CDC (Centers for Disease Control and Prevention) के निर्देशानुसार मरीजों को बेसिक हाइजन संबंधी जानकारी देना जरूरी होता है। उदाहरण स्वरूप साबुन से बार-बार हाथ धोना, सफाई का ध्यान रखना, ज्यादा बीमार लोगों के संपर्क में कम आना, ज्यादा भीड़-भाड़ वाले जगहों पर जाने से परहेज करना आदि। वैसे अभी तक इस पर कोई विशेष निर्देश नहीं आया है कि कैंसर के मरीजों को मास्क का इस्तेमाल करना कितना लाजमी है। लेकिन मरीजों और चिकित्सक को सीडीसी के जनरल निर्देश के अनुसार मास्क पहनना जरूरी है। यहां तक कि जब भी बाहर निकले कम से कम कपड़े से, अपने मुँह को ढक कर रखें। N95 मास्क के इस्तेमाल के बारे में अभी तक कोई प्रामाणिक तथ्य नहीं मिला है। कैंसर के मरीज को अगर बुखार या दूसरे लक्षण महसूस हो रहे हैं तो सामान्य नियम के अनुसार सारे चिकित्सकीय कारवाही करवाने की जरूरत है।
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क्या सर्जरी/ किमोथेरेपी/ रेडिएशन/ बीएमटी आदि में वही नियम पालन करने की जरूरत है?
अब तक के आँकड़ो से यह पता चल रहा है बुजुर्ग लोग जो लंबे समय से साँस संबंधी समस्या, कार्डियोवसकुलर, किडनी की बीमारी, मधुमेह, एक्टिव कैंसर और आम क्रॉनिक डिजीज के ग्रस्त हैं उन्हें कोविड-19 होने का खतरा हो सकता है। इसलिए कोरोना काल में कैंसर का इलाज के दौरान कैंसर के मरीजों को उपचार से लाभ या फायदा मिलने का अनुपात मरीज के शारीरिक अवस्था पर निर्भर करता है। असल में मरीजों को आसानी के लिए दो वर्गों में बाँटा गया है- “पेशेन्ट ऑफ थैरेपी” (ए) जिन्होंने कैंसर का इलाज पूरा कर लिया है या जिनकी थेरेपी ऑफ मोड पर है , और जिन मरीजों का इलाज अभी तक चल रहा है वह (बी) कैटेगोरी में आ रहे हैं। “एक्टिव डिजीज” वाले मरीज सर्जरी, कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी, बायोलॉजिकल थेरेपी, और इम्यूनोथेरेपी के लिए जा सकते हैं लेकिन भीड़-भाड़ वाले जगह पर नहीं। सभी रोगियों यानि ए और बी दोनों के लिए स्वास्थ्य संबंधी जानकारी देना जरूरी है:
- भीड़ भरे वाले जगह पर न जाएं;
- चिकित्सक पीपीई जरूर पहनें जब दौरे या इलाज के लिए अस्पताल जाते हैं;
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के निर्देश के अनुसार अपने हाथों को सही तरह से धोएं;
- सभी लोगों के साथ सामाजिक दूरी बरतें;
- दूसरों की रक्षा के लिए खुद की सुरक्षा करें।
डॉ. वी. सत्या सुरेश अत्तिली, हेड मेडिकल अफेयर्स, ईओएन का अभिमत है कि हेल्थ मॉनिटरिंग, टेलिमेडिसन, पीओसी टेस्टिंग, एआई ड्रावेन स्क्रीनिंग टूल्स ने ऑन्कोलॉजिस्ट को कोरोना काल में कैंसर का इलाज करने में बहुत मदद की है। फिर भी उनका खुद के सर्वेक्षण अभिज्ञता यह बताता है कि ग्रामीण क्षेत्रों में मरीजों की अवस्था बहुत बुरी है क्योंकि उन्हें सही तरह मेडिकल सहुलियत, दवा आदि नहीं मिल रहा है।