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हायपरटेंशन में ACE इन्हिबिटर्स : हाय ब्लड प्रेशर को करें मैनेज इन दवाईयों से!

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. हेमाक्षी जत्तानी · डेंटिस्ट्री · Consultant Orthodontist


Toshini Rathod द्वारा लिखित · अपडेटेड 23/12/2021

    हायपरटेंशन में ACE इन्हिबिटर्स : हाय ब्लड प्रेशर को करें मैनेज इन दवाईयों से!

    हायपरटेंशन यानी शरीर में ब्लड प्रेशर (Blood pressure) का बहुत अधिक बढ़ जाना। हायपरटेंशन (Hypertension) को एक सायलेंट किलर माना जाता है क्योंकि इस समस्या से पीड़ित अधिकतर को यह पता नहीं होता कि उन्हें यह बीमारी है क्योंकि उन्हें इसके कोई लक्षण नजर नहीं आते हैं। इसलिए, हायपरटेंशन की नियमित जांच कराना जरूरी है। हायपरटेंशन कई गंभीर समस्याओं जैसे हार्ट अटैक या स्ट्रोक (Stroke) आदि का कारण बन सकता है। इसके उपचार में कुछ मेडिसिन्स का प्रयोग किया जाता है, जिन्हें ACE इन्हिबिटर्स (ACE Inhibitors) कहा जाता है। आइए जानें, हायपरटेंशन में ACE इन्हिबिटर्स (ACE Inhibitors in Hypertension) के बारे में। हायपरटेंशन में ACE इन्हिबिटर्स से पहले जानें कि ACE इन्हिबिटर्स (ACE Inhibitors) किन्हें कहा जाता है?

    ACE इन्हिबिटर्स क्या हैं? (ACE Inhibitors)

    ACE इन्हिबिटर्स की फुल फॉर्म है एंजियोटेंसिन कंवर्टिंग एंजाइम (Angiotensin Converting Enzyme) इन्हिबिटर्स। जो दवाइयां ब्लड प्रेशर को कम करती हैं उन्हें एंटीहायपरटेंसिवस (Anti Hypertensives) कहा जाता है। ACE इन्हिबिटर्स एंटीहायपरटेंसिवस की एक क्लास है। यह दवाइयां ब्लड वेसल्स को रिलेक्स और ओपन करके ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद कर सकती हैं। इन दवाइयों को हायपरटेंशन के उपचार प्रयोग किया जाता है। इसके साथ ही अन्य स्थितियों में भी इन्हें दिया जा सकता है जैसे :

    • हार्ट फेलियर (Heart failure) : यह दवाइयां हार्ट को कमजोर होने से बचाती है, जिससे हार्ट फेलियर की संभावना कम हो सकती है।
    • हार्ट अटैक (Heart attack) : ACE इन्हिबिटर्स से हार्ट अटैक (Heart attack) का जोखिम भी कम हो सकता है।
    • डायबिटीज (Diabetes) : यह दवाइयां उस प्रोसेस को स्लो कर सकती हैं, जो टाइप 2 डायबिटीज के साथ किडनी डैमेज का कारण बनती हैं।

    ACE इन्हिबिटर्स (ACE Inhibitors) की सलाह कई अन्य स्थितियों में भी दी जा सकती है। लेकिन, यह दवाइयाँ मरीज को तभी देनी चाहिए जब डॉक्टर ने कहा हो। अब जानिए कि हायपरटेंशन में ACE इन्हिबिटर्स कैसे काम करते हैं?

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    ACE इन्हिबिटर्स कैसे काम करती हैं?

