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पीनस हेल्थ को मैंटेन रखने के लिए अपनाएं ये टिप्स!

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


AnuSharma द्वारा लिखित · अपडेटेड 21/09/2021

    पीनस हेल्थ को मैंटेन रखने के लिए अपनाएं ये टिप्स!

    ऐसा माना जाता है कि स्वास्थ्य से बढ़कर और कुछ नहीं होता। यह बात बिलकुल सही भी है। लेकिन,  कुछ ऐसी हेल्थ कंडीशंस हैं, जिनके बारे में हम किसी से भी बात नहीं करना चाहते। जैसे पीनस हेल्थ (Penis Health) से जुड़ी समस्याएं। पुरुषों के लिए पीनस से संबंधित समस्याओं के बारे में बात करना थोड़ा मुश्किल होता हैं। लेकिन, शरीर के अन्य अंगों की तरह पीनस हेल्थ (Penis Health) भी महत्वपूर्ण हैं। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि पीनस से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याएं रोगी के रोजाना के जीवन को भी प्रभावित कर सकती है, जैसे तनाव हो सकता हैं, रिश्तों में समस्या आ सकती हैं या रोगी का आत्मविश्वास कम हो सकता हैं। इसलिए, कभी भी इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।

    आइए, जानें कि पीनस का स्वास्थ्य क्यों महत्वपूर्ण है? पीनस से जुड़ी अन्य समस्याओं और पीनस हेल्थ (Penis Health) को मैनेज करने के टिप्स के बारे में भी जानें:

    पीनस का स्वास्थ्य क्यों महत्वपूर्ण हैं? (Why Penis Health is Important)

    सभी पुरुषों को पीनस के स्वास्थ्य के बारे में जानना और सोचना चाहिए। क्योंकि, एक स्वस्थ व्यक्ति के रूप में कार्य करने के लिए एक पुरुष का पीनस भी स्वस्थ होना चाहिए। पीनस कई तरह से महत्वपूर्ण है। जैसे मूत्र त्याग और अपने शरीर में सही तरल पदार्थ का संतुलन बनाए रखने के लिए जरूरी है। इसके साथ ही संभोग के लिए भी यह महत्वपूर्ण है। इसके बिना महिला का गर्भवती (Pregnancy) होना संभव नहीं हैं। अगर पीनस में कोई समस्या हैं तो यह किसी अन्य बीमारी का संकेत भी हो सकता है, जैसे डायबिटीज (Diabetes), हाय ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure), हार्ट समस्या (Heart Problem) आदि। इसलिए पीनस हेल्थ (Penis Health) को कभी भी इग्नोर नहीं करना चाहिए।

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    कौन सी हेल्थ और लाइफस्टाइल कंडीशंस हैं, जो पीनस हेल्थ (Penis Health) को प्रभावित करती हैं?

    कई शारीरिक, मानसिक या लाइफस्टाइल से जुड़ी समस्याएं पीनस हेल्थ (Penis Health) को प्रभावित करती हैं। इसके बारे में जानकारी बहुत जरूरी है। ताकि, आप सही समय पर इनके बारे में जानकर इनका इलाज करा पाएं। 

    पीनस हेल्थ

    इरेक्टाइल डिसफंक्शन (Erectile dysfunction): संभोग के लिए पीनस का इरेक्ट न होना या इरेक्टेड (Erected) न रह पाना इरेक्टाइल डिसफंक्शन कहलाता है।

    वीर्यस्खलन (Ejaculation) : इस समस्या में वीर्यस्खलन में असमर्थता (Inability to Ejaculate), शीघ्रपतन (Premature Ejaculation), वीर्यस्खलन का देरी से कम होना आदि शामिल है।

    अनोर्गैस्मिया (Anorgasmia): अनोर्गैस्मिया (Anorgasmia) उस परेशानी को कहा जाता है, जब मनुष्य पर्याप्त उत्तेजना के बावजूद संभोग सुख प्राप्त करने में असमर्थ होता है।

    कामेच्छा में कमी (Loss of libido) :कामेच्छा में कमी का अर्थ है सेक्स की इच्छा कम होना 

    यौन संचारित संक्रमण (Sexually transmitted infections) : यौन संचारित संक्रमण में गुप्तांग में मस्सा (Genital warts) गोनोरिया (Gonorrhea ), क्लैमाइडिया (Chlamydia), सिफलिस (Syphilis) और जेनिटल हर्पीस (Genital Herpes) सहित कई समस्याएं शामिल हैं। 

    यीस्ट इंफेक्शन (Yeast infection ) : यीस्ट इंफेक्शन (Yeast Infection) के कारण लिंग के सिरे पर सूजन आ सकती है।

    बैलानाइटिस (Balanitis) : बैलेनाइटिस के कारण पीनस पर लाल चकत्ते, सफेद धब्बे, खुजली या जलन और सफेद डिस्चार्ज हो सकता है।

    पीनायल फ्रैक्चर (Penile fracture) : इरेक्शन के दौरान फाइब्रस के टूटने या पेनिट्रेशन के समय पुरुष का अपने पार्टनर की टेलबोन (Tailbone) को हिट करना आदि इस फ्रैक्चर के कारण हो सकते हैं। 

    प्रीएपिज़म (Priapism): प्रीएपिज़म लगातार और दर्दनाक इरेक्शन है, जो यौन उत्तेजना के कारण नहीं होता है।

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    पीनायल कैंसर (Penile Cancer) : पीनायल कैंसर लिंग के आगे के भाग, सिरे या शाफ्ट पर एक छाले के रूप में शुरू हो सकता है और फिर पानी या मवाद से भरे फोड़े का रूप ले सकता है। इस स्थिति में तुरंत डॉक्टर के उपचार की जरूरत है।

    अन्य रोग (Some other Diseases): हार्ट संबंधी समस्याएं (Heart Problems), डायबिटीज (Diabetes) आदि इरेक्टाइल डिसफंक्शन (Erectile Dysfunction) का कारण बन सकते हैं। डिप्रेशन या अन्य दिमागी समस्याएं या दवाइयां भी इसका कारण हो सकती हैं।

    अन्य दवाइयां (Some other Medicines): पीनस हेल्थ (Penis Health) को कुछ दवाइयां भी प्रभावित कर सकती हैं जैसे ब्लड प्रेशर ड्रग (Blood Pressure Drug) , एंटीडिप्रेसेंट्स (Antidepressants), नींद की दवा (Sleeping Medicine) आदि।

    धूम्रपान (Smoking): धूम्रपान शारीरिक स्वास्थ्य के साथ ही पीनस का स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है। अधिक ड्रिंकिंग भी कामेच्छा की कमी, इरेक्टाइल डिसफंक्शन आदि का कारण बन सकती है।

    न्यूरोलॉजिकल कंडीशंस (Neurological Condition):  जैसे स्ट्रोक, रीढ़ की हड्डी और पीठ की चोटें, मल्टीपल स्केलेरोसिस (Multiple Sclerosis) और डिमेंशिया (Dementia) मस्तिष्क से लिंग तक नर्व इम्पल्स (Nerve Impulses) के ट्रांसफर को प्रभावित कर सकते हैं। जिससे स्तंभन दोष (Erectile Dysfunction) हो सकता है।

    एजिंग (Ageing): उम्र के बढ़ने पर आमतौर पर टेस्टोस्टेरोन के स्तर में गिरावट होती है और उम्र का बढ़ना स्तंभन दोष (Erectile dysfunction), ऑर्गेज्म की कमी (Lack of orgasm), वीर्यस्खलन में समस्या (Ejaculation Problem) आदि के बढ़ते जोखिम के साथ भी जुड़ा हुआ है। 

    असुरक्षित यौन संबंध (Unprotected sex): असुरक्षित यौन संबंध, कई लोगों के साथ सेक्स और अन्य जोखिम भरे यौन व्यवहार से यौन संचारित संक्रमणों का जोखिम बढ़ता है।

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    आपको कैसे पता चलेगा कि आपके पीनस में कोई समस्या है?

