क्या कहती है रिसर्च?
इसी तरह, 10 हर्पीस वायरस से संक्रमित सूअरों पर भी वैक्सिनेशन की प्रतिक्रियाएं चेक की गई। पाया गया कि सूअरों में भी किसी तरह का हर्पीस वायरस का इंफेक्शन नहीं मिला। स्टडी के मुख्य इन्वेस्टिगेटर हार्वे फ्रीडमैन (एमडी, संक्रामक रोगों के प्रोफेसर) का कहना है कि “जानवरों के ऊपर किए गए टीकाकरण के ये परीक्षण बेहद प्रभावशाली साबित हो रहे हैं। इस वैक्सीन के सुरक्षित और प्रभावशाली उपयोग के लिए वायरस से प्रभावित लोगों पर भी इसका इस्तेमाल किया जाना चाहिए।”
कैसे काम करेगी यह वैक्सीन?
हर्पीस वायरस इंफेक्शन से बचाव के लिए दिया जाने वाला यह टीका तीन प्रकार के एंटीबॉडी को उत्तेजित करके काम करेगा। पहला, वायरस को कोशिकाओं में प्रवेश करने से रोकेगा और अन्य दो एंटीबॉडीज सुनिश्चित करेंगे कि वायरस, जन्मजात प्रतिरक्षा प्रणाली के सुरक्षात्मक कार्यों को न रोके। यह टीका हर्पीस के दूसरे टीकों से अलग होगा। यह वैक्सीन वायरस के प्रवेश को अवरुद्ध करके बीमारी पर काम करेगी।
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हर्पीस वायरस के कारण क्या हैं?
हर्पीस वायरस निम्नलिखित कारणों से होता है। जैसा-
- किसी व्यक्ति के साथ एक ही प्लेट में खाना खाने या जूठे गिलास से पानी पीने के कारण हो सकता है। इसलिए किसी भी व्यक्ति के जूठे खाने से बचें।
- कई बार हमसभी लिप बाम या लिपस्टिक जैसे कॉस्मेटिक प्रोडक्ट एक दूसरे से शेयर कर लेते हैं लेकिन, इस दौरान भी हर्पीस वायरस फैलने का खतरा बना रहता है। हर्पीस वायरस से बचने के लिए होंठों पर इस्तेमाल किये जाने वाले प्रोडक्ट शेयर न करें।
- ऐसे लोगों के संपर्क न रहें जिन्हें हर्पीस इंफेक्शन हुआ हो।
- हर्पीस इंफेक्शन होने पर ओरल सेक्स से परहेज करें। ओरल सेक्स के कारण यह आपके पार्टनर को भी हो सकता है।
- हेल्थ एक्सपर्ट (HSV-2 संक्रमण) बताते हैं की हर्पीस इंफेक्शन अनप्रोटेक्टेड सेक्स के कारण भी हो सकता है।
हेल्थ एक्सपर्ट और डर्मेटोलॉजिस्ट का मानना है की हर्पीस वायरस उसी व्यक्ति को होता है जो चिकन पॉक्स के शिकार हो चुके होते हैं। अगर सामान्य भाषा में इसे समझें तो यह बीमारी वेरिसेला जोस्टर वायरस शरीर में रहने के कारण होता है। इस वायरस के शरीर में होने के कारण रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने लगती है। शरीर के ज्यादा कमजोर होने के कारण यह नर्वस सिस्टम पर नकारात्मक प्रभाव डालने लगता है। ऐसी स्थिति में हर्पीस की समस्या त्वचा पर आसानी से देखी जा सकती है।
हर्पीस वायरस से संक्रमित होने पर क्या करें?
हर्पीस वायरस से संक्रमित होने पर निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें। जैसे-
- संक्रमित त्वचा को छूये नहीं। बार-बार छूने के कारण इंफेक्शन ज्यादा फैल सकता है।
- इंफेक्शन होने पर आइस पैक का इस्तेमाल करें।
- दानों को सूखने दें और दाने वाली जगहों को साफ रखें।
- अगर आपके घर में शिशु या बच्चा है तो उससे दूरी बनाये रखें।
इन लक्षणों के अलावा अन्य लक्षण भी हो सकते हैं। इसलिए परेशानी महसूस होने पर खुद से इलाज न करें और हेल्थ एक्सपर्ट की सलाह लें।
हर्पीस वायरस का खतरा कब ज्यादा होता है?
इस बीमारी का खतरा सबसे ज्यादा बारिश और ठंड के मौसम में होता है। हर्पीस होने पर परेशान न हों लेकिन, इसका इलाज जरूर करवाएं। अगर इसका ठीक तरह से इलाज नहीं करवाया गया तो इंफेक्शन शरीर के अन्य हिस्सों पर फैलने लगता है। यह सबसे पहले चेहरे खासकर होंठों या सीने पर होता है। इसलिए शरीर या चेहरे पर होने वाले दानों को नजरअंदाज न करें।
अगर आप हर्पीस वायरस से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा।
नोट : नए संशोधन की डॉ. प्रणाली पाटील द्वारा समीक्षा