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सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है कोरोना का इलाज, सतर्क रहें इस फर्जी प्रिस्क्रिप्शन से

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Shikha Patel द्वारा लिखित · अपडेटेड 20/05/2021

    सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है कोरोना का इलाज, सतर्क रहें इस फर्जी प्रिस्क्रिप्शन से

    देश और दुनियाभर में बढ़ते कोरोना संक्रमण के मामलों के बीच में कोविड-19 के इलाज को हर दिन कोई न कोई नए-नए दावे करता रहता है। इसी बीच ऐसा ही एक मामला सोशल मीडिया चैनल्स पर खूब वायरल हो रहा है। दिल्ली के मशहूर सर गंगाराम हॉस्पिटल के नाम से एक कोरोना वायरस वायरल प्रिस्क्रिप्शन सोशल मीडिया पर बहुत शेयर किया जा रहा है। हालांकि, अस्पताल ने एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि यह कोरोना वायरल प्रिस्क्रिप्शन “नकली’ है। वायरल पर्चा क्या है, कितना सही या कितना गलत जानते हैं, इसके बारे में सब कुछ-

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    कोरोना वायरस का वायरल प्रिस्क्रिप्शन : क्या है पूरा मामला

    श्री गंगा राम अस्पताल के वरिष्ठ सलाहकार (Sri Ganga Ram Hospital’s Senior Consultant) डॉ. राज कमल अग्रवाल के लेटरहेड पर एक नकली पर्चे को कोरोना के इलाज के तौर पर खूब साझा किया जा रहा है। आपकी जानकारी के लिए बता दें इसमें लिखा है कि डॉक्टर ने कोविड-19 (COVID-19) रोगियों के लिए “होम आइसोलेशन (home isolation)’ की सिफारिश की है। इसके साथ ही हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन दवा (Hydroxychloroquine), क्रोसीन (Crocin) और सीट्रीजिन (Cetrizine) जैसी दवाओं को लेने की भी सलाह दी है। कोरोना वायरस वायरल प्रिस्क्रिप्शन में कोविड-19 के उपचार में सप्ताह में एक बार हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन लेने के लिए कहा जा रहा है। यह एक एंटी-मलेरियल ड्रग है जिस पर ट्रायल चल रहा है। कोरोना के इलाज के लिए वायरल हुए इस पर्चे में संक्रमित रोगियों को अन्य दवाओं में विटामिन सी टेबलेट्स, जिंक टेबलेट्स, सिट्रीजिन लेना चाहिए। यह भी सलाह दी गई है।

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    हॉस्पिटल ने खारिज किया कोरोना वायरस  के वायरल पर्चे का सच

    अस्पताल ने इस पर्चे को फर्जी बताया है। सर गंगा राम अस्पताल के आधिकारिक ट्विटर हैंडल ने वायरल पर्चे की फोटो को शेयर करते हुए स्पष्ट किया कि यह “नकली’ है। इसके अलावा अस्पताल के निदेशक ने भी यह भी स्पष्ट किया कि किसी ने डॉ. अग्रवाल के प्रिस्क्रिप्शन पैड का दुरुपयोग किया है। साथ में यह भी कहा कि कोविड-19 से पीड़ित रोगियों को केवल डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाएं ही लेनी चाहिए।

    कोरोना वायरस फेक प्रिस्क्रिप्शन

    आगे कहा कि “सार्वजनिक हित में, यह तुरंत सूचित किया जाता है कि ये सभी दवाएं केवल डॉक्टरों के पर्चे पर कोविड-19 से पीड़ित रोगी को दी जा सकती हैं क्योंकि कुछ रोगियों में ये दवाएं हार्ट, किडनी, आंखों आदि से संबंधित गंभीर दुष्प्रभाव पैदा कर सकती हैं। किसी को भी खुद से ही इन दवाओं को नहीं लेना चाहिए।’

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    कोरोना वायरस फेक प्रिस्किप्शन पर लिखी दवाओं के बारे में

    कोरोना वायरस वायरल प्रिस्क्रिप्शन में जिन दवाओं की “सिफारिश” की गई है उनमें एचसीक्यू, जिंक टैबलेट, विटामिन सी, क्रोसीन शामिल हैं। इन दवाओं के बारे में हम यहां जानते हैं:

    हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन

    टॉप मेडिकल बॉडीज द्वारा ‘दवा का कोई बड़ा दुष्प्रभाव नहीं है’ ऐसा कहे जाने के बाद आईसीएमआर ने हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन को प्रोफिलैक्सिस के रूप में और इलाज के लिए जारी रखा है। हालांकि, पहले डब्ल्यूएचओ (WHO) ने दवा के उपयोग के खिलाफ सिफारिश की थी।