    ACE इन्हिबिटर्स के दो मुख्य फंक्शन्स हैं। इनका सबसे पहले काम यह है कि यह किडनी में रीटेंड सोडियम (Retained Sodium) की मात्रा कम करती है और इनका दूसरा काम यह है कि यह एक हॉर्मोन जिसे एंजियोटेंसिन II (Angiotensin II) कहा जाता, उसकी प्रोडक्शन को भी कम करती है। यह हॉर्मोन आमतौर पर ब्लड वेसल (Blood vessels) के नैरो होने का कारण बनता है। जब इस हार्मोन का उत्पादन नहीं होता है, तो खून, वेसल्स के माध्यम से अधिक प्रभावी ढंग से बहता है। यह दवाइयां ब्लड वेसल्स को रिलेक्स करने और फैलने करने में मदद करती हैं, जिससे ब्लड प्रेशर कम होता है। यह तो थी ACE इन्हिबिटर्स (ACE Inhibitors) के बारे में जानकारी। अब जानिए हायपरटेंशन में ACE इन्हिबिटर्स (ACE Inhibitors in Hypertension) के बारे में विस्तार से:

    हायपरटेंशन में ACE इन्हिबिटर्स (ACE Inhibitors in Hypertension)

    हायपरटेंशन के उपचार के लिए कई ACE इन्हिबिटर्स (ACE Inhibitors) की सलाह डॉक्टर दे सकते हैं। रोगी के लिए कौन सी दवा अधिक बेहतर है, ये बात इस चीज पर निर्भर करती है कि रोगी का स्वास्थ्य कैसा है? हालांकि, रोगी को इस स्थिति में कौन सी दवा देनी चाहिए इस बात को निर्धारित करने के लिए डॉक्टर अन्य कई फैक्टर्स का भी ध्यान रखते हैं। हायपरटेंशन में ACE इन्हिबिटर्स (ACE Inhibitors in Hypertension) के उदाहरण इस प्रकार हैं:

    एनेलाप्रिल (Enalapril)

    हायपरटेंशन में ACE इन्हिबिटर्स (ACE Inhibitors in Hypertension) में से पहला नाम है एनेलाप्रिल। एनेलाप्रिल के ब्रांड नेम्स एपेनेड (Epaned) और वेसोटेक (Vasotec) हैं। यह एक ऐसी दवा है जिसका प्रयोग हाय ब्लड प्रेशर यानी हायपरटेंशन के उपचार के लिए किया जाता है। ACE शरीर में पाया जाने वाला वो एंजाइम है, जो एंजियोटेंसिन II को बनने का कारण बनता है। एंजियोटेंसिन II (Angiotensin II) की वजह से शरीर में आर्टरीज तंग हो जाती हैं, जिससे ब्लड प्रेशर बढ़ता है। इस दवा का प्रयोग कंजेस्टिव हार्ट फेलियर (Congestive Heart Failure) की स्थिति में भी किया जाता है। यह वो डिसऑर्डर है जिसमें हार्ट की खून पंप करने की क्षमता कम हो जाती है।

    अगर आप गर्भवती हैं तो इस मेडिसिन का सेवन करने से बचें। क्योंकि, यह दवा भ्रूण के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो सकती है। इसके साइड-इफेक्ट्स में चक्कर आना, हार्टबीट का स्लो होना, मूत्र त्याग में समस्या, पीलिया, हाथों या पैरों का सुन्न होना, ब्लीडिंग आदि शामिल हैं।

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    काप्टोप्रिल (captopril)

    हायपरटेंशन में ACE इन्हिबिटर्स में काप्टोप्रिल को इसके ब्रांड नेम कैपोटेन (Capoten) से भी जाना जाता है। यह एक ओरल ड्रग है और उन ड्रग्स की क्लास से संबंधित हैं जिन्हें एंजियोटेंसिन कंवर्टिंग एंजाइम (Angiotensin converting enzyme) इन्हिबिटर्स कहा जाता है।  ACE इन्हिबिटर्स का प्रयोग हाय ब्लड प्रेशर, हार्ट फेलियर के उपचार और हाय ब्लड प्रेशर व डायबिटीज के कारण होने वाले किडनी फेलियर से बचाव के लिए किया जा सकता है। इस दवा को तभी लेना चाहिए अगर डॉक्टर ने इसे लेने के लिए कहा हो। यही नहीं, डॉक्टर के बताए अनुसार ही इसका सेवन करना चाहिए। अपनी मर्जी से अधिक या कम डोज लेने से रोगी की स्थिति बदतर हो सकती है।

