सीडीसी के मुताबिक, ओरल सेक्स से अनचाहे गर्भ का खतरा न के बराबर होता है और लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि इससे यौन संचारित रोगों से भी बचाव होता है। ओरल सेक्स के जरिए आप विभिन्न एसटीडी के संपर्क में आ सकते हैं। अब बात करते हैं अनचाहे गर्भ धारण की, तो आपको बता दें कि ओरल सेक्स से प्रत्यक्ष रूप से गर्भधारण नहीं होता है, लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर किसी तरह पुरुष का सीमन महिला की वजायना के संपर्क में आ जाता है, तो अनचाहे गर्भ की संभावना हो सकती है। उदाहरण के लिए, अगर ओरल सेक्स के दौरान पुरुष स्खलित हो जाता है और उसके बाद वजायनल सेक्स किया जाता है, तो सीमन के वजायना के संपर्क में आने की संभावना रहती है।
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ओरल सेक्स के दौरान एसटीडी से किस तरह करें बचाव?
एसटीडी विभिन्न बॉडी फ्लूड के जरिए एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है, जिसमें ब्लड, प्री-कम, सीमन, रेक्टल फ्लूड, ब्रेस्ट मिल्क व वजायनल फ्लूड शामिल हैं। ओरल सेक्स के दौरान इन फ्लूड के संपर्क में आने से सिफलिस, क्लैमाइडिया, गोनोरिया, जेनिटल हर्पीस, एचपीवी के कारण होने वाले जेनिटल वार्ट्स का खतरा होता है और कुछ हद तक एचआईवी की आशंका भी होती है। इनसे बचने के लिए आप निम्नलिखित सावधानियां अपना सकते हैं। जैसे-
- ओरल सेक्स में आपको पार्टनर और अपने जननांगों की हाइजीन का ख्याल रखना चाहिए। एनल ओरल सेक्स के दौरान आप एनस की साफ-सफाई का खासतौर से ध्यान रखें, क्योंकि उसमें काफी खतरनाक बैक्टीरिया शामिल होते हैं। जिससे संक्रमण का खतरा होता है।
- नियमित रूप से खुद की और अपने पार्टनर की एसटीडी से संबंधित जांच करवाएं।
- ओरल सेक्स क्या है जानने के साथ उससे जुड़ी सावधानियां जैसे कॉन्डम, डेंटल डैम, टंग कॉन्डम, फीमेल कॉन्डम, प्लास्टिक रैप आदि के इस्तेमाल के बारे में भी पर्याप्त जानकारी रखें।
- ओरल सेक्स करते हैं, तो अपनी और पार्टनर की ओरल स्क्रीनिंग जरूर करवाएं।
- पीरियड्स या एनस, पेनिस व वजायना में किसी भी तरह के संक्रमण के मामले में ओरल सेक्स न करें।