पेम्फिग्स एक तरह की स्किन डिसीज है, जिसमें आपकी त्वचा पर फफोले पड़ जाते हैं। आमतौर पर फफोले या छाले मुंह से शुरू होते हैं और फिर धीरे-धीरे पूरे शरीर में फैल जाते हैं। पेम्फिग्स एक दुर्लभ किस्म की बीमारी है जिसमें इम्यून सिस्टम स्वस्थ कोशिकाओं पर अटैक करता है। पेम्फिग्स के कारण, लक्षण और उपचार क्या है जानिए इस आर्टिकल में।
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पेम्फिग्स दुर्लभ किस्म की ऑटोइम्यून बीमारी है जिसमें आपका इम्यून सिस्टम गलती से शरीर की स्वस्थ कोशिकाओं पर हमला करता है। इस बीमारी में त्वचा पर और श्लेष्मा झिल्ली (mucous membranes) पर ढेर सारे फफोले निकल आते हैं। पेम्फिगस वल्गरिस ऑटोइम्यून डिसीज के ग्रुप का सबसे आम प्रकार है जिसे पेम्फिगस कहा जाता है। पेम्फिगस कई तरह के होते हैं और इसके हर टाइप में फफोले शरीर के अलग-अलग हिस्से में बनते हैं। यह बीमारी आमतौर पर मुंह से शुरू होती है और शरीर के अलग-अलग हिस्से में फैल जाती है। कई बार यह गुप्तांग की श्लेष्मा झिल्ली को भी प्रभावित करती है।
आमतौर पर पेम्फिगस शरीर के इन हिस्सों में मौजूद श्लेष्मा झिल्ली को प्रभावित करता हैः
पेम्फिगस खतरनाक हो सकत है, इसलिए इसका उपचार जरूरी है। यदि इसका सही समय पर इलाज न किया जाए तो गंभीर जटिलताएं उत्पन्न हो सकती है और यह कई बार जानलेवा साबित हो सकता है।
इम्यून सिस्टम आखिर क्यों गलती से स्वस्थ श्लेष्मा झिल्ली पर ही हमला कर देता है इसका सटीक कारण ज्ञात नहीं हो सका है। आपको बता दें कि इम्यून सिस्टम एंटीबॉडीज नामक प्रोटीन का उत्पन्न करता है। एंटीबॉडीज आमतौर पर खतरनाक बाहरी चीजों जैसे बैक्टीरिया और वायरस पर हमला करते हैं।
पेम्फिगस तब होता है जब इम्यून सिस्टम गलती से ऐसा एंटीबॉडीज प्रोड्यूस करता है जो शरीर की स्वस्थ श्लेष्मा झिल्ली पर हमला करते हैं। दुर्लभ मामलों में कुछ दवाएं जैसे पेनिसिलिन और एसीई इनहिबिटर पेम्फिगस वलगरिस के लिए जिम्मेदार हो सकती हैं। इम्यून सिस्टम द्वारा उत्पन्न एंटीबॉडी कोशिकाओं के बीच के संबंध को तोड़ देता है जिसकी वजह से त्वचा की परत पर तरल पदार्थ से भरे फफोले हो जाते हैं।
पेम्फिगस मुख्य रूप से दो तरह का होता है और लक्षण इस बात पर निर्भर करता है कि आपको कौन सा पेम्फिगस हुआ है।
पेम्फिगस वलगरिस- यह सबसे आम पेम्फिगस है। यह आपके शरीर के नमी वाले हिस्से को प्रभावित करता है जैसे मुंह और गुप्तांग। 30 से 60 साल की उम्र के व्यस्कों में इसका खतरा अधिक होता है।
इसके लक्षणों में शामिल हैं-
पेम्फिगस फोलियासस- यह पपड़ीदार छाले/फफोले होते हैं। इसके लक्षणों में शामिल हैः
