इंडियन कॉउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने पिछले महीने उन मरीजों पर इटोलिजुमैब (tocilizumab) के इस्तेमाल को मंजूरी दी थी, जिन्हें बाहरी रूप से ऑक्सीजन देने की जरूरत पड़ रही थी या जिन्हें वेंटिलेटर की जरूरत होती है। बायोकॉन ने कहा कि फेज-2 में एक दवा की प्रभावकारिता की जांच की गई। इससे पता चलता है कि नोवेल बायोलॉजिकल, इटोलिजुमैब, मध्यम से गंभीर एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम के रोगियों में कम मृत्यु दर के लिए जिम्मेदार है।
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कोरोना के इलाज के लिए इटोलिजुमैब : ट्रायल में प्रतीभागी की संख्या है कम
कोरोना के इलाज के लिए इटोलिजुमैब (itolizumab) के लिए क्लिनिकल परीक्षण भारत में चार साइट पर सिर्फ 30 COVID-19 रोगियों के साथ किए गए थे। ट्रायल के परिणामों के आधार पर DCGI ने इटोलिजुमैब को मंजूरी दी। फेज- 2 में क्लीनिकल ट्रायल के लिए 30 प्रतिभागियों की संख्या बहुत कम है। किसी भी महत्वपूर्ण परिणाम के लिए यह संख्या बहुत छोटी है। इसके साथ ही ट्रायल भी ओपन-लेबल था, जिसका मतलब है कि संभावना है कि रिजल्ट्स बायस्ड थे। इसके अलावा, अन्य अध्ययनों ने भी इस दवा के साइड इफेक्ट्स की सूचना दी है, जिसमें श्वसन और यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन शामिल हैं। कोविड-19 रोगी पहले से ही सेकेंडरी बैक्टीरियल इंफेक्शन (secondary bacterial infection) से ग्रस्त होते हैं, और कोरोना के इलाज के लिए इटोलिज़ुमैब के साथ उपचार इस जोखिम को और बढ़ा सकता है।
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कोरोना के इलाज के लिए इटोलिजुमैब के बारे में
इटोलिज़ुमैब एक फर्स्ट क्लास इम्यून मॉड्युलेटिंग एंटीबॉडी थे। राप्यूटिक हैसीडी 6 रिसेप्टर के लिए बाध्य और टी लिम्फोसाइटों की सक्रियता को अवरुद्ध करता है, जो बदले में प्रो-भड़काऊ साइटोकिन्स को दबाता है, इस प्रकार साइटोकिन तूफान और घातक भड़काऊ प्रतिक्रिया को कम करता है। आपको बता दें कि इटोलिजुमैब (Itolizumab) सामान्यतौर पर स्किन डिसऑर्डर जैसे मल्टीपल स्केलेरोसिस, सोरायसिस और ऑटोइम्यून डिसऑर्डर (autoimmune disorder) के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवा है।
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सस्ता नहीं है इलाज
कोरोना के इलाज के लिए इटोलिजुमैब का इस्तेमाल बायोलॉजिकल थेरिपी (biological therapy) की तरह मरीजों में किया जा रहा है। गंभीर कोरोना संक्रमित मामलों में दवा के इस्तेमाल से पॉजिटिव रिकवरी (positive recovery) दिख रही है। आपको बता दें कि कोरोना के इलाज के लिए इटोलिजुमैब का इस्तेमाल ना सिर्फ भारत में बल्कि दुनियाभर के कई देशों में किया जा रहा है। इस दवा की कीमत लगभग 8,000 रुपए है। इसकी एक वाइल में 5 मिलीलीटर ही दवा रहती है। वहीं, गंभीर रूप से संक्रमित कोरोना पेशेंट्स को दवा की 25 मिलीलीटर डोज की जरूरत होती है। इस हिसाब से इस पूरी बायोलॉजिकल थेरिपी की कीमत 32,000 रुपए हो जाएगी।
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बढ़ रहे हैं मामले
कोरोना लेटेस्ट अपडेट्स की माने तो जहां देश-विदेश में कोरोना वैक्सीन और इलाज के लिए दवाओं पर ट्रायल बढ़ रहा है, वहीं, कोरोना पेशेंट्स की संख्या में भी इजाफा होता जा रहा है। अब विश्वभर में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या 1 करोड़ से ऊपर पहुंच गई है। वहीं, भारत में यही आंकड़ा 9 लाख पार कर गया है जिसमें से 23 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है।कोरोना पॉजिटिव (corona positive) मरीजों की संख्या का बढ़ता ग्राफ बहुत ही चिंताजनक है। ऐसे में अनलॉक के बाद भी जितना हो सके घर पर रहें, सोशल डिस्टेंसिंग (social distancing) का पालन करें और पर्सनल हाइजीन (personal hygiene) का पूरा ख्याल रखें।
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कोरोना वायरस वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल रहा सक्सेसफुल
कोरोना वायरस के कोहराम के बीच एक राहत भरी खबर यह सामने आई है कि रूस ने कोरोना वायरस की पहली वैक्सीन (corona virus vaccine) बना ली है। वहां की न्यूज एजेंसी स्पुतनिक की माने तो, जो कि इंस्टिट्यूट फॉर ट्रांसलेशनल मेडिसिन एंड बायोटेक्नोलॉजी के डायरेक्टर हैं उन्होंने इस बात की पुष्टि की है। उनके अनुसार दुनिया की पहली कोरोना वायरस वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल सक्सेसफुल रहा है। वैज्ञानिकों का मानना है कि 12 से 14 अगस्त तक वैक्सीन के सभी रिजल्ट के बारे में पता चल जाएगा। सब अच्छा रहा तो सितंबर के शुरुआत में ही वैक्सीन को लॉन्च कर देने की उम्मीद है।