    अधिकतर मरीजों में इस दवा के साइड इफेक्ट्स माइल्ड होते हैं। इस दवा को लेने से कई रोगी ड्राय और लगातार खांसी की समस्या महसूस कर सकते हैं। इसके साथ ही कई रोगी पेट में दर्द, कब्ज, रैशेज, थकावट, सिरदर्द, भूख में कमी, उलटी आना आदि साइड-इफेक्ट्स की शिकायत भी कर सकते हैं।

    हायपरटेंशन में ACE इन्हिबिटर्स (ACE Inhibitors in Hypertension)

    लिसिनोप्रिल (Lisinopril)

    हायपरटेंशन में ACE इन्हिबिटर्स (ACE Inhibitors in Hypertension) में अगला है लिसिनोप्रिल (Lisinopril)। इसे प्रिनिविल(Prinivil) और क्यूब्रेलेस (Qbrelis) जैसे ब्रांड नेम्स से भी जाना जाता है। इस एंजियोटेंसिन कंवर्टिंग एंजाइम (angiotensin-converting enzyme) इन्हीबिटर का प्रयोग हाय ब्लड प्रेशर यानी हायपरटेंशन के अलावा हार्ट फेलियर और किडनी फेलियर से बचने के लिए भी किया जाता है। यह दवाइयां उन लोगों में बेहद प्रभावी हो सकती हैं, जिन्हें कंजेस्टिव हार्ट फेलियर (Congestive Heart Failure) की समस्या है। बिना डॉक्टर की सलाह के इन्हें लेना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।

    यही नहीं, इन्हें लेने से कई दुष्प्रभाव भी नजर आ सकते हैं जैसे सिरदर्द, जी मचलना, एंग्जायटी, नींद में समस्या, सेक्शुअल डिसफंक्शन, नेजल कंजेशन आदि। अगर आपको इनमें से कोई भी लक्षण नजर आते हैं, तो इस मेडिसिन को लेना बंद कर दें और मेडिकल हेल्प लें।

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    रैमीप्रील (Ramipril)

    इस ACE इन्हीबिटर को आल्टेस (Altace) के ब्रांड नेम से भी जाना जाता है। जैसा की आप जानते ही हैं हायपरटेंशन में ACE इन्हिबिटर्स (ACE Inhibitors in Hypertension) का प्रयोग किया जाता है। उन्हीं इन्हिबिटर्स में से एक है रैमीप्रील। इसके अलावा इस दवा को हार्ट फेलियर और किडनी फेलियर में भी लेने की सलाह दी जा सकती है। इस को वैसे ही लेना चाहिए जैसे डॉक्टर ने बताया हो। क्योंकि, बिना डॉक्टर की सलाह या बताई डोज से अधिक न कम मात्रा में इसे लेने से रोगी के स्वास्थ्य पर असर हो सकता है। यही नहीं, इन्हें लेने से आप कुछ साइड इफेक्ट्स को भी महसूस कर सकते हैं जैसे सिरदर्द, खांसी, कमजोरी, बुखार, ठंड लगना, मूत्र त्याग में समस्या आदि।

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    ट्रांडोलप्रिल (Trandolapril)

    हायपरटेंशन में ACE इन्हिबिटर्स में ट्रांडोलप्रिल (Trandolapril) का उपयोग भी किया जा सकता है। इसका ब्रांड नेम माविक (Mavik) है। यह मेडिसिन एंजियोटेंसिन II (Angiotensin II) को ब्लॉक करती है। एंजियोटेंसिन II वो केमिकल सब्सटांस है, जिसे हमारा शरीर बनाता है। यह आर्टरीज और वेन्स को तंग करने का काम करता है। जिससे ब्लड प्रेशर बढ़ता है। ब्लड प्रेशर के बढ़ने पर हार्ट अटैक, स्ट्रोक या अन्य हार्ट डिजीज का जोखिम अधिक हो सकता है। इस दवा को लेने से कई लोग सिरदर्द, खांसी, डायरिया, थकावट, जी मचलना, सेक्शुअल डिसफंक्शन जैसी परेशानियों का अनुभव कर सकते हैं

