उदाहरण के तौर पर, फ्लू के मौसम में फ्लू होने कारणों के बारे में जानना बहुत मुश्किल है। तापमान या बारिश या घर के अंदर रहने पर भी फ्लू प्रभावित कर सकता है। वहीं, मॉनसून में सूरज की रोशनी ना मिलना और लोगों में विटामिन डी के स्तर में कमी जैसे कारणों को भी फ्लू के फैलने की वजह मानी गई हैं। अब अगर बात करें मॉनसून और कोरोना की तो यह बहुत स्पष्ट नहीं है कि कोरोना हवा से नहीं फैलता है। बल्कि सतहों से फैलता है, मॉनसून में सतहों पर नमी रहने के चलते कोरोना तेजी से फैल सकता है।
जहां तक बात रही मौसमी बीमारियों की तो अगर कोई भी व्यक्ति मौसमी बीमारियों से ग्रसित हो गया तो उसका इम्यून सिस्टम वैसे ही कमजोर हो गया है। ऐसे में कोरोना से ग्रसित होने के लिए उस व्यक्ति का कमजोर इम्यून सिस्टम जिम्मेदार होगा।
और पढ़ें : कोरोना वैक्सीन के लिए ह्यूमन चैलेंज ट्रायल को लेकर डब्ल्यूएचओ जारी करेगा नई गाइडलाइन
ह्यूमिडिटी और कोविड-19 के बीच में क्या संबंध है?
ह्यूमिडिटी और कोविड-19 के बीच एन्वायरमेंट फैक्टर जिम्मेदार होता है। कोई भी वायरल इंफेक्शन तीन फैक्टर पर निर्भक करता है- मनुष्य का व्यवहार, मौसम में बदलाव और खुद वायरस का गुण। जैसा कि हमें पता है कि कोविड-19 रेस्पायरेटरी समस्या है, इसके लक्षण देखने में बिल्कुल इंफ्लूएंजा फ्लू की तरह होते हैं। कुछ अध्ययनों के अनुसार इंफ्लूएंजा और SARS वायरस कम तापमान और ह्यूमिडिटी में तेजी से फैलते हैं।
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी बॉम्बे के द्वारा की गई एक स्टडी में ये बात सामने आई है कि मॉनसून और कोरोना इस समय अपने चरम पर हो सकते हैं। कहने का मतलब ये है कि ह्यूमिड मौसम के दौरान मॉनसून में कोरोना काफी तेजी से फैल सकता है। अध्ययन में इस बात पर जोर दिया गया कि कोविड-19 के मरीज के द्वारा छींकने या खांसने पर किसी भी सतह पर कोरोना वायरस का जीवन कितना है। इसी तरह का एक अध्ययन को अमेरिकन इंस्टीच्यूट ऑफ फिजिक्स ने जर्नल पब्लिश किया। जिसमें ये बात दर्शायी गई कि गर्म और शुष्क मौसम में कोविड-19 से इंफेक्टेड ड्रॉपलेट्स वाष्पित हो कर उड़ जाते हैं। ऐसे में जब नमी वाला मौसम आता है तो ड्रॉपलेट की लाइफ ज्यादा हो जाती है और वह तेजी से फैल सकते हैं।
कुछ अन्य अध्ययनों में ये बात सामने आई है कि मॉनसून और कोरोना वायरस का सीधा संबंध आद्रता से हैं। जब नमी ज्यादा होती है तो कोरोना वायरस किसी भी सतह पर ज्यादा समय तक जिंदा रह सकता है।
और पढ़ें : जाने क्यों कोरोना के इलाज के लिए एजिथ्रोमाइसिन (azithromycin) हो सकती है प्रभावी?