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लॉकडाउन में दोस्ती पर क्या पड़ा है असर? कोई रूठा तो कोई आया पास

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Surender aggarwal द्वारा लिखित · अपडेटेड 15/03/2021

    लॉकडाउन में दोस्ती पर क्या पड़ा है असर? कोई रूठा तो कोई आया पास

    कोरोना वायरस के कारण दुनिया, देश, लोग और उनकी जिंदगियां काफी हद तक प्रभावित हुई हैं। कई लोगों ने अपने करीबियों को खोया है, कई लोगों की आर्थिक स्थिति कमजोर हो गई है। यह ऐसे पहलू हैं, जिनपर कोविड-19 की वजह से होने वाले लॉकडाउन से काफी असर देखने को मिला है। लेकिन, इन सभी पहलुओं के अलावा, लोगों की दोस्ती पर भी लॉकडाउन और कोरोना वायरस का प्रभाव देखने को मिला है। इस दौरान किसी बात के कारण कुछ दोस्तों की दोस्ती मजबूत हुई, तो किसी की दोस्ती को नजर लग गई। आइए, जानते हैं कि लॉकडाउन में दोस्ती पर कैसा प्रभाव पड़ता नजर आया।

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    लॉकडाउन में दोस्ती को भी करनी पड़ेगी सोशल डिस्टेंसिंग

    कोविड-19 वायरस को रोकने के लिए पूरे भारत में सोशल डिस्टेंसिंग को फॉलो करने का ऐलान कर रखा है। जहां, लोग अपने दोस्तों से रोज शाम को गली के नुक्कड़ पर, किसी पनवाड़ी की दुकान पर या फिर किसी के घर में मिलते थे, वो अब कई दिनों से एक-दूसरे के साथ बैठकर गप्पे नहीं लड़ा पाए हैं। सोशल डिस्टेंसिंग की वजह से दोस्तों में भी फासला देखने को मिल रहा है। इस महामारी की वजह से लोगों में अकेलापन, तनाव, उदासी ने घर कर लिया है और इन सभी चीजों से राहत पाने के लिए लोगों से और खासकर दोस्तों से मिलना काफी प्रभावशाली साबित होता है। लेकिन, अभी लॉकडाउन में दोस्ती पर सोशल डिस्टेंसिंग के असर की वजह से यह मिलन थोड़ा बाधित हो गया है।

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    लॉकडाउन में दोस्ती- दोस्तों के बीच हुआ मनमुटाव

    लॉकडाउन में दोस्ती को लेकर कई दोस्तों के बीच मनमुटाव के भी किस्से सुनने को मिले, जिसके पीछे की वजह कोरोना वायरस और उसका डर रहा। कुछ चार रोहन, कपिल, आर्यन और आदित्य (बदले हुए नाम) ने अपने साथ बीती कहानी बताई। जिसमें दिल्ली के रहने वाले यह चार दोस्त एक ही गली में रहते हैं और शाम को रोजाना मिल रहे थे। लेकिन, उनमें से आदित्य किसी कोरोना वायरस प्रभावित क्षेत्र में गया और बाकी दोस्तों ने उससे मिलना बंद कर दिया। ऐसे में आदित्य को इस बात का बुरा लगा कि, सिर्फ डर की वजह से उससे 10 साल पुराने दोस्तों ने मिलना छोड़ दिया। वहीं, बचे हुए दोस्तों ने बताया कि, “हम सिर्फ यही चाहते थे कि, वो कुछ दिन आइसोलेशन में बिताए। ताकि किसी भी खतरे की स्थिति में कोविड-19 को फैलने से रोका जा सके।” वहीं, आदित्य ने कहा कि, “मेरा वहां जाना जरूरी था और मैं पूरी सावधानी बरत कर गया था। हो सकता है बाकी लोग सही हों, लेकिन कहीं न कहीं इससे मुझे दुख जरूर हुआ।”

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    दोस्ती पर कोविड-19 का असर- पुराने दोस्तों से हुई बात

