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कोरोना वायरस के ट्रीटमेंट के लिए इस्तेमाल की जाएगी रेमडेसिवीर, जानें इसके बारे में

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Shikha Patel द्वारा लिखित · अपडेटेड 02/06/2020

    कोरोना वायरस के ट्रीटमेंट के लिए इस्तेमाल की जाएगी रेमडेसिवीर, जानें इसके बारे में

    कोविड 19 की रोकथाम के लिए पूरी दुनियाभर में कोरोना वैक्सीन और कोरोना के इलाज पर कई तरह के शोध लगातार जारी है। कुछ दवाओं की मदद से मरीजों का ट्रीटमेंट भी संभव हो पाया है। ऐसी ही एक दवा रेमडेसिविर (Remdesivir) है। कोविड-19 के उपचार में यह एंटी-वायरल दवा काफी प्रभावशाली साबित हो रही है। आपको बता दें कि संदिग्ध या लेबोरेटरी कनफर्म्ड कोरोना केसेस के मरीज के इलाज के लिए एंटी-वायरल दवा रेमडेसिविर को पुष्टि मिल गई। भारत की टॉप ड्रग्स रेगुलेटरी बॉडीज ने कोविड-19 के उपचार के लिए इस दवा को मंजूरी दे दी है। कोरोना के इलाज के लिए वैश्विक नैदानिक परीक्षणों में सबसे ज्यादा ट्रायल की जाने वाली दवाओं में से एक रेमडेसिवीर (Remdesivir Drug) है।

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    रेमडेसिवीर दवा का उपयोग केवल अस्पताल या इंस्टीटूशनल्स सेटिंग्स में ही किया जाएगा। हर रोगी यह दवा तभी दी जाएगी जब उसके पास प्रिसक्रिप्शन होगा हैं। दवा के इस्तेमाल से होने वाले लिवर और किडनी पर होने वाले साइडइफेक्ट्स के बारे में उत्पाद के पैकेज पर निर्दिष्ट करना अनिवार्य होगा। इसके अलावा कंपनी के जोखिम प्रबंधन योजना के तहत, सीडीएससीओ (CDSCO) ने भारत में दवा के उपयोग से होने वाली एडवर्स ड्रग रिएक्शन के बारे में जानकारी एकत्र करके प्रोसेस और फॉरवर्ड करने के लिए एक सिस्टम को अनिवार्य कर दिया है। इसे एक महीने के भीतर जमा करना होगा। अतिरिक्त क्लीनिकल परीक्षणों (clinical trial) के रिजल्ट्स को नौ महीने के अंदर-अंदर रेगुलेटर के सामने प्रेजेंट करना होगा जबकि भारत में रेमडेसिवीर के साथ इलाज किए गए सभी रोगियों की निगरानी की जाएगी और उस रिपोर्ट को हर महीने प्रस्तुत करना होगा।

    कोविड-19 के उपचार में दवा के इस्तमाल को मिली मंजूरी

    एक फेमस अंग्रेजी वेबसाइट की माने तो ग्लोबल क्लिनिकल ट्रायल में साबित हो चुका है कि कोविड-19 के उपचार में यह दवा कारगार है। इसी वजह से भारत की ड्रग्स रेगुलेटरी बॉडी, सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) ने रेमडेसिवीर (Remdesivir) को देश में इस्तेमाल करने की मंजूरी दे दी गई है। जो मरीज कोरोना से संक्रमित हैं और अस्पताल में भर्ती हैं, उनके इलाज के लिए यह दवा पांच दिनों तक दी जाएगी। आपको बता दें कि यह दवा अमेरिका की प्रमुख बायोटेक्नेलॉजी कंपनियों में से एक गिलियड साइंसेज (Gilead Sciences) द्वारा बनाई जाती है। इसे मुंबई स्थित क्लिनेरिया ग्लोबल सर्विसेज द्वारा आयात किया जाएगा।

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    कोविड-19 के इलाज में कारगर है रेमडेसिवीर

    रेमडेसिवीर एक एंटी वायरल (anti-viral) दवा है। इस दवा को पहले इबोला के इलाज के लिए बनाया गया था। अब यह कोरोना के इलाज में काम आ रही है। रेमडेसिवीर ड्रग की क्लिनिकल ट्रायल रिपोर्ट की माने तो इस दवा के इस्तेमाल से कोरोना से संक्रमित 50% रोगियों की स्थिति में सुधार 5 दिनों में ही दिखाई देने लगता है। रिपोर्ट्स से यह बात भी सामने आई है कि सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (Central Drugs Standard Control Organisation) ने इस दवा के उपयोग को 5 दिनों तक ही सीमित रखने का फैसला किया है। क्लिनिकल ट्रायल के सफल होने के बाद यह फैसला भी लिया गया कि देश में जेनेरिक वोलंटरी लाइसेंस धारकों को भी इस दवा को बनाने के लिए दिशा-निर्देश दिए जाएंगे।

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    ट्रायल में क्या निकला

    एंटी-वायरल रेमडेसिवीर दवा का कोविड-19 के उपचार में सुरक्षा और प्रभावशीलता का मूल्यांकन करने के लिए लगभग 1059 रोगियों पर इसका क्लिनिकल ट्रायल किया गया था। इन मरीजों को दो ग्रुप में बांटा गया। इसमें से 538 कोरोना संक्रमित लोगों को रेमडेसिवीर (Remdesivir Drug) और 521 को प्लेसबो (placebo) दी गई। पाया गया कि रेमडेसिवीर वाले कोरोना संक्रमित मरीज प्लेसबो की तुलना में जल्दी से ठीक हो गए। रेमडेसिवीर का इस्तेमाल करने वाले मरीजों का रिकवरी रेट 31 फीसदी तेज था। हालांकि, 100 प्रतिशत की तुलना में 31 फीसदी रिकवरी रेट कुछ भी नहीं था मगर यह बहुत अहम था। इससे यह साबित हो गया था कि रेमडेसिवीर कोरोना वायरस की रोकथाम कर सकती है।

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    विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी दिए थे पॉजिटिव संकेत

    क्लिनिकल ट्रायल के तीसरे फेज में एंटी-वायरल दवा रेमडेसिवीर के सकारात्मक परिणाम सामने आए थे। जिसकी वजह से लोगों में भी कोरोना के इलाज को लेकर एक उम्मीद जग गई थी। इसके अलावा WHO ने भी रेमडेसिवीर दवा के पॉजिटिव रिजल्ट्स से कोरोना के इलाज पर उम्मीद जगाई थी।

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    बीसीजी टीके और हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन पर भी जारी है स्टडी

    कोरोना वायरस के ट्रीटमेंट पर रेमडेसिवीर ड्रग के अलावा हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन और बीसीजी वैक्सीन की उपयोगिता और प्रभावशीलता पर भी रिसर्च चल रही है। अभी हाल फिलहाल ही में हुई एक स्टडी से यह बात सामने आई है कि जिन देशों में फेफड़ों के संक्रमण (जैसे टीबी) के उपचार के लिए बीसीजी की वैक्सीन दी जा रही है, उन देशों में कोविड-19 संक्रमण के केसेस कम ही देखने को मिल रहे हैं।

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    साथ ही कोरोना संक्रमण के उपचार में हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन ड्रग (Hydrocychloroquine drug) भी प्रभावी है। यह बात भी सामने आई थी जिसे लेकर भी ट्रायल जारी है। दरअसल, हाइड्रोक्सी कोलोरोक्वाइन एंटीमलेरियल दवा है जिसका इस्तेमाल मलेरिया के साथ अन्य स्वास्थ्य स्थितियों जैसे रूमेटाइड अर्थराइटिस (rheumatoid arthritis) और ल्यूपस एरिथेमेटोसस (lupus erythematosus) के इलाज में भी किया जाता है।

