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पुरुषों के शरीर में अंडकोश के अंदर पेनिस के नीचे मौजूद ढीले बैग जैसी मौजूद त्वचा को टेस्टिकल (वृषण) कहते हैं। टेस्टिकल मेल हार्मोन टेस्टोस्टेरोन और स्पर्म का उत्पादन करते हैं। जब यहां कोशिकाओं का अनियंत्रित विकास होने लगता है तो इसे टेस्टिकुलर कैंसर कहते हैं। टेस्टिकुलर कैंसर बहुत ही दुर्लभ है, लेकिन अच्छी बात है कि जल्दी पता लगने पर इसका इलाज संभव है। लेकिन इलाज कैसे किया जाएगा और मरीज इलाज पर कैसी प्रतिक्रिया देता है यह कैंसर सेल के प्रकार और कैंसर कितना फैला है इस बात पर निर्भर करता है। टेस्टिकुलर कैंसर आमतौर पर जर्म सेल्स में बदलाव के साथ शुरू होता है। यह सेल्स टेस्टिकल में मौजूद होते हैं और स्पर्म का उत्पादन करते हैं। टेस्टिकुलर कैंसर के 90 प्रतिशत मामलों के लिए यह जर्म सेल ट्यूमर जिम्मेदार होता है। टेस्टिकुलर कैंसर (Testicular Cancer) या वृषण (अंडकोष) कैंसर के लक्षणों की जल्दी पहचान और सेल्फ एग्जामिनेशन के बारे में जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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अधिकांश टेस्टिकुलर कैंसर या वृषण (अंडकोष) कैंसर जर्म सेल्स के साथ शुरू होते हैं। ये सेल्स टेस्टिकल में मौजूद होते हैं और अपरिपक्व स्पर्म का उत्पादन करते हैं। डॉक्टर इस बारे में स्पष्ट रूप से कुछ नहीं बता पाते कि आखिर क्यों टेस्टिकुलर सेल कैंसरस बन जाता है, लेकिन कुछ जेनेटिक कारण इसके खतरे को बढ़ा देते हैं।
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टेस्टिकुलर कैंसर या वृषण (अंडकोष) कैंसर के लक्षण कई बार शुरुआती तौर पर दिखने लगते हैं और कई बार काफी देर तक नहीं दिखते हैं। टेस्टिकुलर कैंसर के शुरुआती लक्षणों के आधार पर जांच करने पर यदि कैंसर का पता चल जाता है तो जल्द इलाज किया जा सकता है। शुरुआती लक्षणों में शामिल हैः
अन्य लक्षणों में शामिल हैः
कुछ मामलों में पुरुष खुद ही टेस्टिकुलर कैंसर का निदान गांठ के सेल्फ एग्जामिनेशन से कर लेते हैं। अन्य मामलों में रूटीन चेकअप के दौरान डॉक्टर गांठ देखता है और इसकी जांच करता है। जांच के लिए वह निम्न तरीके अपना सकता हैः
अल्ट्रासाउंड- टेस्टिकुलर अल्ट्रासाउंड या वृषण (अंडकोष) कैंसर में ध्वनि तरंगों के इस्तेमाल से अंडकोष और टेस्टिकल की छवि बनाई जाती है। टेस्ट के दौरान आपको पीठ के बल सुलाकर डॉक्टर आपको पैर फैलाने के लिए कहता है। इसके बाद डॉक्टर आपके अंडकोष में क्लियर जेल लगाता है। फिर एक उपकरण की मदद से अल्ट्रासाउंड इमेज बनती है। अल्ट्रासाउंड की मदद से डॉक्टर को इस बात का पता लगाने में मदद मिलती है कि गांठ कैंसरस है या नहीं।
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ब्लड टेस्ट- आपके ब्लड में ट्यूमर मार्क की मात्रा मापने के लिए डॉक्टर ब्लड टेस्ट की सलाह देता है। ट्यूमर मार्कर एक ऐसा पदार्थ है जो रक्त में सामान्य रूप से पाया जाता है, लेकिन कुछ स्थितियों में इसकी मात्रा बढ़ जाती है, जो टेस्टिकुलर कैंसर का संकेत हो सकता है। ट्यूमर मार्कर की अधिक मात्रा का मतलब हमेशा कैंसर नहीं होता, लेकिन यह डॉक्टर को जांच में मदद करता है।
