हालांकि, बलराम भार्गव के इस दावे के बाद हंगामा मच गया है। बहुत सारे वैज्ञानिकों का मानना है कि इतने कम समय में ट्रायल कर के वैक्सीन को लॉन्च करना किसी खतरे से कम नहीं है। इसलिए ज्यादातर वैज्ञानिकों का यही मानना है कि जल्दबाजी ना कर के हमें वैक्सीन को पूरी तरह से सुरक्षित बनाना चाहिए।
उधर कस्तूरबा मेडिकल कॉलेज, मणिपाल के फोरेंसिक मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर अनंत भान ने कोवैक्सीन को लेकर शंका जताई है। अनंत भान ने ट्वीट कर के कहा है कि उनकी जानकारी में किसी भी तरह के वैक्सीन एक समय सीमा होती है। जिसका ट्रायल आराम से वक्त लेकर किया जाता है। लेकिन आईसीएमआर काफी तेजी दिखा रही है। विदेशों में भी ऐसा नहीं होता है। अनंत का दावा है कि ये वैक्सीन अभी शुरुआती दौर के ट्रायल में है, इसलिए अभी 15 अगस्त तक इसे लॉन्च करना काफी जल्दबाजी होगी।
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7 जुलाई तक अभी पूरी होंगी वैक्सीन के ट्रायल की फॉर्मैलिटीज
कोवैक्सीन या BBV152 वैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल के लिए 12 हॉस्पिटल्स को चुनने के बाद अब 7 जुलाई, 2020 तक वैक्सीन के ट्रायल के लिए की जाने वाली औपचारिक्ताएं पूरी करने का निर्देश आईसीएमआर के डायरेक्टर जनरल ने दिया है। उन्होंने बताया है कि चिट्ठी जारी करने के पीछे हमारा मकसद वैक्सीन के निर्माण और उनके परीक्षण में तेजी लाना है। इस उद्देश्य से हम सभी हॉस्पिटल से आग्रह कर रहे हैं कि इस वैक्सीन के ट्रायल में तेजी दिखाएं। जिससे हम 15 अगस्त के अंदर कोवैक्सीन के परिणाम के आधार पर इसे सभी के लिए लॉन्च कर सके।
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कैसे हुआ है कोवैक्सीन का परीक्षण?