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    विटामिन सी और जिंक

    जिंक और विटामिन-सी इम्युनिटी को मजबूत करने के लिए जाने जाते हैं। लेकिन, ये नोवल कोरोना वायरस (novel corona virus) के लिए एक निश्चित इलाज नहीं हैं। एक फेमस वेबसाइट में छपे दिल्ली एनसीआर के मशहूर क्रिटिकल केयर स्पेशलिस्ट डॉ. सुमित रे के अनुसार “विटामिन सी और जिंक में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। लेकिन यह कोरोना के उपचार के रूप में क्लीनिकल ट्रायल में अभी साबित नहीं हुआ है।

    कोरोना वायरस फेक प्रिस्किप्शन : इन भ्रामक जानकारियों से बचें

    कोरोना वायरस फेक प्रिस्क्रिप्शन के अलावा और भी कई ऐसी खबरें सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई थी जिनमें कोरोना के इलाज की बात कही गई थी। एक वायरल पोस्ट में गुनगुने पानी में नमक मिलाकर दिन में दो बार गरारा करने की सलाह दी गई थी। इस सोशल मीडिया पोस्ट को करोड़ों लोगों ने फेसबुक, वाट्सएप्प, इंस्टा पर खूब शेयर किया था। वहीं, गिलोय के पत्तों को पीसकर खाली पेट पीने से कोरोना का इलाज (corona treatement) होता है। ऐसी कोरोना वायरस फेक न्यूज (corona virus fake news) ने भी लोगों को खूब भ्रमित किया था।

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    कोरोना वायरस फेक न्यूज

    कुछ दिन पहले सोशल मीडिया पर एक किताब की पिक्चर भी खूब वायरल हुई जिसमें यह दावा किया गया था कोरोना वायरस की दवा मिल गई है। किताब में कोरोना संक्रमण के उपचार के लिए कुछ दवाइयों एंटीहिस्टेमीन और एस्प्रिन को लाभप्रद बताया गया था। कोरोना के होमियोपैथी इलाज भी खूब वायरल हुआ था। तो किसी ने कोरोना के इलाज के लिए एल्कोहॉल के सेवन की भी सलाह दे डाली।

    गौरतलब है कि कोरोना वायरस की अभी तक कोई वैक्सीन नहीं बनी है और न ही कोई दवा। ऐसे में यह कोविड-19 वायरल प्रिस्क्रिप्शन (covid-19 viral prescription) के साथ ही ये सारी खबरें सिर्फ भ्रम पैदा करने वाली ही हैं। अगर आपके पास कोरोना के इलाज से संबंधित कोई फोटो, मैसेज या वीडिया आता है तो उसको आगे फॉरवर्ड और शेयर करने से बचें। ऐसी कोरोना वायरस फेक न्यूज को सुनने और पढ़ने से बचें।

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    कोरोना फेक न्यूज से बचें और बरतें ये सावधानी

    कोरोना वायरल प्रिस्क्रिप्शन जैसी तमाम अफवाहों से बचना इस समय आपकी और फैमिली की सेफ्टी के लिए जरूरी है। ऐसे में बेहतर होगा कि गवर्नमेंट की ओर से या फिर ट्रस्टेड न्यूज चैनल से मिली जानकारी पर ही सिर्फ भरोसा करें।

    • हाथों को नियमित अंतराल पर साबुन में अच्छी तरह से धोएं।
    • आंख, मुंह और नाक को बेवजह न छूएं।
    • जब बहुत जरूरी हो तो ही बाहर जाएं, फालतू की भीड़ न लगाएं।
    • चेहरे पर मास्क लगाने से पहले हाथों को एल्कोहॉल बेस्ड हैंड सैनिटाइजर से रब करें या फिर हाथों को पहले अच्छी तरह से धोएं।
    • मास्क का उपयोग सही तरीके से करें।
    • डिस्पोजेबल मास्क का एक बार उपयोग करने के बाद दोबारा प्रयोग न करें।
    • इस्तेमाल के बाद मास्क को तुरंत एक बंद डस्टबिन में फेंक दें।
    • कोविड-19 के लक्षण (बुखार, खांसी या सांस लेने में समस्या) दिखें, तो जितनी जल्दी हो सके डॉक्टर से संपर्क करें।

    आपको बताए दें कि कोरोना के मरीजों की संख्या देशभर में तीन लाख से ऊपर पहुंच गई है। ऐसे में आपको कोरोना की फेक न्यूज को एकदम भी तबज्जो नहीं देनी चाहिए। कोरोना वायरस फेक प्रिस्किप्शन जैसी तमाम झूठी खबरों को साझा करने से बचें। साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग (social distancing) और पर्सनल हाइजीन का पूरा ख्याल रखें। खुद की सुरक्षा करें और दूसरों को भी सुरक्षित रखें।

    “हैलो स्वास्थ्य’ किसी भी तरह की मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो तो आप अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें।

    डिस्क्लेमर

    हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

    के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

    डॉ. प्रणाली पाटील

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