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टेस्टिक्युलर कैंसर से बचा सकता है ये सेल्फ एग्जाम, ये है स्टेप बाय स्टेप करने का तरीका

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Manjari Khare द्वारा लिखित · अपडेटेड 05/04/2021

    टेस्टिक्युलर कैंसर से बचा सकता है ये सेल्फ एग्जाम, ये है स्टेप बाय स्टेप करने का तरीका

    ‘अर्ली डिटेक्शन महत्वूपर्ण है क्योंकि जब एबनॉर्मल टिूशज और कैंसर के बारे में जल्दी पता चल जाता है तो इनका इलाज आसान होता है। जब लक्षण दिखाई देने लगते हैं तो इसका मतलब है कि कैंसर ने फैलना शुरू कर दिया है और इसका इलाज मुश्किल हो जाता है।’ ये कहना है नेशनल कैंसर इंस्टिट्यूट का।

    मुंबई के मैक्स सुपर स्पेशियाल्टी हॉस्पिटल के यूरोलॉजी डिपार्टमेंट के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर यशदीप रस्तगी का कहना है, ‘टेस्टिक्युलर कैंसर को रोका नहीं जा सकता, लेकिन सेल्फ एग्जामिन के जरिए टेस्टिकल्स पर आने वाली सूजन या लंप के बारे में बता कर अर्ली स्टेज पर इसके बारे में पता कर इलाज शुरू किया जा सकता है। यह कैंसर अक्सर अर्ली एज में होता है। जेनेटिक कंडिशन (Genetic conditions) जैसे कि क्लाइनफेल्टर सिंड्रोम (klinefelter syndrome) और फैमिली हिस्ट्री इसके रिस्क को बढ़ा देती है। टेस्टिक्युलर कैंसर का पता लगाने के लिए सेल्फ एग्जाम तीन अंगुलियों और अंगूठे की मदद से किया जाता है। जिसमें पूरे टेस्टिस की जांच की जाती है।’

    टेस्टिक्युलर सेल्फ एग्जामिनेशन (testicular self examination) इसलिए है जरूरी

    टेस्टिस (testes) का सेल्फ एग्जामिनेशन टेस्टिक्युलर कैंसर (Testicular Cancer) के अर्ली डिटेक्शन के लिए जरूरी है। टेस्टिक्युलर कैंसर युवा पुरुषों को होने वाला सबसे आम कैंसर है। कई पुरुष इससे अनजान होते हैं। अर्ली डिटेक्शन के लिए टेस्टिकल्स को मंथली एग्जामिन करना (testicular self exam) सबसे आसान उपाय है। इससे कैंसर के बारे में जल्दी पता लगाया जा सकता है ताकि सर्जरी के द्वारा इसका इलाज कराया जा सके। चूंकि टेस्टिक्युलर कैंसर अक्सर सिंगल टेस्टिकल्स (single testicle) में होता है। एक टेस्टिकल को दूसरे से कंपेयर करना मददगार हो सकता है। हालांकि एक टेस्टिकल्स का दूसरे से बड़ा होना सामान्य है। टेस्टिक्युलर सेल्फ एग्जामिनेशन करते वक्त ध्यान इस बात पर रहना चाहिए कि पिछले बार की तुलना में इस बार कुछ बदलाव नजर आ रहे हैं क्या? प्यूबर्टी (puberty) तक पहुंचने के बाद पुरुषों को टेस्टिक्युलर सेल्फ एग्जाम करना चाहिए। साथ ही साल में एक बार डॉक्टर के द्वारा इसे परफॉर्म करवाना सही होगा। टेस्टिक्युलर सेल्फ एग्जाम कैंसर के साथ ही दूसरी टेस्टिक्युलर परेशानियों में भी उपयोगी साबित हो सकता है। टेस्टिक्युलर सेल्फ एग्जाम मिरर के सामने खड़े होकर या नहाते वक्त किया जा सकता है।

    बता दें कि अप्रैल को टेस्टिक्युलर कैंसर अवेयरनेस मंथ (Testicular Cancer Awareness Month) के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर हम ये महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध करा रहे हैं।

