सीटीआरआई में हुए रिसर्च रजिस्ट्रेशन के अनुसार कोवैक्सीन अभीतक फेज 1 और फेज 2 से हो कर गुजरा है। जिसके बाद अब फेज 3 के ट्रायल के लिए बात की गई है। आइए जानते हैं कि किस फेज में क्या हुआ है :
फेज 1
फेज 1 में ट्रायल के लिए 375 हेल्दी वॉलंटियर्स को शामिल किया गया। जिन्हें तीन ग्रुप में बांटा गया।
ग्रुप 1
जिसमें 125 सब्जेक्ट को शामिल किया गया और उन्हें BBV152A और कंट्रोल वैक्सीन का दो इंट्रामस्क्यूलर डोज 7 दिनों के अंतराल पर दिया गया।
ग्रुप 2
ग्रुप 2 में भी 125 सब्जेक्ट को शामिल किया गया और इन्हें भी BBV152B और कंट्रोल वैक्सीन की दो इंट्रामस्क्यूलर डोज 14 दिनों के अंतराल पर दिए गए।
ग्रुप 3
ग्रुप 3 के परीक्षण के लिए 125 सब्जेक्ट को भी डोजेस दिए गए। BBV152C और कंट्रोल वैक्सीन को 4:1 के अमुपात में दो इंट्रामस्क्यूलर डोज 14 दिनों के अंतराल पर दिए गए।
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तीनों ग्रुपों को 7 से 28 दिनों के अंतराल पर सुरक्षा और इम्यून सिस्टम इम्प्रूवमेंट के आधार पर देखा गया। जिसका मॉनिटरिंग डाटा सेफ्टी मॉनिटरिंग बोर्ड (DSMB) कर रही है। फेज 1 एक एनिमन ट्रायल था, जिसमें इम्यूनिटी को बूस्ट होते पाया गया इसके बाद ये ट्रायल फेज 2 की ओर बढ़ा।
फेज 2
फेज 2 में की जा रही स्टडी में 750 स्वस्थ्य वॉलंटियर्स को शामिल किया गया। जिनकी उम्र 12 से 65 वर्ष तक रखी गई। इसमें कोवैक्सीन को 0 से 14 दिनों के बीच में फेज 1 के आधार पर ही दिया गया। लेकिन ये ग्रुप के आधार पर नहीं, बल्कि रैंडम तरीके से वैक्सीनेशन किया गया। जिसके बाद आए रिजल्ट के आधार पर अब इसे फेज 3 के ट्रायल के लिए मंजूरी का बात की जा रही है। लेकिन सवाल अभी भी यही है कि इतनी जल्दी कोरोना वैक्सीन तैयार करना कही भारी ना पड़ जाए।
फिलहाल जब तक वैक्सीन नहीं बन जाती है, तब तक कोरोना से बचने के सभी नियमों को अपनना बहुत जरूरी है। क्योंकि अभी कोरोना से बचाव ही कोरोना का एकमात्र इलाज है। हैलो स्वास्थ्य कोरोना वैक्सीन को लेकर कोई मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। इस आर्टिकल में बताई गई जानकारियां मीडिया और आईसीएमआर के दावों के आधार पर है। अधिक जानकारी के लिए आप अपने डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।