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डायबिटीज और स्ट्रोक: क्यों जरूरी है ब्लड शुगर को नियंत्रित रखना?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. हेमाक्षी जत्तानी · डेंटिस्ट्री · Consultant Orthodontist


Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 23/12/2021

    डायबिटीज और स्ट्रोक: क्यों जरूरी है ब्लड शुगर को नियंत्रित रखना?

    डायबिटीज एक ऐसी कंडिशन है, जिसके कारण कई हेल्थ से संबंधित समस्याओं का जोखिम बढ़ जाता है। इनमें स्ट्रोक (Stroke) और हार्ट अटैक (Heart Attack) भी शामिल हैं। डायबिटीज से पीड़ित लोगों को स्ट्रोक होने की संभावना अधिक रहती है। आज हम बात करने वाले हैं डायबिटीज और स्ट्रोक (Diabetes and Stroke) के बारे में। डायबिटीज के कारण हमारे शरीर की इंसुलिन (Insulin) को बनाने और प्रयोग करने की क्षमता प्रभावित होती है। डायबिटीज से पीड़ित लोगों के खून में अधिक शुगर होती है। समय के साथ-साथ अधिक शुगर से वेसल्स में क्लॉट्स और फैट डिपॉजिट्स (Fat Deposits) होना शुरू हो जाता है। जिससे ब्लड वेसल्स ब्लॉक या तंग होने लगते हैं और ब्लड फ्लो सही से नहीं हो पाता। ब्लड फ्लो का सही से न हो पाना कई बीमारियों का कारण बनता है, जिनमें स्ट्रोक भी शामिल है। आइए जानते हैं डायबिटीज और स्ट्रोक (Diabetes and Stroke) के बारे में विस्तार से। सबसे पहले जानिए स्ट्रोक किसे कहा जाता है?

    डायबिटीज और स्ट्रोक: पहले जानिए स्ट्रोक (Stroke) क्या है? 

    स्ट्रोक की समस्या तब होती है, जब दिमाग के हिस्से की ब्लड सप्लाई बाधित या कम हो जाती है। जिससे मस्तिष्क के ऊतकों को ऑक्सीजन और पोषक तत्व नहीं मिल पाते हैं। ऐसे में ब्रेन सेल्स कुछ ही देर में नष्ट हो जाते हैं। यह एक मेडिकल इमरजेंसी है, जिसमें तुरंत उपचार की जरूरत होती है। जल्दी उपचार से ब्रेन डैमेज और अन्य कॉम्प्लीकेशंस को कम किया जा सकता है। प्रभावी ट्रीटमेंट्स से स्ट्रोक से होने वाली डिसेबिलिटी से बचने में भी मदद मिल सकती है। स्ट्रोक दो मुख्य कारण है : ब्लॉक आर्टरी जिसे इस्किमिक स्ट्रोक (Ischemic stroke) कहा जाता है और ब्लड वेसल का लीक या बर्स्ट होना जिसे हेमरेजिक स्ट्रोक (Hemorrhagic stroke) कहते हैं।

    कुछ लोगों के दिमाग में रक्त के प्रवाह में अस्थायी व्यवधान पैदा हो सकता है, जिसे ट्रांसिएंट इस्केमिक अटैक (Transient ischemic attack ) के रूप में जाना जाता है, जो स्थायी लक्षणों का कारण नहीं बनता है। डायबिटीज और स्ट्रोक (Diabetes and Stroke) के लिंक के बारे में जानने से पहले स्ट्रोक के लक्षणों के बारे में जान लेते हैं।

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    स्ट्रोक के लक्षण (Symptoms of Stroke)

    स्ट्रोक के लक्षणों के बारे में जानना बेहद जरूरी है। क्योंकि, अगर सही समय पर इन्हें पहचान लिया जाए तो तुरंत उपचार हो सकता है। इसके लक्षण इस प्रकार हैं:

    यह तो थे स्ट्रोक के लक्षण जिन्हे समय रहते पहचानना बेहद आवश्यक है। अब जानते हैं कि डायबिटीज और स्ट्रोक (Diabetes and Stroke) में क्या कनेक्शन है?

