7- सारकॉइडोसिस (Sarcoidosis)

सारकॉइडोसिस एक ऑटोइम्यून बीमारी है। जिसमें शरीर के विभिन्न अंगों में इंफ्लेमेट्री सेल्स के जरूरत से ज्यादा बढ़ जाती है। फेफड़े, ब्लड के लिम्फ नोड, आंखें, सांस लेने में परेशानी और त्वचा पर सूजन इसके प्रमुख लक्षणों में शामिल हैं। सारकॉइट ग्रेन्युलोमास को ग्रनुलोमाटोस डिजीज के नाम से भी जाना जाता है। ग्रेन्युलोमास को ट्यूमर का शुरुआती स्टेज भी माना जाता है। माइक्रोस्कोप की मदद से ऐसे ट्यूमर को देखा जा सकता है। सारकॉइडोसिस के कारण कभी-कभी मस्तिष्क पर भी प्रभाव पड़ता है।
अगर आप बीमारी के शुरुआती चरणों ध्यान देंगे तो बीमारी से बचा जा सकता है। लेकिन ध्यान न देने पर सारकॉइडोसिस बदतर स्थिति में चली जाती है। इस बीमारी हालांकि, समस्या सालों पुरानी है तो इलाज में वक्त लग सकता है। ग्रेन्युलोमा और ज्यादा न बढ़ें इसलिए सबसे कम खुराक में कम से कम 6 से 12 महीने तक प्रेडनिसोन कॉर्टिसोलस्टेरॉइड इम्यूनोस्प्रेसिव और एंटी-इंफ्लेमेटरी जैसे ड्रग्स आमतौर पर दिए जाते हैं।
सारकॉइडोसिस के दोबारा होने की संभावना होती है। इसलिए डॉक्टर इलाज से पहले लक्षणों को समझ सकते हैं। इस दौरान एक्स-रे और सांस से जुड़े टेस्ट कर सकते हैं। यदि आपकी स्थिति ज्यादा गंभीर हो जाती है, तो एंटीबायोटिक्स प्रभावी नहीं होते हैं। इसलिए डॉक्टर मेथोट्रेक्सेट, इम्युनोसुप्रेसेंट एजैथोप्रिन या हाइड्रोक्सी क्लोरो लाइन एंटीवायरस जैसी ज्यादा प्रभावी वाली दवाएं दे सकते हैं। सारकॉइडोसिस का सटीक इलाज वैज्ञानिक अभी भी ढूंढ रहे हैं।