    कोरोना वायरस के लिए होम्योपैथिक दवा

    कोरोना वायरस संक्रमण के उपचार को लेकर तमाम तरह की बाते और अफवाहें सामने आ रही हैं। ऐसी ही बात सामने आ रही है कि कोरोना में होम्योपैथिक दवा प्रभावी है। लेकिन, यह सच नहीं है। अभी तक इस संबंध में कोई भी शोध सामने नहीं आए हैं जिनसे यह साबित हो सके कि होम्योपैथिक दवा से कोरोना वायरस संक्रमण को रोका जा सकता है। हां, इनके सेवन से सर्दी, जुखाम को बस रोका जा सकता है, कोरोना को नहीं। कोविड-19 वायरस के कोई भी लक्षण दिखने पर होम्योपैथिक दवा या घरेलू उपचार न करें। ऐसे में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना ही बेहतर होगा।

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    कोरोना वायरस की वैक्सीन निजात करने में जुटे हैं कई देश

    एक ओर जहां कोरोना वायरस पैर पसारते जा रहा है वहीं, दुनियाभर के देश कोरोना वैक्सीन की खोज में भी जोरो से लग गए हैं। चीन, अमेरिका, इटली और यूरोप जैसे तमाम देशों ने कोविड-19 वैक्सीन का क्लिनिकल ट्रायल शुरू कर दिया है। देश की सुरक्षा के लिए सभी सबसे पहले वैक्सीन तैयार करने में लगे हुए हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की मुख्य वैज्ञानिक डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने एक रिपोर्ट में बताया कि यदि मिलकर सही से काम किया तो हो सकता है कि अगले 12-18 महीने में कोरोना का टीका बनाने में सफल होंगे।

    वहीं, सांस और फ्लू जैसी हेल्थ कंडीशंस के इलाज के लिए दवा बनाने फेमस कंपनी सिप्ला ने दावा किया है कि वह अगले छह महीनों में कोरोना वायरस का उपचार ढ़ूंढ निकालेगी। यदि ऐसा होता है तो सिप्ला कोरोना वायरस की दवा बनाने वाली सबसे पहली भारतीय कंपनी होगी। फिलहाल यह कंपनी गवर्नमेंट लैब के साथ मिलकर वायरस की दवा को बनाने में लगी हुई है।

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    कोविड-19 के उपचार से पहले ज्यादा जरूरी सावधानी बरतना

    जैसा कि आपको पता है कि देश में लॉकडाउन 5.0 के साथ कई तरह की छूट भी दी गई हैं। ऐसे में देखा जा रहा है कि कोरोना संक्रमण के मामले और तेजी से बढ़ रहे हैं। नतीजन, आपको और सतर्क होने की जरुरत है और अपना ध्यान पहले से और ज्यादा रखने की आवश्यकता है। इसलिए नीचे बताई गई इन बातों का ध्यान रखें-

    • कोरोना से बचाव के लिए हाइजीन मेंटेन करना बहुत जरूरी है। इसलिए, हाथों को समय-समय पर साबुन से धुलें।
    • लोगों से मिलते समय दो गज की दूरी बनाएं।
    • आंख, नाक और मुंह को बार-बार छूने से बचें और जब जरूरी हो तो हाथ धुलकर ही चेहरा छुएं।
    • खासते या छींकते समय ड्रॉप्लेट्स किसी और तक पहुंचे इसके लिए हैंकी या टिशू का इस्तेमाल जरूर करें।
    • अगर बाहर जा रहे हों तो एल्कोहॉल बेस्ड सैनिटाइजर को साथ रखें और समय-समय पर हाथों को सैनिटाइज करते रहें।
    • डिस्पोजल मास्क को एक बार से ज्यादा इस्तेमाल न करें। इस्तेमाल करने के बाद इसे बंद डस्टबिन में फेंक दें।

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    यह भी ध्यान रहे

    कोविड-19 को खत्म करने और उससे बचाव के लिए सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने के साथ साफ-सफाई पर बहुत ध्यान देना होगा। इसके अलावा, अफवाहों पर गौर न करें सिर्फ सरकार या हेल्थ एक्सपर्ट द्वारा दी गई जानकारी पर ही विश्वास करें।

    हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो तो आप अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें।

    डिस्क्लेमर

    हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

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