    ऐसा नहीं है कि कोरोना वायरस या लॉकडाउन से दोस्ती पर सिर्फ बुरा असर ही पड़ा है। मुंबई में रहने वाले तपस्वी जोशी ने बताया कि, ‘लॉकडाउन की वजह से मुझे काफी खाली टाइम मिला और जिन दोस्तों को मैं गांव, स्कूल और कॉलेज में छोड़ता आया था या यूं कहें कि समय की धूल में कई दोस्त पीछे छूटते जा रहे थे। उनका इस लॉकडाउन में मैंने रुककर इंतजार किया और मिला। मैंने अपने कई पुराने दोस्त, जिनसे रोजाना बात नहीं हो पाती थी, से वीडियो कॉल पर बात की। अपनी पुरानी बातों, किस्सों को याद किया और खूब अच्छा समय व्यतीत किया।’

    कोरोना वायरस के लक्षणों का डर दोस्ती पर हावी

    वहीं तपस्वी ने अपने साथ हुए एक बुरे किस्से के बारे में भी बताया कि, ‘कुछ दिनों पहले मुझे जुकाम हो गया था। जिसके पहले ही दिन मेरे रूममेट जो कि दोस्त भी हैं, मुझसे अस्पताल जाकर टेस्ट करवाने के लिए बोलने लगे। मैंने कहा कि, अभी शुरू हुआ है नॉर्मल होगा और मुझे जुकाम के अलावा कोई परेशानी नहीं है। लेकिन, वह नहीं माने और मेरे साथ खाना बंद कर दिया और बाकी भी कई तरह का सामान्य व्यवहार बंद कर दिया। इससे मुझे काफी बुरा लगा कि जो लोग रोजाना साथ बैठकर खाना खाते थे, आसपास मिलकर रहते थे, उन्होंने एकदम अचानक मेरे साथ ऐसा क्यों किया। इससे मुझे मानसिक स्तर पर काफी हानि हुई। मैं चिड़चिड़ा रहने लगा, गुस्सा आने लगा। लेकिन, जैसे ही जुकाम ठीक होने लगा तो वो दोस्त फिर से करीब आ गए।’

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    व्यक्तिगत जिम्मेदारी ही है एकमात्र उपाय

    कोरोना वायरस की वजह से कुछ लोग एक-दूसरे से दूर रहने को मजबूर हैं, तो कई लोग एक-दूसरे से बच भी रहे हैं। ऐसे में किसी को भी सही या गलत नहीं कहा जा सकता। जहां, लोग महामारी को हराने के लिए दूसरों को आइसोलेशन करने की सलाह दे रहे हैं या छूने से मना कर रहे हैं, वहीं कुछ लोगों को अपने करीबियों से इस तरह का व्यवहार मिलने के बाद बुरा भी लग रहा है। लेकिन, इसकी जगह हम सभी को अपनी व्यक्तिगत जिम्मेदारी समझनी चाहिए और सोशल डिस्टेंसिंग व लॉकडाउन के नियमों का सख्ती से पालन करना चाहिए। वरना, शायद लंबे समय तक हमें इस महामारी का दंश झेलना पड़ेगा। अगर आपको किसी कोरोना प्रभावित जगह जाना या आपमें ऐसे कुछ लक्षण दिख रहे हैं, तो तुरंत खुद को आइसोलेट कर लें। जिससे यह बीमारी अगर आपको होगी भी, तो भी दूसरों यानी कि आपके अपनों तक नहीं पहुंचेगी।

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    कोरोना वायरस इंफोर्मेशन (latest news on corona)

    वर्ल्ड ओ मीटर वेबसाइट के मुताबिक 5 मई 2020 को सुबह 10 बजे तक दुनियाभर में कोरोना वायरस से बीमार मरीजों की कुल संख्या 36,46,211 हो गई है और इस खतरनाक बीमारी से जान गंवाने वालों की संख्या 2,52,407 हो गई है। दुनियाभर में कोरोना वायरस से ठीक होने वाले लोगों की संख्या 12,00,171 पहुंच गई है।

    भारत में कोरोना वायरस के आंकड़े (How many cases of coronavirus in India?)

    भारत के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के मुताबिक 5 मई 2020 को सुबह 8 बजे तक देश में 32138 कोविड-19 इंफेक्शन से संक्रमित मरीजों की पहचान कर ली गई है। जिसमें से 12726 का इलाज करने के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है, वहीं 1568 लोगों की जान जा चुकी है। मंत्रालय की वेबसाइट के मुताबिक भारत में संक्रमित मरीजों की सबसे ज्यादा संख्या महाराष्ट्र में हो गई है, जहां 14541 मामले दर्ज किए जा चुके हैं। इसके बाद गुजरात 5804 मामले और दिल्ली 4898 केस का नंबर आता है।

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