    ट्रांडोलप्रिल के प्रयोग से वाइट ब्लड सेल काउंट लो हो सकता है जिससे इन्फेक्शन की संभावना बढ़ सकती है। हम बिना डॉक्टर की सलाह के किसी भी ACE इन्हिबिटर्स (ACE Inhibitors) को लेने की सलाह नहीं देते हैं। अपनी मर्जी से इन्हें लेने से रोगी की स्थिति बदतर हो सकती है। इन्हें तभी लें अगर डॉक्टर ने उन्हें लेने की राय दी हो। इसे लेने से लोग कुछ अन्य साइड इफेक्ट्स भी अनुभव कर सकते हैं। जानिए इनके दुष्प्रभावों के बारे में।

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    ACE इन्हिबिटर्स के साइड इफेक्ट्स (Side effects of ACE Inhibitors)

    हायपरटेंशन में ACE इन्हिबिटर्स (ACE Inhibitors in Hypertension) को लेना सुरक्षित माना गया है। अधिकतर लोगों को इन दवाइयों को लेने से कोई साइड इफेक्ट्स नहीं होते हैं। लेकिन, कुछ लोगों में इसके कई दुष्प्रभाव नजर आ सकते हैं। यह सामान्य साइड इफेक्ट्स इस प्रकार हैं:

    दुर्लभ मामलों में, ACE इन्हिबिटर्स (ACE Inhibitors) के कारण होंठों, जीभ, गले में सूजन, सांस लेने में समस्या हो सकती है। जो लोग स्मोकिंग करते हैं उनमें यह लक्षण अधिक दिखाई देते हैं। जिन लोगों को किडनी फंक्शन में समस्या हो, उन्हें भी यह दवाइयां लेते हुए बहुत ही सावधानी बरतनी चाहिए। डैमेज्ड किडनी से पीड़ित लोगों में इसके कारण किडनी फेलियर की समस्या बढ़ सकती है। ACE इन्हीबिटर पोटैशियम लेवल के बढ़ने का कारण भी बन सकती हैं। इसस बात को ध्यान में रखना चाहिए कि प्रेग्नेंसी के दौरान खासतौर पर दूसरे और तीसरे पड़ाव में इन्हें न लें।

    इन्हें लेने से न केवल होने वाली मां का ब्लड प्रेशर कम हो सकता है जिससे किडनी फेलियर या उनके खून में पोटैशियम लेवल के बढ़ने की समस्या हो सकती है। इसके साथ ही होने वाले शिशु को भी कई परेशानियां हो सकती हैं। यही नहीं, स्तनपान कराने वाली महिलाओं को भी इन्हें नहीं लेना चाहिए। 

    दिल से जुड़ी बीमारियों के बारे में जानने के लिए नीचे दिए इस क्विज को खेलें।

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    यह तो थी हायपरटेंशन में ACE इन्हिबिटर्स (ACE Inhibitors in Hypertension) के बारे में पूरी जानकारी। हायपरटेंशन की समस्या को मैनेज करने के लिए दवाइयों के साथ ही हेल्दी लाइफस्टाइल को अपनाना बेहद जरूरी है। हेल्दी लाइफस्टाइल में सही आहार का सेवन, पर्याप्त नींद लेना, नियमित व्यायाम, तनाव (Tension) से बचाव आदि शामिल है। डॉक्टर की सलाह का पालन करना और नियमित चेकअप भी आपके लिए जरूरी है। अगर आपके दिमाग में इस समस्या या ACE इन्हिबिटर्स (ACE Inhibitors) से संबंधित कोई भी चिंता या सवाल है तो अपने डॉक्टर से संपर्क अवश्य करें। डॉक्टर आपकी मेडिकल कंडिशन के अनुसार आपका सही मार्गदर्शन कर सकते हैं

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