टाइप 1 डायबिटीज (Type-1 Diabetes) से होनेवाले नुकसान कौन से हैं?
हमारी बॉडी में इंसुलिन अग्नाशय (पैंक्रियाज) में बनता है। इसी इंसुलिन की वजह से शुगर हमारे शरीर में स्टोर होता है। ह्यूमन बॉडी अपनी एनर्जी की जरूरत इससे पूरी करती है। जब इंसुलिन बनना बंद होता है तो यही शुगर ब्लड में फ्लो करती है। रोग प्रतिरोधी क्षमता (इम्यून सिस्टम) के लिए जरूरी व्हाइट ब्लड सेल्स और शरीर में ऑक्सीजन पहुंचा रहे रेड ब्लड सेल्स शुगर फ्लो होने की वजह से सही तरह से काम नहीं कर पाते। ऐसे में हमारा शरीर बीमारियों से लड़ने की अपनी क्षमता खोता जाता है। इस स्थिति में अगर किसी को छोटी-मोटी बीमारी भी हो, तो उसे उससे उबरने में काफी वक्त लगता है। इसके बढ़ जाने पर कोरोनरी आर्टिलरी डिजीज, हार्ट अटैक,स्ट्रोक, हाई ब्लड प्रेशर, नसों का क्षतिग्रस्त होना, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट में परेशानी से कब्ज, उल्टी-दस्त, पुरुषों में नपुंसकता, मोतियाबिंद, अंधापन, गर्भवतियों का मिसकैरेज या मृत बच्चा पैदा होना, जन्म के समय की विकृतियां, पैर की बीमारियां, चोटों का ठीक न होना, बैक्टीरियल और फंगल इन्फेक्शन, मसूड़ों के रोग होते हैं।
क्या टाइप 1 डायबिटीज रिवर्सल संभव है? (Type-1 Diabetes Reversal)
अभी टाइप 1 डायबिटीज (Type-1 Diabetes) का कोई इलाज नहीं है। रिसर्चर्स इस पर काम कर रहे हैं, लेकिन स्वस्थ जीवनशैली, स्वस्थ खान-पान और व्यायाम के जरिए इसे खत्म किया जा सकता है। डायबिटीज के शोध संस्थानों में टाइप 1 डायबिटीज रिवर्सल (Type-1 Diabetes Reversal) पर अनुसंधान चल रहे हैं। क्लीवलैंड क्लीनिक की एंडोक्राइनोलॉजिस्ट डॉ. संगीता कश्यप का कहना है कि टाइप 1 डायबिटीज के शुरुआती चरण यानी बीमारी का पता चलने के शुरुआती 3-5 साल के बीच अगर ब्लड में शुगर का लेवल बिना दवाओं के इस्तेमाल के सामान्य कर लिया जाए तो बीमारी को खत्म किया जा सकता है। आप अपने डॉक्टर और न्यूट्रिशियन की सलाह मानें, वजन घटाने की कोशिश करें। स्कॉटलैंड की ग्लास्गो यूनिवर्सिटी के अनुसंधानकर्ता भी यही मानते हैं।
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टाइप 1 डायबिटीज रिवर्सल (Type-1 Diabetes Reversal) दुर्लभ क्यों है?
स्कॉटलैंड की BMJ में एक रिसर्च रिपोर्ट पब्लिश की गई। इसके मुताबिक, करीब 15 किलो वजन घटाने से अक्सर डायबिटीज खत्म हो जाती है। हालांकि, मेडिकल रिकॉर्ड्स में इसे खत्म होने के तौर पर दर्ज नहीं किया जाता है। इसी पर एक और स्टडी अमेरिका में हुई। 1 लाख 20 हजार मधुमेह के मरीजों को 7 साल तक ट्रैक किया गया और इनमें एक फीसदी से भी कम लोगों में टाइप 1 डायबिटीज (Type-1 Diabetes) खत्म पाई गई। डॉ. संगीता कश्यप का कहना है कि अगर डाइटिंग, एक्सरसाइज या सर्जरी से वजन घटने के बाद ब्लड शुगर लेवल नॉर्मल होता है, तो भी ये ज्यादा दिन तक टिकता नहीं है। ब्लग शुगर लेवल फिर मधुमेह की स्थिति में पहुंच सकता है। कुछ लोग इसे बीमारी का खत्म होना नहीं मानते हैं, बल्कि इसे बीमारी का दब जाना कहते हैं।
इसमें ब्लड शुगर नॉर्मल हो जाती है, दवाओं और ट्रीटमेंट की जरूरत नहीं रहती है। चीजें अच्छी दिखती हैं, पर कोई नहीं जानता ऐसा कितने दिन तक रहेगा। 60% मधुमेह के मरीजों ने बैरिआट्रिक सर्जरी कराई और 15 साल के भीतर ही उनकी डायबिटीज वापस लौट आई। वे मरीजों से कहती हैं कि आपकी बीमारी छुट्टी पर है और वो उम्मीद करती हैं कि टाइप 1 डायबिटीज (Type-1 Diabetes) से हार्ट, किडनी, आंखों और नर्वस सिस्टम में होने वाली दिक्कतों की रफ्तार कम हो जाए।
अक्टूबर 2020 में न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में पब्लिश एक पेपर में, बायलर कॉलेज ऑफ मेडिसिन, टेक्सास चिल्ड्रन हॉस्पिटल और कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी, सैन फ्रांसिस्को के डॉक्टर्स की एक टीम ने टाइप 1 डायबिटीज (T1D) रोगी के एक केस के बारे में लिखा है, जिन्हें अब ऑप्टीमल ब्लड शुगर लेवल को बनाए रखने के लिए इंसुलिन की जरुरत नहीं रह गई। डॉ. लिसा आर. फोर्ब्स के मुताबिक – “जहाँ तक हम जानते हैं, यह टाइप 1 डायबिटीज रिवर्सल (Type-1 Diabetes Reversal) का पहला उदाहरण है। जिसमें मरीज ने इंसुलिन पर पूरी तरह निर्भरता को ख़त्म कर दिया। और हम उस संभावना से उत्साहित हैं जो यह टाइप 1 डायबिटीज रोगियों में टाइप 1 डायबिटीज रिवर्सल (Type-1 Diabetes Reversal) के लिए एक कारगर थेरेपी के रूप में काम आ सकती है।
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