    लिंग की समस्याओं के कुछ लक्षणों के बारे में जानकर आपको आसानी से पता चल जाएगा कि आपको लिंग से जुडी कोई परेशानी या रोग है। यह लक्षण इस प्रकार हैं:

    • पीनस पर काले और नीले निशान (Black and blue marks on penis)
    • पीनस इरेक्शन में समस्या (Problem with penis erection)
    • आपके पीनस से पीले या हरे रंग का डिस्चार्ज (Yellow or Green Discharge)
    • मूत्र त्याग के समय जलन या ब्लीडिंग होना (Burning or Bleeding During Urination)
    • पीनस पर दर्द भरे या खुजली वाले रैशेज होना (Painful or Itchy Rashes on Penis)
    • पीनस पर फफोले, मस्सा या छाले होना (Blisters or warts on the penis)
    • ऑर्गेज्म के तरीके में बदलाव (Change in the way of organism)
    • पीनस के इरेक्ट होने पर या संभोग के समय दर्द होना (Pain during erection or sexual intercourse)
    • पीनस में सूजन (Swelling in Penis)
    • पीनस का मुड़ जाना (Twisting of penis)

    किसी भी नए लक्षणों या स्थितियों के बारे में जागरूक रहने के लिए नियमित रूप से अपने लिंग का निरीक्षण कराना लाभदायक है।

    डॉक्टर के पास कब जाएं? (When to see the Doctor) 

    पीनस हेल्थ (Penis Health) भी शरीर के अन्य अंगों की तरह ही महत्वपूर्ण हैं। इसलिए, इसे नजरअंदाज बिलकुल भी नहीं करना चाहिए। अगर आपको कोई भी समस्या या लक्षण नजर आता हैं तो तुरंत उस पर ध्यान दें। इन स्थितियों में आपको तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए:

    • आपके इजैकुलेट के तरीके में बदलाव (Changes in the Ejaculation Way)
    • सेक्शुअल इच्छाओं में बदलाव (Change in sexual desires)
    • इजैकुलेशन या मूत्र त्याग के समय ब्लीडिंग (Bleeding at the time of Ejaculation or Urination)
    • पीनस या गुप्तांग में छाले, मस्से या अन्य घाव होना  (Blisters, Warts or other Sores in the Penis or Genitals)
    • लिंग का मुड़ना या सेक्शुअल एक्टिविटी में समस्या होना (Penis Flexion or problems with Sexual Activity)
    • पीनस में जलन होना (Burning Sensation in the Penis)
    • पीनस में ट्रॉमा के बाद गंभीर दर्द (Severe Pain after Trauma in Penis)

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    पीनस हेल्थ से जुड़ी कुछ समस्याएं और उनका उपचार (Problems Related to Penis Health)

    पीनस से जुड़े कुछ रोग माइनर होते हैं और उनसे कोई समस्या नहीं होती। लेकिन, कई समस्याएं होने पर तुरंत मेडिकल इमरजेंसी की जरूरत होती हैं। जानिए इसके बारे में विस्तार से: 

    स बारे में सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर एस के शर्मा का कहना है कि जब कोई पुरुष खुद को सेक्स के दौरान तैयार नहीं कर पाता या सेक्स के लिए इरेक्शन नहीं रख सकता है, उस स्थिति को इरेक्टाइल डिसफंक्शन कहा जाता है। कभी-कभी इरेक्शन की समस्या का होना स्वास्थ्य के प्रति चिंता का विषय नहीं है लेकिन, ऐसा लगातार हो रहा है, तो यह तनाव, कॉन्फिडेंस की कमी और रिश्तों में खटास पैदा कर सकता है।

    बैलेनाइटिस (Balanitis)

    बैलेनाइटिस पीनस के सिरे पर होने वाली जलन हैं। अगर पीनस की फोरस्किन (Foreskin) में भी जलन हो रही हैं तो इस स्थिति को बालनोपोस्टहाइटिस (Balanoposthitis) कहा जाता है। इसके लक्षण हैं पीनायल पैन, पीनस में सूजन, खुजली या रैशेज और पीनस से बदबूदार डिस्चार्ज होना। इसका कारण पुअर हाइजीन है। अगर आपका पीनस सही से साफ नहीं होगा तो उसमें बैक्टीरिया (Bacteria), पसीना, डेड स्किन सेल आदि जलन और अन्य समस्याओं का कारण बन सकते हैं।

    निदान (Diagnosis)

    बैलेनाइटिस का निदान आमतौर पर एक शारीरिक जांच से किया जा सकता है। क्योंकि, इसके अधिकांश लक्षण साफ दिखाई देते हैं। यदि आपको डिस्चार्ज भी हो रहा है, तो डॉक्टर इसका एक नमूना सैंपल ले सकते हैं या मूत्र का नमूना भी लिया जा सकता है। डॉक्टर बैक्टीरिया या फंगल सेल्स की उपस्थिति के लिए इसकी जांच करेंगे।