वृषण कैंसर का इलाज संभव है। वृषण कैंसर को रेयर कैंसर भी माना जाता है। यानी ये कैंसर कम ही लोगों में देखने को मिलता है। अगर सही समय पर ट्रीटमेंट करा लिया जाए तो कैंसर के खतरे को कम किया जा सकता है। ये कहना गलत नहीं होगा कि कैंसर का इलाज सही समय पर कराने से ट्रीटमेंट का सक्सेस रेट बढ़ जाता है। अंडकोष में गांठ का उपचार कराने के लिए आप विशेषज्ञ से जानकारी ले सकते हैं। साथ ही टेस्टिस में दर्द, कैंसर में गांठ की पहचान आदि के बारे में भी जानकारी जरूर लें।
कैंसर किस स्टेज का है इसके आधार पर इसका इलाज किया जाता है। इलाज के विकल्प में शामिल हैः
सर्जरी
सर्जरी से आपके दोनों टेस्टिकल और उसके आसपास के कुछ लिम्फ नोड्स को हटाकर कैंसर का इलाज किया जाता है।
रेडिएशन थेरिपी
इस थेरेपी में हाई एनर्जी किरणों के इस्तेमाल के जरिए कैंसर सेल्स को मारा जाता है। कई बार सेमिनोमा टेस्टिकुलर कैंसर के इलाज के लिए रेडिएशन थेरेपी का इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा टेस्टिकल हटाने वाली सर्जरी के बाद भी रेडिएशन थेरेपी की सलाह दी जाती है।
रेडिएशन थेरेपी के कुछ साइड इफेक्ट भी होते हैं जैसे मितली, थकान, त्वचा का लाल होना और पेट और ग्रोइन एरिया में इरिटेशन। इसकी वजह से कुछ समय के लिए पुरुषों में स्पर्म का निर्माण नहीं होता और यह उनकी फर्टिलिटी को प्रभावित करता है। ऐसे में स्पर्म प्रिजर्व करने के विकल्प के लिए अपने डॉक्टर से बात करें।
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कीमोथेरेपी ट्रीटमेंट कैंसर का सिस्टमेटिक उपचार है इसमें दवाओं के जरिए कैंसर सेल को मारा जाता है। यानी इसमें आपके शरीर में फैलने वाली कैंसर कोशिकाओं को मारा जाता है। मौखिक रूप से लेने या वेन्स (नस) के जरिए लेने पर यह रक्त में फैलकर पूरे शरीर में घूमता है और कैंसर सेल्स को मारता है।
टेस्टिकुलर कैंसर के एडवांस केस में कीमोथेरेपी की हाई डोज के साथ ही स्टेल सेल ट्रांस्प्लांट किया जाता है। जब कीमोथेरेपी कैंसर सेल्स को खत्म कर देती है तो स्टेम सेल्स हेल्दी ब्लड सेल्स में विकसित होते हैं।
लिम्फ नोड सर्जरी
यदि कैंसर लिम्फ नोड तक पहुंच जाता है, तो कैंसर के इलाज के लिए इसे सर्जरी के जरिए हटाया जाता है। इसके लिए लैप्रोस्कोपी सर्जरी की जाती है। इस प्रक्रिया से आपकी फर्टिलिटी पर सीधा असर नहीं होता है, लेकिन किसी नर्व को क्षति पहुंचने पर इजेकुलेशन प्रभावित हो सकता है।
उपरोक्त दी गई जानकारी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। अगर आपको या वृषण (अंडकोष) कैंसर की समस्या है तो डॉक्टर की ओर से बताए गए ट्रीटमेंट को कराएं। साथ ही डॉक्टर की ओर से दी गई सलाह को माने। अगर आपको वृषण (अंडकोष) कैंसर के बारे में अधिक जानकारी चाहिए तो डॉक्टर से संपर्क करें। आप स्वास्थ्य संबंधी अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है, तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं और अन्य लोगों के साथ साझा कर सकते हैं।
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