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इंसुलिन सेंसिटिविटी: क्या जानते हैं आप इसके फायदों के बारे में?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. हेमाक्षी जत्तानी · डेंटिस्ट्री · Consultant Orthodontist


Nikhil deore द्वारा लिखित · अपडेटेड 25/11/2021

    इंसुलिन सेंसिटिविटी: क्या जानते हैं आप इसके फायदों के बारे में?

    इंसुलिन हमारे शरीर का जरूरी हॉर्मोन है, जिसे पैंक्रियाज द्वारा उत्पादित किया जाता है ताकि, ब्लड शुगर लेवल (Blood Sugar level) को रेगुलेट किया जा सके। यह हॉर्मोन खून से शुगर को स्टोर्ड ग्लूकोज के रूप में सेल्स में प्रभावी रूप से परिवर्तित करने में मदद करता है। लेकिन, जब शरीर के सेल्स इंसुलिन रेजिस्टेंट (Insulin resistant) हो जाते हैं तो वो प्रभावित रूप से इंसुलिन का प्रयोग नहीं कर पाते। इससे ब्लड शुगर लेवल बढ़ता है। ऐसे में अगर पैंक्रियास ब्लड शुगर लेवल में बढ़ोतरी महसूस कर लेते हैं, तो वो अधिक इंसुलिन का निर्माण करते हैं ताकि रेजिस्टेंस को ओवरकम किया जा सके और ब्लड शुगर फिर से हेल्दी रेंज तक पहुंचे। आज हम बात करने वाले हैं इंसुलिन सेंसिटिविटी (Insulin Sensitivity) के बारे में। लो इंसुलिन सेंसिटिविटी (Insulin Sensitivity) को ही इंसुलिन रेजिस्टेंस (Insulin Resistance) कहा जाता है। आइए जानें,  इसके बारे में विस्तार से:

    इंसुलिन सेंसिटिविटी (Insulin Sensitivity) क्या है?

    नेशनल इंस्टीटूट्स ऑफ हेल्थ (National Institutes of Health) के अनुसार हमारे शरीर में पैंक्रियाज सामान्य रूप से हॉर्मोन इंसुलिन बनाते हैं। जो सेल्स को ब्लड में से शुगर लेने का संकेत है। डायबिटीज के सबसे सामान्य प्रकार टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes) में कोशिकाएं इंसुलिन के प्रति अपनी संवेदनशीलता खो देती हैं। इंसुलिन के प्रति शरीर के सेल्स कितने सेंसिटिव हैं, इसे इंसुलिन सेंसिटिविटी (Insulin Sensitivity) कहा जाता है। हाय इंसुलिन सेंसिटिविटी (Insulin Sensitivity) शरीर के सेल्स को यह अनुमति देती है कि शरीर ब्लड ग्लूकोज को अधिक प्रभावी रूप से प्रयोग करें ताकि ब्लड शुगर कम हो सके। जीवनशैली और खाने पीने में बदलाव से भी सेंसिटिविटी में सुधारा जा सकता है।

    जैसा की आप जानते ही हैं कि लो इंसुलिन सेंसिटिविटी को इंसुलिन रेजिस्टेंस (Insulin Resistance) भी कहा जाता है। इसमें सेल्स अधिक ग्लूकोज को एब्जॉर्ब नहीं कर पाते हैं। जिसके कारण अधिक ब्लड शुगर लेवल में बढ़ोतरी को महसूस करते हैं। इसे मैनेज न कर पाने पर टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes) की समस्या बढ़ सकती है। हर व्यक्ति की इंसुलिन सेंसिटिविटी (Insulin Sensitivity) अलग होती है और विभिन्न जीवनशैली और आहार संबंधी कारकों के अनुसार बदल सकती है। जानिए इसके प्रभाव के बारे में।

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    इंसुलिन सेंसिटिविटी किस तरह से डायबिटीज के रोगी को करती है प्रभावित?

