- शरीर का तापमान बढ़ना (बुखार आना)
- कमजोरी महसूस होना
- बार-बार इंफेक्शन होना
- अत्यधिक पसीना आना
- रात के वक्त ज्यादा पसीना आना
- हड्डियों में दर्द होना
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लिम्फोमा (Lymphoma) के लक्षण इस प्रकार हैं:
- बॉडी में सूजन आना विशेष रूप से गर्दन, अंडरआर्म, हाथ, पैर या कमर में सूजन आना
- भूख नहीं लगना या पेट भरा हुआ महसूस करना
- सीने और कमर में दर्द महसूस होना
- शरीर पर निशान (चकत्ते का निशान) पड़ना
- वजन बढ़ना
- रात के वक्त पसीना आना
- शरीर में इचिंग होना या रैशेसज पड़ना
- ठंड लगना और बुखार आना
- जरूरत से ज्यादा बॉडी वेट कम होना
- नसों में दर्द होना
- बॉडी सुन्न होना या झुनझुनी महसूस होना
इन लक्षणों के अलावा अन्य लक्षण भी हो सकते हैं।
बोन मैरो कैंसर के कारण क्या हैं?
यह अभी क्लियर नहीं है कि बोन मैरो कैंसर के मुख्य कारण क्या है, लेकिन निम्नलिखित शारीरिक तकलीफों या बीमारियों को इससे जोड़कर देखा गया है। जैसे:
- केमिकल्स, क्लीनिंग प्रोडक्ट्स या एग्रीकल्चर प्रोडक्ट्स के संपर्क में आना
- ऑटोमेटिक रेडिएशन के संपर्क में आना
- कुछ खास वायरस जैसे एचआईवी, हेपेटाइटिस, रेट्रोवायरस या हर्पिस वायरस
- प्लाज्मा डिसॉर्डर या सप्रेसेड इम्यून सिस्टम
- जेनेटिक हिस्ट्री (परिवार में किसी को बोन मैरो कैंसर होना)
- पहले की गई कीमोथेरिपी या रेडिएशन थेरिपी
- स्मोकिंग करना
- अत्यधिक एल्कोहॉल का सेवन करना
- शरीर का वजन सामान्य से ज्यादा बढ़ना
इन ऊपर बताये कारणों के अलावा अन्य कारण हो सकते हैं। इसलिए अपनी सेहत पर ध्यान दें और कोई तकलीफ या परेशानी महसूस होने पर डॉक्टर से संपर्क करें।
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बोन मैरो कैंसर का निदान कैसे किया जाता है?
अगर किसी व्यक्ति में बोन मैरो कैंसर के लक्षण नजर आते हैं, तो डॉक्टर मेडिकल हिस्ट्री जानने के बाद निम्नलिखित बॉडी टेस्ट करवाने की सलाह देते हैं। इनमें शामिल है:
- ब्लड टेस्ट (Blood Test)- ब्लड टेस्ट के माध्यम से ब्लड काउंट पर भी ध्यान दिया जाता है। ब्लड टेस्ट से ही ट्यूमर मार्क्स को भी समझने में सहायता मिलती है।
- यूरिन टेस्ट (Urine Test)- इस टेस्ट की मदद से प्रोटीन लेवल और किडनी फंक्शन को समझने में सहायता मिलती है।
- इन दोनों टेस्ट के अलावा- एमआरआई (MRI), सीटी स्कैन (CT Scan) पीईटी (PET) एवं एक्स-रे (X-Ray) करवाने की सलाह दी जाती है।
- बोन मैरो की बायोप्सी की जा सकती है।
- लिम्फ नॉड्स की जांच की जाती है, जिससे कैंसरस सेल्स की जानकारी मिलती है।
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बोन मैरो कैंसर का इलाज कैसे किया जाता है?
बोन मैरो कैंसर का इलाज का इलाज निम्नलिखित तरह से किया जाता है।
- कीमोथेरिपी
- बायोलॉजिकल थेरिपी
- रेडिएशन थेरिपी
- बोन मैरो ट्रांसप्लांट
- टार्गेटेड थेरिपी ड्रग्स
1. कीमोथेरिपी (Chemotherapy):कीमोथेरिपी की मदद से कैंसरस सेल्स को नष्ट करने में सहायता मिलती है। इसकी डोज आपकी शारीरिक स्थिति और बीमारी की गंभीरता को देखते हुए दी जाती है।
2. बायोलॉजिकल थेरिपी (Biological therapy): इम्यून सिस्टम की मदद से कैंसर के सेल्स को कम किया जाता है।
3. रेडिएशन थेरिपी (Radiation therapy): इस थेरिपी की सहायता से कैंसर सेल्स को नष्ट करने के साथ ही ट्यूमर साइज को कम किया जाता है और दर्द से भी राहत मिलती है।
4. बोन मैरो ट्रांसप्लांट (Bone Marrow Transplant): किसी डोनर की मदद से बोन मैरो ट्रांसप्लांट किया जाता है। बोन मैरो ट्रांसप्लांट के दौरान कीमोथेरिपी और रेडिएशन थेरिपी का हाई डोज दिया जाता है।
5. टार्गेटेड थेरिपी ड्रग्स (Targeted therapy drugs): जिस तरह से कीमोथेरिपी और रेडिएशन थेरिपी की मदद से इलाज किया जाता है, ठीक वैसे ही टार्गेटेड थेरिपी ड्रग्स की भी मदद ली जाती है।
इन ऊपर बताये गए इलाज के अलावा डॉक्टर पेशेंट्स को उनकी शारीरिक क्षमता के अनुसार गाइडलाइन देते हैं, जिसे पेशेंट्स को ठीक तरह से फॉलो करना चाहिए। अगर आप कैंसर या बोन मैरो कैंसर (Bone Marrow Cancer) से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं, तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा।