दिल्ली के डर्मटॉलॉजिस्ट डॉक्टर निवेदिता दादू का कहना है “सोरायसिस (Psoriasis) एक त्वचा संक्रमण है, जिसमें स्किन पर लाल व खुजलीदार दाने व रैशेज हो जाते हैं, जो कि आमतौर पर घुटनों, सिर की त्वचा, कोहनियों आदि जगहों पर होते हैं। त्वचा की यह समस्या आम है और क्रॉनिक ऑटोइम्यून कंडीशन है। हमारी त्वचा की कोशिकाएं स्किन के काफी अंदर विकसित होती हैं और धीरे-धीरे बाहरी त्वचा पर आती हैं और अंत में नष्ट हो जाती हैं, जिसमें सामान्यतः एक महीने का समय लगता है। लेकिन सोरायसिस से प्रभावित व्यक्ति में यह प्रक्रिया तेजी से होने लगती है और सेल्स उतनी तेजी से नष्ट न हो पाने के कारण उसकी बाहरी त्वचा पर कोशिकाएं इकट्ठा होने लगती हैं।”
इस समस्या को टाइप-2 डायबिटीज, इंफ्लेमेटरी बोवेल डिजीज, हार्ट डिजीज, सोरियाटिक अर्थराइटिस, एंजायटी और डिप्रेशन आदि समस्याओं से भी जोड़ा जाता है। यह छूने से नहीं फैलता है, इसलिए डरने की कोई जरूरत नहीं है। यह कई प्रकार की हो सकती है, जैसे-
यह इस चर्म रोग का सबसे आम प्रकार है, जो कि सोरायसिस से ग्रसित करीब 80 प्रतिशत लोगों में देखा जाता है। इसमें त्वचा पर लाल, सूजे हुआ और खुजली वाले पैच (रैशेज, चकत्ते, चिट्टे) हो जाते हैं, जिनपर सफेद-सिल्वर स्केल या प्लाक होते हैं। यह प्लाक कोहनी, घुटने या सिर की त्वचा पर मौजूद होते हैं।
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पस्ट्यूलर सोरायसिस वयस्कों में अधिक होता है। इसमें प्रभावित त्वचा में सफेद तरल पदार्थ या पस से भरे छाले हो जाते हैं। इसका मुख्य स्थान हथेली या पैर का तलवा हो सकता है, लेकिन यह अन्य शारीरिक अंगों को भी प्रभावित कर सकता है।
इंवर्स सोरायसिस में भी त्वचा पर लाल, जलन व खुजलीदार पैच होते हैं। लेकिन, इस प्रकार में यह पैच बगल, स्तनों के नीचे या जननांगों के पास होते हैं।
सोरायसिस इंफेक्शन का यह प्रकार काफी दुर्लभ होता है, लेकिन ज्यादा खतरनाक होता है। इसमें शरीर के ज्यादा हिस्से पर लाल, जलन करने वाले और खुजलीदार पैच विकसित हो जाते हैं। यह इंफेक्शन सनबर्न, कुछ दवाई शुरू करने या किसी प्रकार का सोरायसिस ट्रीटमेंट रोकने आदि के कारण होता है। इसे जल्द से जल्द ठीक करवाया जाता है।
इस प्रकार का सोरायसिस आमतौर पर बच्चों में होता है। जिसमें बच्चों की त्वचा के ऊपर गुलाबी रंग के पैच विकसित होने लगते हैं। जो कि आमतौर पर बॉडी, पैर और हाथों पर होता है।
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सोरायसिस के लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं, जैसे-
सोरायसिस के लक्षण हर मरीज में अलग-अलग हो सकते हैं और हो सकता है कि किसी में एक लक्षण दिखाई दे और दूसरे में दूसरा लक्षण। किसी व्यक्ति में यह पैच छोटे हो सकते हैं और किसी में बड़े। अधिकतर मरीजों में इस चर्मरोग के लक्षण बदलते रहते हैं और गंभीर होते जाते हैं। उचित जानकारी के लिए डॉक्टर से परामर्श लेना सही रहेगा।
सोरायसिस इंफेक्शन के पीछे की सटीक वजह का अभी पता नहीं चल पाया है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह कई चीजों के मिलने के कारण हो सकता है। इसमें से इम्यून सिस्टम और जेनेटिक कारण मुख्य हैं। सोरायसिस इंफेक्शन में इम्यून सिस्टम से उत्पादित होने वाली ब्लड सेल्स, जिसे टी-सेल्स भी कहा जाता है, गलती से स्वस्थ स्किन सेल्स पर हमला करने लगती है, जिस कारण यह ऑटोइम्यून कंडीशन विकसित हो जाती है। इसके अलावा, कुछ लोगों में यह जेनेटिक जीन के कारण हो सकता है, जो कि उन्हें अपने माता-पिता या परिवार में से किसी से मिलते हैं।
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इस चर्मरोग की जांच करने के लिए डॉक्टर द्वारा मुख्यतः दो तरीके इस्तेमाल किए जाते हैं। जैसे-
अधिकतर बार डॉक्टर सिर्फ शारीरिक जांच के जरिए सोरायसिस का पता लगा लेते हैं। जिसमें मुख्यतः इसके लक्षणों को देखा जाता है, क्योंकि इसके लक्षण आसानी से पहचाने जा सकते हैं और दूसरी स्थितियों से काफी अलग होते हैं। इसमें निम्नलिखित जगहों पर पैच या स्कैल्प का पता लगाया जाता है। जैसे-
अगर सोरायसिस के लक्षणों के जरिए इसका पता नहीं लगाया जाता, तो इसके लिए बायोप्सी की जा सकती है, जो कि लैब टेस्ट होता है। इसमें आपकी त्वचा से एक सैंपल लिया जाता है और लैब में माइक्रोस्कॉप के नीचे सोरायसिस की जांच की जाती है। इससे त्वचा के अन्य संक्रमणों या डिसऑर्डर के होने की आशंका भी खत्म हो जाती है।
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सोरायसिस इंफेक्शन कुछ चीजों से बढ़ सकता है या गंभीर रूप ले सकता है। इसे रोकने के लिए आप उन चीजों या स्थितियों से दूरी बना सकते हैं। जैसे-
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सोरायसिस का कोई सटीक उपचार नहीं है। हालांकि इसे निम्नलिखित ट्रीटमेंट के द्वारा नियंत्रित किया जाता है। जैसे-
सोरायसिस (Psoriasis) की परेशानी को दूर करने के लिए निम्नलिखित घरेलू उपाय अपनाये जा सकते हैं। जैसे:
फिटकरी- अगर आपको सोरायसिस की समस्या है, तो आप नहाने के पानी में फिटकरी को मिलाएं और उस पानी से स्नान करें। ऐसा करने से सोरायसिस की वजह से स्किन पर होने वाली ड्रायनेस और खुजली की परेशानी दूर हो सकती है।
एलोवेरा- एलोवेरा के औषधीय गुणों से हमसभी परिचित हैं। एलोवेरा से त्वचा पर निखार, बालों में चमक के साथ-साथ संपूर्ण स्वास्थ्य को सेहतमंद रखने में मदद मिलती है। वहीं रिसर्च के अनुसार सोरायसिस की तकलीफ को भी दूर करने में एलोवेरा काफी सहायक है। सोरायसिस वाली त्वचा पर फ्रेश एलोवेरा जेल से मसाज करने से लाभ मिल सकता है।
हल्दी और गुलाब- त्वचा पर निखार लाने के लिए हल्दी और गुलाब से बने फेस पैक का इस्तेमाल तो हमसभी करते हैं, लेकिन आयुर्वेद के अनुसार हल्दी और गुलाब से बने पैक को सोरायसिस वाले जगहों पर लगाने से लाभ मिल सकता है।
अगर आप सोरायसिस (Psoriasis) से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं, तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा।
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