    टेस्टिकुलर सेल्फ एग्जाम

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    टेस्टिक्युलर सेल्फ एग्जाम कैसे किया जाना चाहिए? (How to do testicular self exam)

    टेस्टिक्युलर सेल्फ एग्जाम की शुरुआत करने से पहले एनाटॉमी (Anatomy) को समझना जरूरी है। आप एपिडीडिमिस (epididymis) को असामान्य मास (unusual mass) समझने की गलती कर सकते हैं। दरअसल एपिडीडिमिस (epididymis) कुंडलित (Coiled) ट्यूब्स का एक सेट होता है जो टेस्टिकल्स के पीछे और टॉप की लाइंस बनाता है। यह रिप्रोडक्टिव सिस्टम (Reproductive system) का एक हिस्सा है जहां स्पर्म (Sperm) मैच्योर होते हैं या स्विम करना सीखते हैं। यह हिस्सा सॉफ्ट और बम्पी महसूस होता है।

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    निम्न स्टेप में टेस्टिक्युलर सेल्फ एग्जाम परफॉर्म किया जा सकता है।

    • गुनगुने पानी से नहाने के दौरान इस टेस्ट को करना ज्यादा उचित होता है क्योंकि गुनगुना पानी स्क्रॉटम (scrotum) और टेस्टिकल्स testicles की मसल्स को रिलैक्स करने में मदद करता है।
    • एक तरफ से शुरू करके स्क्रॉटम (scrotum) को आहिस्ता- आहिस्ता हाथों में लेकर उंगलियों से टेस्टिकल्स के सरफेस को छुएं। चेक करें किसी प्रकार का लंप (lump), बंप (bump) या असामान्य बदलाव नजर तो नहीं आ रहा या किसी प्रकार का दर्द तो नहीं हो रहा। हालांकि, कैंसर का कारण बनने वाले ट्यूमर्स पेनफुल नहीं होते हैं।
    • अगर किसी प्रकार का बदलाव नजर आता है तो उसे नोट करें। हालांकि टेस्टिक्युलर कैंसर का कॉमन लक्षण पेनलेस मास है। वहीं कुछ पुरुष टेस्टिकल्स और स्क्रॉटम में सूजन का अनुभव करते हैं।
    • अगर किसी प्रकार की सोरनेस (soreness) और हेवीनेस (Heaviness) का एहसास हो तो उस पर भी ध्यान जरूर दें।

    टेस्टिक्युलर सेल्फ एग्जाम (testicular self exam) के दौरान अगर कुछ असामान्य दिखता है तो क्या करना चाहिए?

    अगर आपको टेस्टिकल्स में कुछ भी असामान्य बदलाव नजर आते हैं तो जल्दी से जल्दी डॉक्टर से संपर्क करें। औसतन पुरुष डॉक्टर से अपॉइंटमेंट लेने में 6 महीने तक का समय लगा लेते हैं जो कैंसर को फैलने का कारण बनता है। अक्सर पुरुष इस बारे में बात करने और डॉक्टर से चेकअप करवाने में झिझक महसूस करते हैं, लेकिन इसमें शर्म या झिझक की बात नहीं है। चेकअप और डॉक्टर से बातचीत आपकी जान बचा सकती है। डॉक्टर क्विक एग्जामिनेशन करने के बाद लक्षणों के बारे में पूछेगा।वह आपको अल्ट्रासाउंड कराने के लिए भी कह सकता है। जो कि पेनलेस, रेडिएशन फ्री डायग्नोस्टिक प्रॉसीजर (Diagnostic Procedure) है।

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    क्या यह टेस्टिक्युलर कैंसर (Testicular Cancer) हो सकता है?

