सिरोसिस के कारण पोर्टल वेन की सामान्य रूप से स्मूथ इनर वाल्स (Smooth Inner Walls) अनियमित हो सकती हैं। इससे ब्लड फ्लो का रेजिस्टेंस बढ़ सकता है। नतीजतन, पोर्टल वेन्स में ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। पोर्टल हायपरटेंशन (Portal Hypertension) के कारण होने वाले रिस्क फैक्टर्स इस प्रकार हैं।
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पोर्टल हायपरटेंशन के रिस्क फैक्टर्स (Risk Factors of Portal Hypertension)
जिन लोगों को सिरोसिस की समस्या होती है उनमें पोर्टल हायपरटेंशन (Portal Hypertension) का खतरा बढ़ जाता है। यदि कोई व्यक्ति लम्बे समय से शराब का आदि है, तो उसे सिरोसिस का अधिक खतरा होता है। इसके अलावा इन स्थितियों में भी पोर्टल हायपरटेंशन का खतरा बढ़ सकता है:
- अगर कोई ड्रग्स को इंजेक्ट करने के लिए नीडल का प्रयोग करता है
- अगर अस्वच्छ स्थितियों में टैटू या पियर्सिंग कराई जाती है
- अगर कोई व्यक्ति ऐसी जगह काम करता है जहां उसे इन्फेक्टेड नीडल्स या इंफेक्टेड ब्लड के संपर्क में आना पड़ता है
- अगर किसी की मां को हेपेटाइटिस हो
- अगर किसी व्यक्ति के कई पार्टनर्स के साथ असुरक्षित शारीरिक संबंध हों
अगर आपको इस समस्या का कोई भी लक्षण नजर आता है तो डॉक्टर की सलाह लें ताकि समय पर उपचार हो सके। अब जानते हैं कि किस तरह से होता है इस परेशानी का निदान?
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पोर्टल हायपरटेंशन का निदान कैसे किया जाता है? (Diagnosis of Portal Hypertension)
क्योंकि, पोर्टल हायपरटेंशन (Portal Hypertension) के लक्षण स्पष्ट नहीं होते हैं। ऐसे में इसका निदान करना भी आसान नहीं है। इसके लिए डॉप्लर अल्ट्रासाउंड (Doppler Ultrasound) मददगार साबित हो सकता है। पोर्टल वेन और खून इन नसों के माध्यम से कैसे फ्लो हो सकता है इसके बारे में अल्ट्रासाउंड बता सकता है। अगर अल्ट्रासाउंड के बाद भी कोई सही परिणाम नहीं आता है, तो सीटी स्कैन (CT Scan) कराया जाता है। इस समस्या के निदान के लिए जो दूसरे स्क्रीनिंग मेथड प्रयोग किए जाते हैं। वो है लिवर की इलास्टिसिटी (Elasticity of Liver) और इसके आसपास के टिश्यू को मापना। इस टेस्ट को इलास्टोग्राफी (Elastography) कहा जाता है।