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गर्भावस्था में हर्पीस होने पर प्रेग्नेंसी और नवजात शिशु पर क्या प्रभाव हो सकता है?
जेनिटल हर्पीस बहुत ही आम यौन संचारित संक्रमण है। सही समय पर यदि गर्भवती महिला का इलाज हो जाए तो दस हजार में से एक बच्चे पर ही इसका प्रभाव पड़ता है। इस बात की जानकारी बहुत ही जरूरी है कि गर्भवती महिला को प्रेग्नेंसी की किस स्टेज में यह इंफेक्शन हुआ है। यदि यह इंफेक्शन उनको गर्भावस्था के शुरूआती दौर में हुआ है तो शिशु को इसका खतरा नहीं होता। अगर यह गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में होता है तो बच्चे को भी यह इंफेक्शन प्रभावित कर सकता है। ऐसी स्थिति में सामान्य प्रसव नहीं हो पाता। यदि महिला को गर्भधारण करने से पहले हर्पीस हुआ है तो उनका शरीर कुछ एंटीबाॅडीज का उत्पादन करता है। जो इस इंफेक्शन से लड़ने में मदद करता है और ऐसा ही शिशु के साथ भी होता है। निओनेटल हर्पीस से पीड़ित बच्चे को अंधेपन, ब्रेन डैमेज यहां तक की मृत्यु का भी खतरा रहता है। इससे आप समझ सकते हैं कि प्रेग्नेंसी में हर्पीस रोग कितना खतरनाक हो सकता है।
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गर्भावस्था में हर्पीस के क्या लक्षण हो सकते हैं?
गर्भावस्था में चिकनपॉक्स, दाद होने के कारण शरीर पर कहीं भी छाले हो सकते हैं। इस दौरान हर्पीस के फफोले आमतौर पर चेहरे और टंग पर दिखाई देते हैं। इसके बाद यह हाथ और पैर तक फैल जाते हैं।
हर्पीस के लक्षण में बड़े चकत्ते आमतौर पर दाद के साथ विकसित होते हैं। ये चकत्ते अक्सर चेहरे के केवल एक तरफ होते हैं, लेकिन कुछ स्थान हो सकते हैं जो प्रभावित होते हैं।
प्रेग्नेंसी में हर्पीस रोग होने पर आप इसके दाने या चकत्ते वाले क्षेत्र में दर्द या खुजली महसूस कर सकते हैं। दाने दिखाई देने के कुछ दिन पहले दर्द या खुजली हो सकती है।
यदि चकत्ते खत्म भी हो जाएं तो भी यह संक्रामक हो सकते हैं, जब तक चकत्ते उजागर हो जाते हैं और ऊपर से खुजली नहीं होती है। गर्भावस्था में हर्पीस आमतौर पर एक या दो सप्ताह में ठीक हो जाता है।
इसके अलावा हर्पीस होने पर दूसरे लक्षण भी दिखाई देते हैं।
- ठंड लगना
- फीवर आना
- सिरदर्द
- दो या दो से अधिक दिन तक दर्द और अस्वस्थ्य महसूस करना।
- जेनिटल पेन
- खुजली
- पेशाब के वक्त दर्द होना
- वजायनल डिस्चार्ज और यूरिन के वक्त डिस्चार्ज
- छोटे और दर्दनाक छाले