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ओव्यूलेशन कैलेंडर से जाने सेक्स के लिए सुरक्षित अवधि
ओव्यूलेशन कैलेंडर की मदद से आप अपने सबसे अधिक फर्टाइल दिनों के बारे में पता कर सकती हैं और उस दौरान सेक्स से समय सावधानी बरत सकती हैं। कई वेबसाइट्स और ऐप्स है जो इसमें आपकी मदद करते हैं। इसमें आपसे कुछ सवाल पूछे जाते हैं जैसे-
- आपकी लास्ट पीरियड कब शुरू हुआ था?
- आमतौर पर आपके पीरियड कितने दिन तक रहते हैं?
मेन्सट्रुअल साइकल की सारी जानकारी रिकॉर्ड करते रहने से आपकी पीरियड्स से जुड़ी किसी भी तरह की अनियमितता के बारे में भी पता चल जाता है। मार्केट में ओव्यूलेशन किट भी मौजूद है जिसकी मदद से आप अपने फर्टाइल दिनों के बारे में पता कर सकती हैं।
डिसऑर्डर जिससे ओव्यूलेशन प्रभावित हो सकता है
कुछ बीमारियों के कारण ओव्यूलेशन की प्रक्रिया पर असर पड़ता है और कई मामलों में इन्फर्टिलिटी भी हो सकती है।
पोलिसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (PCOS)
इस समस्या से ग्रसित महिलाओं की ओवरी (अंडाशय) बड़ी होती है जिसमें तरल पदार्थ भरे छोटे-छोटे सिस्ट बन जाते हैं। इसकी वजह से हार्मोन्स का संतुलन बिगड़ जाता है और ओव्यूलेशन चक्र प्रभावित होता है। PCOS के अन्य लक्षणों में शामिल है असामान्य बालों का बढ़ा, पिंपल्स, मोटापा आदि। महिलाओं में इंफर्टिलिटी का यह मुख्य कारण है।
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हाइपोथैलेमिक डिसफंक्शन
FSH और LH हार्मोन का प्रोडक्शन जब प्रभावित हो जाता है तब हाइपोथैलेमिक डिसफंक्शन होता है। यह हार्मोन्स ओव्यूलेशन के लिए जिम्मेदार है। इनके प्रभावित होने से मासिक धर्म के चक्र पर भी असर पड़ता है। इससे महिलाओं को अनियमित पीरियड्स या पीरियड न आने जैसी समस्याएं हो सकती है।
प्रीमैच्योर ओवेरियन इंसफिशियंसी
एस्ट्रोजन लेवल गिरने पर जब एग प्रोडक्शन मैच्योर होने से पहले ही बंद हो जाता है तो इस स्थिति को प्रीमैच्योर ओवेरियन इंसफिशिंयसी कहते हैं। ऐसा ऑटोइम्यून डिसीज, जेनेटिक असामान्ता या इन्वॉयरमेंटल टॉक्सिन्स के कारण हो सकता है। आमतौर पर यह 40 की उम्र से पहले महिलाओं को होता है।
सेक्स से जुड़े किसी भी मुद्दे पर अगर आपका कोई सवाल है, तो कृपया इस बारे में अपने डॉक्टर से परामर्श करें।