    अगर आपको लंप होने का एहसास होता है तो डॉक्टर की दूसरे संकेतों को देखने के लिए अल्ट्रासाउंड करा सकते हैं। कैंसर का इंडिकेशन होने पर वे ब्लड टेस्ट करने के लिए भी कह सकते हैं। अगर डॉक्टर को यह कैंसरस लगता है तो वे सर्जरी के द्वारा कैंसर का पता लगाने के लिए टेस्टिकल्स को रिमूव कर सकते हैं। एक टेस्टिकल्स को निकालने से सेक्स लाइफ प्रभावित नहीं होती, लेकिन फर्टिलिटी पर इसका असर पड़ सकता है। अगर आप बच्चे चाहते हैं तो आपको डॉक्टर से बात करनी होगी। वे आपको स्पर्म को प्रिजर्व रखने का ऑप्शन भी दे सकते हैं। टेस्टिक्युलर कैंसर को प्रिवेंट नहीं किया जा सकता है, लेकिन फैमिली हिस्ट्री और अनडिसेंडेड टेस्टिकल (undescended testicle) होने पर इस कैंसर का रिस्क बढ़ जाता है।

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    टेस्टिक्युलर कैंसर के अन्य लक्षण (Other symptoms of testicular cancer)

    टेस्टिक्युलर कैंसर के लक्षणों में लंप होना सबसे कॉमन है, लेकिन इसके साथ ही दूसरे लक्षण भी दिखाई देते हैं।

    लंप और इस प्रकार के लक्षणों का हमेशा ये मतलब नहीं है कि आपको टेस्टिक्युलर कैंसर ही होगा।

    टेस्टिक्युलर लंप (Testicular lump) होने के अन्य कारण क्या हो सकते हैं?

    आपको बता दें कि सभी टेस्टिक्युलर मास कैंसर नहीं होते हैं। फिर भी स्क्रॉटम या टेस्टिकल्स में होने वाली किसी भी प्रकार की असामान्यता पर डॉक्टर की विजिट जरूरी है। कैंसरस ना होते हुए भी निम्न टेस्टिक्युलर कंडिशन्स डिसकंफर्ट देने के साथ ही और फर्टिलिटी को प्रभावित कर सकती हैं।

    • इंफेक्शन
    • इंजरी
    • हायड्रोसील (Hydrocele) टेस्टिस के आसपास फ्लूइड इकठ्ठा हो जाना
    • वेरीकोसील (Varicocele) मास या नसों का स्क्रॉटम पर इक्ठ्ठा होना
    • सिस्ट (जो टेस्टिकल्स, एपिडीडिमिस या टेस्टिकल्स के आसपास कहीं भी बन सकती है)

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    टेस्टिक्युलर सेल्फ एग्जाम कितनी बार करना चाहिए?

    टेस्टिक्युलर सेल्फ एग्जाम महीने में एक बार करने की सिफारिश की जाती है। हर महीने जांच करने पर इसमें होने वाले किसी भी प्रकार के बदलाव को असानी से नोटिस कर सकते हैं।

    टेस्टिक्युलर सेल्फ एग्जामिनेशन (Testicular self examination) की किसको जरूरत सबसे ज्यादा होती है?

    सभी पुरुषों को सेल्फ एग्जाम करना चाहिए। इसके लिए कोई विशेष उम्र या स्वास्थ्य स्थिति को रिकमंड नहीं किया गया है। डॉक्टर्स रेग्युलर बेसिस पर इस एक्जामिनेशन को करने को कहते हैं। हालांकि टेस्टिक्युलर कैंसर (Testicular cancer) का हर स्टेज पर इलाज किया जा सकता है, लेकिन इसके बारे में जितनी जल्दी पता चल जाए उतना अच्छा है।

    क्या टेस्टिक्युलर सेल्फ एग्जाम का कोई रिस्क हो सकता है? (Risk of Testicular self examination)

    टेस्टिक्युलर सेल्फ एग्जाम का कोई डायरेक्ट रिस्क नहीं है। इससे किसी प्रकार की चोट नहीं लगती है। हालांकि अगर आप कुछ असामान्य नोटिस करते हैं तो आप चिंता का शिकार हो सकते हैं। इसके साथ ही आपको कुछ मेडिकल टेस्ट, अल्ट्रासाउंड, ब्लड टेस्ट आदि से गुजरना होगा। हो सकता है कि बायोप्सी का सहारा भी लेना पड़े। ऐसे में आप स्ट्रेस का सामना कर सकते हैं, लेकिन कैंसर से ज्यादा अच्छा आपके लिए थोड़े समय का स्ट्रेस होगा। इसलिए सेल्फ एग्जाम को करते रहे।

    उम्मीद करते हैं कि आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा और टेस्टिक्युलर सेल्फ एग्जाम से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।

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