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    डायबिटीज और स्ट्रोक (Diabetes and Stroke) में क्या संबंध है?

    डायबिटीज को स्ट्रोक का एक रिस्क फैक्टर माना जाता है। डायबिटीज से पीड़ित लोगों को स्ट्रोक की संभावना अधिक होती है। यही नहीं, उनमें अन्य रिस्क फैक्टर्स भी देखे जा सकते हैं जैसे हाय ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure), मोटापा (Obesity) और हाय कोलेस्ट्रॉल (High Cholesterol)। स्ट्रोक के कारण ब्रेन टिश्यू का एक हिस्सा डैमेज हो जाता है जिसके कारण ब्लड और ऑक्सीजन का लॉस होता है। ब्रेन टिश्यू को लगातार ऑक्सीजन और न्यूट्रिएंट्स की सप्लाई चाहिए होती है। ताकि, नर्व सेल्स और टिश्यूज के अन्य भाग जिन्दा रहें और काम करते रहें। ब्रेन ऑक्सीजन स्टोर नहीं कर पाता है और ब्लड वेसल्स पर निर्भर होता है कि वो उसे ऐसा ब्लड सप्लाई कर सके जो ऑक्सीजन से भरपूर हो। स्ट्रोक तब होता है जब यह ब्लड वेसल्स डैमेज्ड या ब्लॉक हो जाते हैं। जिससे ब्लड ब्रेन टिश्यू के भाग तक नहीं पहुंच पाता है।

    जब टिश्यू तक तीन या चार मिनट्स तक ऑक्सीजन नहीं पहुंचती है, तो यह डेड होने लगते हैं। डायबिटीज स्ट्रोक का एक रिस्क फैक्टर है। डायबिटीज के साथ-साथ अपने वजन, ब्लड प्रेशर,कोलेस्ट्रॉल को सही रखने से हार्ट डिजीज और स्ट्रोक के रिस्क को कम किया जा सकता है। एक्सरसाइज, गुड न्यूट्रिशन और दवाईयां भी आपको हेल्दी रहने में मदद कर सकते हैं। यह तो थी डायबिटीज और स्ट्रोक (Diabetes and Stroke) के बीच में लिंक के बारे में जानकारी। स्ट्रोक के अन्य रिस्क फैक्टर्स के बारे में भी जान लेते हैं।

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    डायबिटीज और स्ट्रोक: जानिए स्ट्रोक के रिस्क फैक्टर (Risk factors of Stroke)

    मेडलायन प्लस (Medline plus) के अनुसार जिन लोगों को डायबिटीज की समस्या नहीं होती उनमें हार्ट अटैक और स्ट्रोक की संभावना अधिक होती है। डायबिटीज के साथ ही अन्य हेल्थ प्रॉब्लम्स भी स्ट्रोक के रिस्क को बढ़ा सकती हैं। यह हेल्थ प्रॉब्लम्स इस प्रकार हैं

    • हाय ब्लड प्रेशर (High blood pressure)
    • मोटापा (Obesity)
    • हाय कोलेस्ट्रॉल (High cholesterol)
    • हार्ट डिजीज की हिस्ट्री (History of heart disease)
    • पहले स्ट्रोक आना (Previous stroke)
    • सिकल सेल डिजीज (Sickle cell disease)
    • ब्लीडिंग डिसऑर्डर्स (Bleeding disorders)
    • तनाव (Depression)

    इसके साथ ही अधिक उम्र के लोगों में स्ट्रोक होने की संभावना अधिक होती है। 55 की उम्र के बाद हर दस साल के बाद स्ट्रोक की संभावना दोगुनी हो जाती है। यही नहीं, महिलाओं में स्ट्रोक का खतरा पुरुषों की तुलना में अधिक होता है। जिन लोगों में स्ट्रोक की फैमिली हिस्ट्री (Family History) होती है, उन्हें भी स्ट्रोक का रिस्क ज्यादा रहता है। जानिए कैसे संभव है इसका उपचार?

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    स्ट्रोक का उपचार (Treatment of Stroke)

    डायबिटीज और स्ट्रोक (Diabetes and Stroke) दोनों ही स्थिति रोगी के लिए बेहद गंभीर हो सकती है। स्ट्रोक का उपचार एक इमरजेंसी है। आवश्यक तुरंत उपचार न मिलना रोगी की जान के लिए खतरा हो सकता है। स्ट्रोक के उपचार में दवाईयां और थेरेपीज शामिल है। स्ट्रोक के बचाव और इस स्थिति को मैनेज करने के लिए डॉक्टर रोगी को एक स्वस्थ लाइफस्टाइल अपनाने के लिए कह सकते हैं। जानिए कैसे संभव है इस समस्या का उपचार :

    दवाईयां (Medications)

    एक्यूट इस्केमिक (Acute ischemic) स्ट्रोक के उपचार के लिए थ्रोम्बोटिक एजेंट (Thrombolytic agent) या क्लॉट बस्टर मेडिकेशन्स (Clot buster medication) का प्रयोग किया जाता है। थ्रोम्बोटिक एजेंट (Thrombolytic agent) को स्ट्रोक के लक्षण नजर आने के लगभग साढ़े चार घंटे के भीतर रोगी को दिया जाना चाहिए। कुछ अन्य दवाईयां भी ब्रेन डैमेज को रोक या रिवर्स कर सकती हैं। लेकिन, इन्हें स्ट्रोक के एकदम बाद दिया जाना चाहिए।

    एंडोवस्कुलर स्ट्रोक (Endovascular stroke)

    इस ट्रीटमेंट में ब्लड क्लॉट (Blood Clot) को एक वायर डिवाइस जिसे स्टेंट रिट्रीवर (Stent Retriver) कहा जाता है। उससे रिमूव किया जाता है।

    स्पीच थेरेपी (Speech Therapy) 

    अगर स्ट्रोक के कारण रोगी को बोलने या कुछ भी याद रखने में समस्या हो रही हो, तो स्पीच थेरेपी (Speech Therapy) कराई जाती है। स्ट्रोक के फिर से होने की संभावना को कम करने के लिए कई अन्य डायग्नोस्टिक टेस्ट कराए जा सकते हैं।

    डायट और लाइफस्टाइल (Diet and Lifestyle) 

    एथेरोस्क्लेरोसिस (Atherosclerosis) के उपचार के लिए दवाईयां दी जा सकती है। इसके साथ ही आपको सही डायट और लाइफस्टाइल के बारे में भी निर्देश दिए जा सकते हैं।

    फिजिकल और ऑक्यूपेशनल थेरेपी (Physical and Occupational therapy) :

    स्ट्रेंथ की रिकवरी और फिर से पहले की तरह जीवन जीने में फिजिकल और ऑक्यूपेशनल थेरेपी (Occupational therapy) का प्रयोग किया जा सकता है। रोगी की स्थिति के अनुसार डॉक्टर अन्य उपचार के तरीकों को भी अपना सकते हैं। जानिए, स्ट्रोक के रिस्क को कम करने के उपायों के बारे में।

    डायबिटीज और स्ट्रोक

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    स्ट्रोक का रिस्क कैसे कम किया जा सकता है?

    स्ट्रोक के रिस्क फैक्टर में जेनेटिक (Genetic), उम्र (Age) और फैमिली हिस्ट्री (Family History) आदि शामिल है। इसके साथ ही अगर आपको हाय ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल, डायबिटीज जैसी गंभीर समस्याएं हैं। तो यह भी स्ट्रोक के लिए जोखिमभरी साबित हो सकती हैं।  इसके रिस्क को कम करने के लिए आपको डॉक्टर इन चीजों की सलाह दे सकते हैं:

    आहार में बदलाव (Change in Diet)

    हाय ब्लड प्रेशर और हाय कोलेस्ट्रॉल न केवल स्ट्रोक बल्कि डायबिटीज का रिस्क भी बढ़ा सकते हैं। आप ब्लड प्रेशर को और कोलेस्ट्रॉल लेवल को अपनी डायट में बदलाव ला कर कम कर सकते हैं। अपने आहार में इन बदलावों को करना आपके लिए लाभदायक है:

    डायबिटीज और स्ट्रोक के लिए व्यायाम (Exercise)

    हफ्ते में एक या एक से अधिक बार व्यायाम करने से स्ट्रोक का रिस्क कम हो सकता है। कोई भी व्यायाम जिससे आपका शरीर मूव करता है आपके लिए अच्छा है। दिन में कुछ देर व्यायाम करने से ही न केवल डायबिटीज और स्ट्रोक (Diabetes and Stroke) बल्कि कई अन्य रोगों से भी राहत मिल सकती है।

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    स्मोकिंग न करें (Don’t smoke)

    अगर आप स्मोकिंग करते हैं तो इसे छोड़ने की कोशिश करें। ऐसा माना जाता है कि जो लोग स्मोकिंग करते हैं, उनमें स्ट्रोक की संभावना स्मोकिंग न करने वाले लोगों से अधिक होती है। स्मोकिंग छोड़ने के लिए आप डॉक्टर की मदद भी ले सकते हैं।

    डायबिटीज और स्ट्रोक के लिए एल्कोहॉल को कम मात्रा में लें (Limit Alcohol)

    अगर आप एल्कोहॉल का सेवन करते हैं तो या तो इसे छोड़ दें या इसकी सीमित मात्रा ही लें। ऐसा माना गया है कि अधिक मात्रा में इसका सेवन करने से भी स्ट्रोक का खतरा बढ़ता है।

    डायबिटीज और स्ट्रोक के लिए वजन कम करें (Reduce Weight)

    अगर आपका वजन अधिक है तो उसे कम करने की कोशिश करें। हेल्दी वेट अपनाने से आपको न केवल डायबिटीज और स्ट्रोक (Diabetes and Stroke) बल्कि कई अन्य बीमारियों से बचने में भी सहायता मिल सकती है। वजन कम करने के लिए आप डॉक्टर की मदद भी ले सकते हैं।

    डॉक्टर की सलाह के अनुसार दवाईयां लें  (Take your Medication as Prescribed)

    खास तरह की दवाईयां स्ट्रोक के रिस्क को कम करने में सहायक हो सकती हैं। इनमें ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, कोलेस्ट्रॉल की दवाईयां, दवाईयां जो ब्लड क्लॉट्स को दूर करें जैसे एस्पिरिन (Aspirin) या ब्लड थिनर्स (Blood Thinners) आदि शामिल हैं। अगर आपको इनमें से किसी भी दवाई को लेने की सलाह दी गई है तो डॉक्टर के बताए अनुसार इन्हें लेना जारी रखें। डायबिटीज और स्ट्रोक (Diabetes and Stroke) के जोखिम को कम करने के लिए तनाव से भी बचें और पर्याप्त नींद लें।

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    क्या आप जानते हैं कि डायबिटीज को रिवर्स कैसे कर सकते हैं? तो खेलिए यह क्विज!

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    यह तो थी डायबिटीज और स्ट्रोक के बारे में जानकारी। यह तो आप जान ही गए होंगे कि डायबिटीज और स्ट्रोक (Diabetes and Stroke) दोनों ही बेहद सीरियस कंडिशंस हैं। कुछ लोग स्ट्रोक के बाद भी पूरी तरह से स्वस्थ हो जाते हैं। जबकि, कुछ लोगों को ठीक होने में समय लगता है और उन्हें इसके कई लक्षण लंबे समय तक परेशान कर सकते हैं। जल्दी से इसका ट्रीटमेंट लॉन्ग टर्म कॉम्प्लीकेशंस (Long Term Complications) के जोखिम को कम कर सकता है। डायबिटीज और स्ट्रोक (Diabetes and Stroke) दोनों से बचने के लिए हेल्दी लाइफस्टाइल को अपनाएं। रिस्क्स को मैनेज करें जिसमें डायबिटीज के लक्षणों को कंट्रोल करना, संतुलित आहार का सेवन, नियमित व्यायाम और वजन को कम करना आदि शामिल हैं। डायबिटीज को कम करने से आप स्ट्रोक और कई अन्य हार्ट डिजीज के जोखिम को कम कर सकते हैं।

    डिस्क्लेमर

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