 की उम्र में महिलाओं को डाउन सिंड्रोम और अन्य समस्याएं चिंता का विषय बन सकते हैं। अधिक उम्र में मां बनने से बच्चे में डाउन सिंड्रोम की संभावना बढ़ जाती है। ये परेशानियां 30 साल में प्रेग्नेंसी प्लान करने में हो सकती हैं।

    कंसीव करने का फैसला महिला और पुरुष का आपसी मत है। अगर आप भी किसी कारणवश लेट कंसीव करना चाहती हैं तो बेहतर होगा कि एक बार अपने डॉक्टर से संपर्क करें। डॉक्टर उचित जांच के साथ ही आपको राय भी दे सकते हैं।

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    सामान्य गर्भधारण की उम्र के बाद महिलाओं की प्रजनन क्षमता क्यों घटती है?

    किसी महिला की उम्र गर्भधारण की उम्र से अधिक होने पर फर्टिलिटी यानी प्रजनन क्षमता के घटने के पीछे का मुख्य कारण महिलाओं में होने वाली ऑव्युलेशन में परेशानी और फैलोपियन ट्यूब का ब्लॉक होना है। फैलोपियन ट्यूब की यह समस्या वजायना में इंफेक्शन की वजह से होती है।

    महिलाओं में अधिक उम्र में ऑव्युलेशन से जुड़ी समस्याएं इन कारणों से होती हैं:

    ज्यादा उम्र हो जाने के बाद महिलाओं के गर्भाशय में अच्छी गुणवत्ता वाले एग्स (डिंब) बहुत कम रह जाते हैं। जिससे गर्भधारण करना मुश्किल हो जाता है। उम्र बढ़ने के साथ-साथ अंडाशय में इन एग्स की संख्या भी घटने लगती है।

    कई रिपोर्ट्स के मुताबिक लगभग एक प्रतिशत महिलाएं समय से पहले ही रजोनिवृति (Menstruation) के दौर से गुजरने लगती हैं। परिणामस्वरूप 40 की उम्र से पहले ही ऑव्युलेशन होना बंद हो जाता है।

    एक समय के बाद महिलाओं में पीरियड्स पहले जैसे नियमित नहीं होते। जैसे-जैसे मेनोपॉज (Menopause) पास आता है, पीरियड्स (Periods) काफी कम और देर से आने लगते हैं। इससे ऑव्युलेशन भी ठीक प्रकार से नहीं हो पाता है। यह गर्भधारण की उम्र को प्रभावित करने वाले कारकों में सबसे महत्वपूर्ण होता है।

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    40 के बाद की उम्र वाली महिलाओं को प्रेग्नेंसी के दौरान क्या समस्याएं आ सकती हैं?

    ऐसी महिलाओं में स्वाभाविक रूप से गर्भवती होने की क्षमता में भारी गिरावट आ जाती है। इस समय 3 महीने तक कोशिश करने के बाद भी गर्भधारण की संभावना लगभग 7 प्रतिशत है। समय के साथ एग्स की मात्रा और गुणवत्ता में गिरावट आती है। पुराने एग्स में अधिक क्रोमोसोम संबंधी समस्याएं हो सकती हैं जो बर्थ-डिफेक्ट्स वाले बच्चों को जन्म देने की चांसेस बढ़ाती हैं।

    इस दौरान निम्नलिखित जोखिम बढ़ सकते हैं:

    • सी-(C-section) सेक्शन डिलिवरी
    • प्री-टर्म डिलिवरी
    • जन्म के समय शिशु के वजन मे कमी
    • बर्थ-डिफेक्ट्स
    • स्टिलबर्थ (Still birth)
    • डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर (इससे जेस्टेशनल डायबिटीज (Diabetes) और प्रीक्लेम्पसिया (Preeclampsia) जैसी गर्भावस्था के दौरान होने वाली समस्याओं का खतरा बढ़ सकता है।)
    • हैलो हेल्थ ग्रुप चिकित्सक सलाह, निदान या उपचार प्रदान नहीं करता है।

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