    लो इंसुलिन सेंसिटिविटी (Insulin Sensitivity) से पीड़ित लोगों को इंसुलिन रेजिस्टेंट (Insulin Resistant) भी कहा जा सकता है। लो इंसुलिन सेंसिटिविटी (Insulin Sensitivity) से पीड़ित लोगों के पैंक्रियास के इंसुलिन या ब्लड ग्लूकोज को सही रखने के लिए इंजेक्शन से अधिक मात्रा की जरूरत पड़ती है। इंसुलिन रेजिस्टेंस (Insulin Resistance) होना एक संकेत है कि आपके शरीर को ग्लूकोज के मेटाबॉलिज्म में कठिनाई हो रही है और इससे हाय ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure) और हाय कोलेस्ट्रॉल लेवल (High Cholesterol Level) जैसे जोखिम भी बढ़ सकते हैं। इसके विपरीत, इंसुलिन के प्रति विशेष रूप से अधिक सेंसिटिविटी होना टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 Diabetes) से पीड़ित लोगों, विशेष रूप से छोटे बच्चों के लिए भी समस्याभरा हो सकता है। जानिए इंसुलिन सेंसिटिविटी (Insulin Sensitivity) के महत्व के बारे में।

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    इंसुलिन सेंसिटिविटी क्यों महत्वपूर्ण है?

    लो इंसुलिन सेंसिटिविटी (Insulin Sensitivity) के कारण कई हेल्थ संबंधी समस्याएं हो सकती है। हमारा शरीर अधिक इंसुलिन का निर्माण कर के लो सेंसिटिविटी की क्षतिपूर्ति करने की कोशिश करता है। हालांकि, हाय लेवल की सर्कुलेटिंग इंसुलिन यानी हायपरइंसुलिनीमिया (Hyperinsulinemia ) को ब्लड वेसल के डैमेज होने (Damaged Blood Vessel), हाय ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure), हार्ट डिजीज (Heart Disease), हार्ट फेलियर (Heart Failure), मोटापा (Obesity) और यहां तक की कैंसर (Cancer) के साथ भी जोड़ा जाता है। तनाव और कोई बीमारी या दोनों के कारण भी इंसुलिन सेंसिटिविटी (Insulin Sensitivity) कम हो सकती है। इसलिए, इसे बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। अब जानिए हाय इंसुलिन सेंसिटिविटी के बारे में।

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    हाय इंसुलिन सेंसिटिविटी समस्या का कारण हो सकती है?

    आम भाषा में कहा जाए तो इंसुलिन के प्रति सही सेंसिटिविटी होना अच्छी सेहत का प्रतीक है। लेकिन कई बार हाय सेंसिटिविटी कुछ समस्याओं का कारण भी बन सकती है। टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 Diabetes) से पीड़ित व्यक्ति जिसे हाय इंसुलिन सेंसिटिविटी (Insulin Sensitivity) की समस्या भी है, उसमे कई बार हायपोग्लाइसीमिया (Hypoglycemia) का खतरा भी बढ़ सकता है। खासतौर पर अगर आप इंसुलिन के प्रति सेंसिटिव हैं।

    फिजिकल एक्टिविटी को इंसुलिन सेंसिटायजिंग इफेक्ट्स के लिए जाना जाता है और इससे उन लोगों के लिए हायपोग्लाइसीमिया का जोखिम बढ़ सकता है जो इंसुलिन और अन्य कुछ ऐसी दवाईयां  लेते हैं जो हाइपोग्लाइसीमिया (Hypoglycemia) के बढ़ने का कारण बन सकती हैं। जानिए, डायबिटिक लोगों में लो इंसुलिन सेंसिटिविटी (Insulin Sensitivity) के बारे में।

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    डायबिटीज और लो इंसुलिन सेंसिटिविटी

    लो इंसुलिन सेंसिटिविटी (Insulin Sensitivity) या इंसुलिन रेजिस्टेंस (Insulin Resistance) को टाइप 2  डायबिटीज (Type 2 Diabetes) के साथ जोड़ा जाता है। लेकिन यह समस्या टाइप 1 से पीड़ित लोगों में भी हो सकती है। जिन लोगों को टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 Diabetes) और इंसुलिन रेजिस्टेंस दोनों होती हैं उन्हें डबल डायबिटीज से पीड़ित रोगी कहा जाता है। अभी इस बारे में पूरी जानकारी नहीं है कि शरीर के इंसुलिन रेजिस्टेंट (Insulin resistant) होने का कारण क्या हैं? लेकिन ऑर्गन्स के आसपास अत्यधिक फैट और इंसुलिन सेंसिटिविटी (Insulin Sensitivity) के कम होने का आपस में गहरा संबंध पाया गया है। इसके फायदों के बारे में जानना भी जरूरी है। जानिए क्या हैं इसके लाभ?

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    इंसुलिन सेंसिटिविटी के लाभ (Benefits of Insulin Sensitivity)

    इंसुलिन रेजिस्टेंट (Insulin resistant) होने से शरीर को फ्यूल के रूप में फैट का प्रयोग करने में मुश्किल होती है। इसके साथ ही शुगर क्रेविंग, वजन का बढ़ना आदि समस्याएं भी हो सकती हैं। लेकिन, इंसुलिन सेंसिटिविटी (Insulin Sensitivity) के कई लाभ हो सकते हैं। जानिए इनके बारे में विस्तार से :

    • फैट लॉस आसान हो जाता है (Easier fat loss) : जब आप इंसुलिन रेजिस्टेंट (Insulin resistant) होते हैं तो आपको वजन कम करने में और हेल्दी बॉडी वेट बनाए रखने में आसानी होती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जब इंसुलिन हाय होती है, तो आप कैलोरीज को एनर्जी के लिए बर्न करने की जगह फैट की तरह स्टोर करते हैं। अगर आपको लगता है कि आप हेल्दी खा रहे हैं लेकिन फिर भी आपका वजन कम नहीं हो रहा है। तो हो सकता है कि शायद इंसुलिन रेजिस्टेंट हो गए हैं।
    • डिजीज का कम जोखिम होना (Less risk of all disease) : हालांकि यह सुनने में अजीब लग सकता है। लेकिन, हेल्दी और बैलेंस्ड शुगर और इंसुलिन सेंसिटिविटी (Insulin Sensitivity) होने से आपको स्वस्थ रहने में मदद मिल सकती है। इंसुलिन रेजिस्टेंस के कारण कई गंभीर बीमारियों का जोखिम बढ़ सकता है जैसे फैटी लिवर (Fatty Liver), टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes) आदि।
    • सही ब्रेन हेल्थ (Better brain health) : अधिकतर लोग ऐसा मानते हैं कि उम्र के बढ़ने का प्रभाव ब्रेन पर पड़ता है। इंसुलिन रेजिस्टेंस (Insulin Resistance) और ब्रेन हेल्थ का गहरा संबंध है। लेकिन अगर इंसुलिन सेंसिटिविटी (Insulin Sensitivity) सही है तो यह आपकी ब्रेन हेल्थ के लिए अच्छा साबित हो सकता है।
    • भूख कम लगे (Less hunger) :अगर आप इंसुलिन रेजिस्टेंट (Insulin resistant) है, तो आप अधिक भूख महसूस कर सकते हैं। क्योंकि ऐसे में शरीर स्टोर की कार्बोहायड्रेट्स को जल्दी से बर्न कर देता है। अगर आप इंसुलिन रेजिस्टेंट (Insulin resistant) हैं तो आप फ्यूल के लिए बॉडी फैट का प्रयोग नहीं करते हैं। लेकिन इंसुलिन सेंसिटिविटी (Insulin Sensitivity) में भूख कम लगती है, क्रेविंग कम होती हैं जिससे वजन कम होने में मदद मिलती है।

    इंसुलिन सेंसिटिविटी

    इंसुलिन रेजिस्टेंस (Insulin Resistance) से कई अन्य समस्याएं भी हो सकती हैं जैसे एक्ने (Acne), मूड में बदलाव (Mood Change) आदि। अब जानिए इंसुलिन सेंसिटिविटी ((Insulin Sensitivity) को बढ़ाने के तरीकों के बारे में।

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    इंसुलिन सेंसिटिविटी को कैसे बढ़ाया जा सकता है?

    इंसुलिन सेंसिटिविटी (Insulin Sensitivity) को लाइफस्टाइल में बदलाव कर के बढ़ाया जा सकता है। ऐसे नियमित व्यायाम और आहार संबंधी बदलावों से संभव है। यही नहीं अगर आप रोजाना इंसुलिन ले रहे हैं तो इंसुलिन सेंसिटिविटी (Insulin Sensitivity) के बढ़ने से इसकी डोज कम हो सकती है। टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes) से पीड़ित कई लोग इसे कम करने में सक्षम हुए हैं और इसके साथ ही उनकी दवाईयों में भी कमी आई है।  इंसुलिन सेंसिटिविटी (Insulin Sensitivity) को सुधारना केवल डायबिटीज को कम करने के लिए ही नहीं बल्कि संपूर्ण रूप से स्वस्थ रहने में भी मदद कर सकता है। इंसुलिन सेंसिटिविटी (Insulin Sensitivity) को बढ़ाने के कुछ तरीके इस प्रकार हैं

    सही आहार का सेवन (Eat the right food)

