रेमिशन के दौरान भी बॉडी में कैंसर कोशिकाएं (cancer cells) होती हैं। इसलिए इस दौरान भी ट्रीटमेंट की जरूरत हो सकती है। ट्रीटमेंट से बची हुई कैंसर सेल्स के दोबारा विकसित होने की आशंका कम रहती है। डॉक्टर इस बात पर भी नजर रखते हैं कि कैंसर फिर से एक्टिव तो नहीं हो रहा। कैंसर रेमिशन के दौरान जो सबसे कॉमन ट्रीटमेंट दिया जाता है वो मेंटेनेंस कीमोथेरिपी (Maintenance chemotherapy) है। कीमो (chemo) थेरिपी कैंसर को फैलने से रोकने के लिए नियमित रूप से दी जाती है। मेंटेनेंस थेरिपी के दौरान आपको ज्यादा परेशानी नहीं होती। अगर मरीज को ऐसा लगता है कि इससे उसे साइड इफेक्ट्स का सामना करना पड़ रहा है तो अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। वे थेरिपी को कुछ समय के लिए बंद कर सकते हैं। मेंटेनेंस थेरिपी कुछ समय बाद उतनी असरकारक नहीं रह जाती। ऐसे केस में डॉक्टर इस थेरिपी को बंद कर देते हैं ताकि कैंसर कीमो के प्रति रेजिस्टेंट (resistant ) ना हो जाएं।
कुछ लोगों में कैंसर रेमिशन (Cancer remission) का फेज जीवनभर रह सकता है वहीं कुछ लोगों में कैंसर वापस आ जाता है जिसे रिकरेंस (recurrence) कहते हैं। कैंसर रिकरेंस कई चीजों पर निर्भर करता है। जिसमें आपको किस प्रकार का कैंसर था, किस स्टेज पर कैंसर का पता चला और आपकी ओवरऑल हेल्थ आदि शामिल हैं। ट्रीटमेंट के दौरान ऐसा निश्चिता के साथ नहीं कहा जा सकता है कि आपका कैंसर वापस आएगा। जिन कैंसर का आखिरी स्टेज में (last stage of cancer) पता चलता है और जो कैंसर लिम्फ नोड (Lymph node) तक विकसित होते हैं वे सामान्यत: वापस आ जाते हैं। कैंसर रिकरेंस तीन प्रकार का होता है। जो निम्न हैं।
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लोकल रिकरेंस (Local recurrence)
इसमें कैंसर उसी जगह पर वापस आता है जहां पर यह पहले पाया गया था या उस जगह के बहुत करीब होता है। ये कैंसर लिम्फ नोड और बॉडी के दूसरे अंगों में नहीं फैला होता है।
रीजनल रिकरेंस (Regional recurrence)
इसमें कैंसर लिम्फ नोड्स या ओरिजनल केंसर के आसपास के टिशूज में रिकर होता है।
डिस्टेंट (Distant recurrence)
इसमें कैंसर बॉडी के किसी भी भाग में वापस आ सकता है।