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कुत्ते की ट्रेनिंग में लॉकडाउन का बुरा असर
इस लॉकडाउन का एक बुरा असर यह है कि, आप कुत्ते को सोशलाइज होना नहीं सीखा सकते। सोशलाइजेशन का मतलब है कि, लोगों के साथ अपने कुत्ते को व्यवहार करने का तरीका सीखाना। चूंकि, कुछ समय के लिए पार्टी और बाहर जाना बंद है, इसलिए आपको उसे बाहरी लोगों के साथ सहज बनाने के लिए लॉकडाउन के खुलने का इंतजार करना होगा। सोशलाइजेशन का मतलब यह भी है कि, आप अपने कुत्ते को विभिन्न आवाज और अनुभवों की आदत डालते हैं। आप घर में ही विभिन्न तरह की आवाज चला सकते हैं, जैसे- तेज ट्रैफिक की आवाज, एंबुलेंस साइरन, ट्रक और बस की आवाज, कंस्ट्रक्शन साइट की आवाज आदि। घर में हेयर ड्रायर और वैक्यूम क्लीनर को चालू करके अपने कुत्ते की प्रतिक्रिया देखें। शुरुआत में हो सकता है वह डर जाए, लेकिन धीरे-धीरे वह इस वातावरण का आदि हो जाएगा।
शुरुआती 6 महीने जरूरी
शुरुआती 6 महीने पपी की जिंदगी का काफी अहम समय होता है, अगर इस दौरान उसे इन अनुभवों से वाकिफ नहीं करवाया गया, तो आगे चलकर वह इन आवाजों से डर सकता है। उदाहरण के लिए, अगर आपके पपी ने कभी स्कार्फ पहने हुई महिला नहीं देखी, तो वह ऐसी महिला दिखने पर काफी असहज हो सकता है। इसलिए, थोड़ा क्रिएटिव रहें और विभिन्न कपड़े या अन्य सामान पहनें।
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इसके अलावा, शुरुआती कुछ महीने पपी की जिंदगी में सोशल होने में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस दौरान आप उसे एक अच्छे व्यवहार वाले बड़े कुत्ते के साथ समय बिताने का मौका दें। हालांकि, यह लॉकडाउन में संभव नहीं है, अगर आपके यहां पहले से कोई कुत्ता नहीं है। इसलिए, जल्दबाजी न करें और लॉकडाउन के खुलने का इंतजार करें।