    सही आहार के सेवन का अर्थ है स्मार्ट फूड विकल्पों का चुनाव। इसका यह अर्थ नहीं है कि आपको आहार में लो कार्बोहायड्रेट का सेवन करना है। लेकिन इसका मतलब यह है कि आपके खाने में कार्बोहाइड्रेट्स सही मात्रा में होने चाहिए। जो लोग सही न्यूट्रिएंट्स का सेवन करते हैं वो एनर्जी के लिए कैलोरीज का सही इस्तेमाल कर सकते हैं और उन्हें बर्न कर सकते हैं। अपने आहार में अधिक सब्जियों, फल और साबुत अनाज और लीन प्रोटीन को शामिल करें। अधिक से अधिक पानी पीना भी जरूरी है। शुगर (Sugar) और सोडियम (Sodium) को नजरअंदाज करने में ही भलाई है।

    यही नहीं, आप जंक फूड और प्रोसेस्ड आहार को भी सीमित मात्रा में लें।  कैफीन (Caffeine), निकोटिन (Nicotine) और एल्कोहॉल (Alcohol) को भी कम मात्रा में लेने की सलाह दी जाती है। ऐसा माना जाता है कि आपकी प्लेट जितनी कलरफुल होगी, उतना ही उसे अच्छा माना जाएगा। इन खाद्य पदार्थों में वो कंपाउंड्स अधिक होते हैं जो इंसुलिन सेंसिटिविटी (Insulin Sensitivity) को बढ़ाते हैं।

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    अधिक व्यायाम (Exercise more)

    नियमित रूप से व्यायाम करने के फायदे अनगिनत हैं। इनमें से एक फायदा यह है कि इससे इंसुलिन सेंसिटिविटी (Insulin Sensitivity) बढ़ती है, स्ट्रेस कम होती है, कोलेस्ट्रॉल और ब्लड शुगर कम होते हैं और वजन को कम होने में भी मदद मिलती है। नियमित व्यायाम करने से नर्वस सिस्टम को रिस्टोर करने और ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाने में भी मदद मिलती है। रोजाना व्यायाम करने के लिए कम से कम तीस मिनट अवश्य निकालें। इससे भी आपको संपूर्ण रूप से हेल्दी रहने में मदद मिलेगी।

    अधिक नींद लें (Get more sleep)

    एक वयस्क को हर रात कम से कम सात से आठ घंटे की नींद लेनी चाहिए। रात को जल्दी सोने और सुबह जल्दी उठने की आदत डालें। यह भी कोशिश करें कि आप रोजाना एक ही समय पर सोएं और उठें। अगर आप कम नींद लेते हैं तो इसका प्रभाव आपके स्वास्थ्य के साथ-साथ आपकी इंसुलिन सेंसिटिविटी (Insulin Sensitivity) पर भी पड़ेगा।

    तनाव से बचें (Reduce stress)

    अनचाहा स्ट्रेस (Stress), मोटापा (Obesity), डिप्रेशन (Depression) , एंग्जायटी (Anxiety), हार्ट डिजीज (Heart Disease), हाय ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure) और कई अन्य मेंटल और फिजिकल समस्याओं का कारण बन सकता है। स्ट्रेस लेवल को कम और मैनेज करना ही स्वस्थ जीवन की कुंजी है। इसके लिए योग और मैडिटेशन का सहारा लें अपने प्रियजनों के साथ समय बिताएं। अगर आपको तनाव की अधिक समस्या है, तो डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है।

    क्या आप जानते हैं कि डायबिटीज को रिवर्स कैसे कर सकते हैं? तो खेलिए यह क्विज!

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    यह तो थी इंसुलिन सेंसिटिविटी (Insulin Sensitivity) के बारे में पूरी जानकारी। लो इंसुलिन सेंसिटिविटी (Insulin Sensitivity) हाय ब्लड शुगर लेवल का कारण बन सकता है। जिसे डायबिटीज और हार्ट डिजीज का मुख्य कारण माना जाता है। चाहे आपको डायबिटीज है या नहीं इंसुलिन सेंसिटिविटी (Insulin Sensitivity) को सुधारने के लिए अपनी जीवनशैली को सही बनाए रखना बेहद जरूरी है। जीवनशैली में कुछ अच्छे बदलाव करने से आप अपनी लाइफ में भी बेहतरीन परिवर्तनों को नोटिस करेंगे। इसके साथ ही, अपने शरीर के ब्लड शुगर लेवल की समय-समय पर जांच कराते रहें और डॉक्टर की सलाह का पालन करना न भूलें। अगर अपने दिमाग में इसके बारे में कोई भी सवाल है या आप किसी चीज को लेकर चिंतित हैं तो इस बारे में अपने डॉक्टर से अवश्य पूछें।

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