पेम्फिगस को डायग्नोस करना थोड़ा मुश्किल है, क्योंकि शरीर पर छाले कई अन्य वजहों से भी हो सकते हैं। फफोले या छालों की सही वजह का पता लगाने के लिए डॉक्टर कुछ टेस्ट की सलाह देगा।
ब्लड टेस्ट- शरीर में किसी खास तरह का एंटीबॉडीज तो नहीं बन रहा इसकी जांच के लिए डॉक्टर ब्लड टेस्ट की सलाह देगा। एंटीबॉडी एक प्रोटीन होता है जो बैक्टीरिया और वायरस से शरीर को सुरक्षित रखता है, लेकिन कई बार गलती से यह स्वस्थ झिल्ली पर हमला कर देता है।
स्किन बायोप्सी- चूकि यह एक तरह की स्किन डिसीज है इसलिए डॉक्टर आपकी त्वचा पर आए फफोलों से टिशू का एक टुकड़ा लेकर माइक्रोस्कोप के नीचे उसकी जांच करता है, इसे ही स्किन बायोप्सी कहते हैं।
त्वचा का परीक्षण- आपकी त्वचा पर जहां छाले नहीं हैं वहां डॉक्टर अपनी उंगलियों से या रूई से रगड़ेगा। यदि त्वचा आसानी से छिल जाती है तो इसका मतलब है कि आपको पेम्फिग्स हो सकता है।
एंडोस्कोपी- यदि आपके मुंह में छाले हैं तो डॉक्टर एंडोस्कोपी की सलाह देता है।
यदि आपको पेम्फिगस है तो शरीर में एंटीबॉडीज की मात्रा अधिक होती है, जो बैक्टीरिया से लड़ने के लिए इकट्ठा हो जाते हैं, लेकिन जैसे ही आपके पेम्फिगस के लक्षण कम होते हैं या स्थिति में सुधार आता है, तो एंटीबॉडीज की संख्या भी रक्त में कम हो जाती है।
पेम्फिगस से कुछ अन्य परेशानियां भी हो सकती हैं जिसमें शामिल हैः
कुछ तरह के पेम्फिगस का इलाज न करने पर मरीज की मौत भी हो सकती है।
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यदि पेम्फिगस आपको किस दवा के कारण हुआ है तो उस दवा का सेवन बंद कर देने से ही स्थिति सामान्य हो जाती है। अन्य मामलों में डॉक्टर दवा इस आधार पर देता है कि आपका पेम्फिगस कितना गंभीर है। पेम्फिगस के उपचार में शामिल हैः
बायोलॉजिकल थेरेपी- यदि आपकी स्थिति दवाओं से नहीं सुधरती है तो डॉक्टर रक्सिमैब (रिटक्सान) नामक दवा दे सकता है। यह इंट्रावेनस इंजेक्शन के जरिए दी जाती है। यह शरीर के अंदर उन एंटीबॉडीज की संख्या कम करने में मदद करता है जो आपके शरीर पर अटैक कर रहे हैं।
कॉर्टिकोस्टेरॉयड (Corticosteroids)- पेम्फिगस के लिए डॉक्टर आमतौर पर सबसे पहले यही दवा देता है और इससे बीमारी के लक्षणों से बहुत राहत मिलती है। अक्सर कुछ हफ्ते में ही यह ठीक भी हो जाता है।
इम्यूनोसप्रेसेंट- यह दवा आपके इम्यून सिस्टम को शरीर के हेल्दी टिशू पर हमला करने से रोकती है।
इसके अलावा संक्रमण से बचने के लिए एंटीबायोटिक, एंटीवायरल और एंटीफंगल दवाएं भी दी जाती है। यदि पेम्फिगस का इलाज नहीं किया जाता है तो यह जानलेवा साबित हो सकता है। कभी-कभी इलाज के लिए आपको अस्पताल में भर्ती भी होना पड़ सकता है और ठीक होने तक वहीं रहना पड़ता है।
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