    उपचार (Treatment)

    • सुगंधित साबुन, लोशन, या पाउडर के उपयोग को बंद कर दें। क्योंकि, वे अक्सर चमड़ी की जलन का कारण होते हैं। सफाई के लिए केवल गर्म पानी का उपयोग करें।
    • निदान के बाद,डॉक्टर आपको एक एंटी-इचिंग क्रीम (Anti-itching Cream) दे सकते हैं। यह क्रीम खुजली और सूजन को रोकने में मदद करती है।
    • अगर आपको संक्रमण है, इसे साफ करने में मदद के लिए डॉक्टर एंटीबायोटिक या एंटी फंगल दवा (Antibiotic or Antifungal Medicine) लिख ​​सकते हैं। इनसे आपको सूजन, खुजली, डिस्चार्ज जैसी समस्याएं से राहत  मिल सकती है।
    • डॉक्टर सूजन को कम करने के लिए स्टेरॉयड के साथ मेडिकेटेड क्रीम (Medicated Cream) भी दे सकते हैं।

    एपिस्पैडियास (Epispadias)

    एपिस्पैडियास मूत्रमार्ग (Urethra) के शुरुआती स्थान पर होने वाला एक दुर्लभ जन्म दोष है। इस स्थिति में, मूत्रमार्ग एक पूर्ण ट्यूब के रूप में विकसित नहीं होता है, और मूत्र शरीर के असामान्य जगह से बाहर निकलता है। एपिस्पैडिया के कारणों के बारे में सही जानकारी नहीं है।

    निदान(Diagnosis)

    शारीरिक जांच के बाद डॉक्टर इस समस्या का निदान कर सकते हैं।  इसके बाद आपको  कुछ टेस्ट के लिए भी कह सकते हैं। यह टेस्ट इस प्रकार हैं: 

    उपचार (Treatment) 

    एपिस्पैडियास के कम गंभीर मामलों में सर्जिकल रिपेयर की सलाह दी जाती हैं। अगर यूरिन की लीकेज असामान्य ही है तो इसमें दूसरे ऑपरेशन की जरूरत भी हो सकती हैं। इस सर्जरी से पुरुष की मूत्र त्याग को नियंत्रित करने की क्षमता बढ़ती है। लेकिन कई ऑपरेशन के बाद भी कुछ लोगों में लगातार परसिस्टेंट यूरिनरी इंकॉन्टीनेंस (Persistent Urinary Incontinence) की समस्या रहती ही है। इसके साथ ही ऊपरी मूत्र पथ (Upper Urinary Tract) की क्षति और बांझपन (Infertility) भी हो सकता है।

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    हाइपोस्पेडिया (Hypospadias) 

    हाइपोस्पेडिया एक जन्म दोष है जिसमें मूत्रमार्ग (Urethra) की ओपनिंग टिप के बजाय लिंग के नीचे की तरफ होता है। मूत्रमार्ग वह नली है जिसके माध्यम से मूत्राशय से मूत्र निकलता है।

    निदान (Diagnosis)

    इस स्थिति में डॉक्टर शारीरिक जांच के आधार पर हाइपोस्पेडिया (Hypospadias) का निदान कर सकते हैं।

    उपचार (Treatment)

    हाइपोस्पेडिया के अधिकांश रूपों को एक सर्जरी में ठीक किया जा सकता है। लेकिन कई बार हाइपोस्पेडिया के उपचार के लिए एक से अधिक सर्जरी की भी आवश्यकता हो सकती है।

    पीनायल कैंसर (Penile Cancer)

    पीनायल कैंसर, या लिंग का कैंसर, तब होता हैं जब पुरुष के पीनस के अंदर या बाहर की कोशिकाएं नियंत्रण से बाहर हो जाती हैं। यह अक्सर त्वचा कोशिकाओं में शुरू होता है। हालांकि, यह दुर्लभ हैं। लेकिन, इसका इलाज संभव है, खासकर अगर इसका निदान जल्दी हो जाए।

    Penis Health

    निदान (Diagnosis)

    पीनायल कैंसर के निदान के लिए डॉक्टर आपकी फिजिकल जांच करेंगे और आपसे आपके लक्षणों के बारे में पूछेगा। आपको कुछ टेस्ट के लिए भी कहा जा सकता है, जैसे:

    • बायोप्सी (Biopsy) : डॉक्टर आपके लिंग की त्वचा के घाव से ऊतक का एक छोटा सा नमूना लेंगे। लैब टेस्ट में कैंसर कोशिकाओं के लिए इसकी जांच करते हैं।
    • एक्स-रे (X-Ray), सीटी स्कैन (CT Scan), अल्ट्रासाउंड (Ultrasound) और मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (Magnetic Resonance Imaging) जैसे इमेजिंग टेस्ट। इनसे आपके शरीर के अंदर ट्यूमर या अन्य समस्याओं को जांचा जाता है

    उपचार (Treatment)

    यदि आपका कैंसर प्रारंभिक अवस्था में है, तो आपके उपचार में ये शामिल हो सकते हैं:

  • क्रायोथेरेपी (Cryotherapy): यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमे कैंसर के ऊतकों को जमने और नष्ट करने के लिए एक अत्यंत ठंडे तरल या एक उपकरण का उपयोग किया जाता है।
  • मोह सर्जरी (Mohs Surgery): जिसमें डॉक्टर तब तक प्रभावित त्वचा को एक परत तक हटाते हैं, जब तक कि वे स्वस्थ ऊतक तक नहीं पहुंच जाते।
  • लेजर सर्जरी (Laser Surgery): कैंसर वाले क्षेत्रों को काटने और नष्ट करने के लिए लेजर सर्जरी।
  • सरकमकिशन (Circumcision): जो चमड़ी को हटाने के लिए सर्जरी है। इसे तब किया जाता है, यदि रोगी के  फोरस्किन में कैंसर होता है।
  • यदि कैंसर के अन्य अंगों तक फैलने की संभावना है, तो यह उपचार भी किए जा सकते हैं :

    • यदि आपके कैंसर फैल गया हैं, तो आपके पेट और जांघ के बीच के भाग जिसे ग्रोइन कहा जाता है उस में कुछ या सभी लिम्फ नोड्स को हटाने के लिए सर्जरी की जा सकती है ।
    • शरीर की कैंसर कोशिकाओं से छुटकारा पाने के लिए रेडिएशन (Radiation) या कीमोथेरेपी (Chemotherapy)।
    • एक पेनेक्टोमी (Penectomy), जो लिंग के कुछ हिस्से या इसे पूरी तरह से हटाने के लिए की जाने वाली सर्जरी है

    फाइमोसिस और पैराफाइमोसिस (Phimosis and Paraphimosis)

    जब तक अधिकांश लड़के 10 साल के नहीं हो जाते, तब तक वे अपने लिंग के सिरे से चमड़ी को पीछे खींच सकते हैं। लेकिन कुछ के लिए, ऐसा तब तक करना संभव नहीं होता, जब तक कि वे लगभग 17 साल के न हों जाएं। इस समस्या को फाइमोसिस कहा जाता है। पैराफाइमोसिस (एक चिकित्सा आपातकालीन स्थिति है), जिसमें फोरस्किन एक बार पीछे हटने पर अपने सामान्य स्थान पर नहीं लौट पाती है।

    निदान (Diagnosis)

    डॉक्टर आपके लक्षणों और फिजिकल जांच से इस बीमारी के बारे में जान सकते हैं। 

    फाइमोसिस का उपचार (Treatment of Phimosis)

    आप एक मूत्र रोग विशेषज्ञ (Urologist) से  उपचार प्राप्त कर सकते हैं। वे इस समस्या के कारणों पर भी विचार करेंगे और आपसे भी राय ले सकते हैं। मूत्र रोग विशेषज्ञ इसका उपचार इन तरीकों से कर सकते हैं:

    • एक स्टेरॉयड क्रीम (Steroid cream) जिसे आपको कई हफ्तों के लिए दिन में कई बार अपने फोरस्किन पर लगानी होगी। यह त्वचा को ढीला बनाने में मदद कर सकती है।
    • एक आंशिक या पूर्ण सरकमसिजन (circumcision)।

    पैराफिमोसिस का उपचार (Treatment of  Paraphimosis)

     इसका इलाज इमरजेंसी रूप में किया जाता है। डॉक्टर राहत प्रदान करने के तरीकों में यह शामिल हैं:

    • सूजन को कम करने के लिए आपके लिंग पर एक सोल्यूशन (Solution) लगाया जाता हैं। फिर डॉक्टर मैन्युअल रूप से अपनी फोरस्किन को ढीला करने की कोशिश करते हैं।
    • तरल पदार्थ को बाहर निकलने के लिए डॉक्टर फोरस्किन में कई छेद बनाने के लिए एक सुई का उपयोग करते हैं।
    • सूजन को कम करने के लिए अनावश्यक पानी निकालने में मदद करने के लिए फ्लूइड दिए जा सकते हैं। आपका डॉक्टर इसे ढीला करने के लिए आपकी चमड़ी में एक छोटा सा स्लिट बनाता है।

    प्रीएपिज़म (Priapism)

    प्रीएपिज़म (Priapism) लिंग में लंबे समय तक होने वाला इरेक्शन है। इस स्थिति में बिना यौन उत्तेजना के कारण भी घंटों तक लगातार इरेक्शन होता हैं। आमतौर पर प्रीएपिज़म दर्दनाक होता है।यह कुछ समस्याओं से सम्बन्धित हो सकता है जैसे सिकल सेल एनीमिया (sickle cell anemia)।

    निदान (Diagnosis)

    यदि, किसी व्यक्ति को चार घंटे से अधिक समय से इरेक्शन है, तो उसे आपातकालीन देखभाल की आवश्यकता है। डॉक्टर यह निर्धारित करेंगे कि उसे इस्मिक प्रीएपिज़म (Ischemic Priapism) है या नॉनइस्मिक प्रीएपिज़म (Nonischemic Priapism)। प्रत्येक के लिए उपचार अलग-अलग है, इसलिए यह जानना जरूरी है। इस्मिक प्रीएपिज़म (Ischemic Priapism )के लिए उपचार जल्द से जल्द किया जाना चाहिए।

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    निदान 

    यह निर्धारित करने के लिए कि रोगी को  किस प्रकार का प्रीएपिज़म है, डॉक्टर रोगी से कुछ सवाल पूछते हैं और उनके गुप्तांगों, पेट,  ग्रोइन आदि की जांच करते हैं। समस्या के प्रकार के अनुसार डॉक्टर टेस्ट की सलाह दे सकते हैं,  यह कुछ टेस्ट इस प्रकार हैं:

  • ब्लड गैस माप (Blood Gas Measurement)
  • ब्लड टेस्ट (Blood Tests)
  • टॉक्सिकोलॉजी टेस्ट (Toxicology Test)
  • अल्ट्रासाउंड (Ultrasound)
  •  इलाज (Treatment)

    इस्मिक प्रीएपिज़म (Ischemic priapism)  एक आपातकालीन स्थिति है, जिसे तत्काल उपचार की आवश्यकता होती है। यह उपचार आमतौर पर लिंग से खून निकालने और दवाओं के उपयोग के संयोजन से शुरू होता है।

    • थेरेपी (Therapy): एक छोटी सुई और सिरिंज  का उपयोग करके लिंग से अतिरिक्त रक्त निकल जाता है। इस प्रक्रिया के भाग के रूप में, लिंग को सेलाइन सलूशन (Saline solution) के साथ भी साफ किया जा सकता है। यह उपचार अक्सर दर्द से राहत देता है और इरेक्शन को रोक सकता है। यह उपचार तब तक दोहराया जा सकता है जब तक कि इरेक्शन समाप्त न हो जाए।
    • दवाएं (Medicine): एक सिम्पटोमिमेटिक दवा (Sympathomimetic Medicine), जैसे कि फिनाइलफ्राइन (Phenylephrine) को लिंग में इंजेक्ट किया जा सकता है। यह दवा रक्त वाहिकाओं (blood vessels) को संकुचित करती है, जो लिंग में रक्त ले जाती है।
    • सर्जिकल या अन्य प्रक्रियाएं (Surgical and other) : यदि अन्य उपचार सफल नहीं होते हैं, तो एक सर्जन रक्त प्रवाह को रीरूट करने के लिए सर्जरी कर सकते हैं ताकि रक्त आपके लिंग से सामान्य रूप से मूव कर सके। यदि आपको सिकल सेल एनीमिया (Sickle Cell Anemia) है, तो रोगी को अतिरिक्त उपचार की जरूरत हो सकती है।

    नॉनइस्मिक प्रीएपिज़म (Nonischemic Priapism)

    बिना किसी उपचार के अक्सर नॉनइस्मिक प्रीएपिज़म (Nonischemic Priapism) ठीक हो जाता है। इसमें लिंग को नुकसान होने का कोई खतरा नहीं होता , इसलिए डॉक्टर वेट एंड वाच एप्रोच की सलाह दे सकते हैं। आइस पैक और पेरिनियम (perineum) पर दबाव डालना भी  इरेक्शन को समाप्त करने में मदद कर सकते हैं।

    पीनस हेल्थ को बनाए रखने के लिए कुछ टिप्स (Tips for Penis Health)

    पीनस हेल्थ (Penis Health)  को सही रखने के लिए आप न केवल अपनी लाइफस्टाइल में बदलाव कर सकते हैं, बल्कि आपको अन्य अन्य चीजों का भी खास ख्याल रखना चाहिए, जैसे:

    सेक्शुअली रूप से जिम्मेदार बनें (Sexually Responsible)

    सुरक्षित यौन संबंधों का ख्याल रखें। कंडोम का उपयोग करें और यौन संचारित संक्रमणों या सेक्शुअल ट्रांसमिटेड इन्फेक्शन से मुक्त रहने के लिए हाइजीन का पालन करें। समय-समय पर जांच भी अनिवार्य है।

    वैक्सीनेश (Vaccination)

    यदि आप 26 वर्ष या उससे कम उम्र के हैं, तो वायरस से जुड़े कैंसर को रोकने में मदद करने के लिए मानव पेपिलोमावायरस (Human Papillomavirus ) वैक्सीन लगवाएं।

    शारीरिक रूप से सक्रिय रहें (Stay Physically Active)

    शारीरिक रूप से एक्टिव रहने पर आप इरेक्टाइल डिसफंक्शन के जोखिम को काफी कम कर सकते है। इसके साथ ही पीनस को स्वस्थ बनाए रखने में मदद मिलेगी।

    स्वस्थ विकल्प अपनाएं (Follow Healthy Choices)

    अपने वजन को सही रखने और अन्य समस्याओं जैसे कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol),रक्तचाप (Blood Pressure), डायबिटीज (Diabetes) आदि को संतुलित रख कर भी आप पीनस हेल्थ (Penis Health) को सही बनाए रख सकते हैं।

    अपनी दवाओं के बारे में जानें (Know About Your Medicine)

    अपने डॉक्टर से आप जिन दवाओं को ले रहे हैं, उनके बारे में पूरी जानकारी लें। क्योंकि कुछ दवाइयां भी आपके पीनस हेल्थ (Penis Health) के लिए हानिकारक सिद्ध हो सकती हैं।

    अपने मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान दें (Mental Health)

    शारीरिक के साथ ही मानसिक स्वास्थ्य भी पीनस हेल्थ (Penis Health) को प्रभावित करता है। इसलिए अवसाद, चिंता या अन्य मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों से बचे। इसके लिए डॉक्टर की सलाह भी ले सकते हैं

    धूम्रपान बंद करें (Stay Away From Smoking)

    पीनस हेल्थ (Penis Health) के लिए धूम्रपान से बचे और शराब की मात्रा को सीमित करें। यदि आप धूम्रपान करते हैं, तो तुरंत छोड़ दें। यदि आपको इसे छोड़ने में मदद की आवश्यकता है, तो अपने डॉक्टर से बात करें। 

    यह भी पढ़ें: क्या स्मोकिंग, सिर और गर्दन के कैंसर का मुख्य कारण हैं, जानिए इस बारे में विस्तार से

    लिंग की समस्याओं को रोका नहीं जा सकता। लेकिन पीनस हेल्थ (Penis Health) को सही रखा जा सकता है।  नियमित रूप से आपके लिंग की जांच करने से आपको अपने लिंग की स्थिति के बारे में अधिक जानकारी मिल सकती है और इसके साथ ही इसमें परिवर्तनों का पता लगाने में मदद मिल सकती है। नियमित जांच यह भी सुनिश्चित करने में मदद कर सकती है कि आपके लिंग को प्रभावित करने वाली समस्याएं कौन सी हैं। इससे जल्दी निदान और सही समय पर उपचार संभव है।

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